द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
क्या भाजपा सरकार 'योग्य उम्मीदवार' न मिलने का बहाना बनाकर रफ़्ता-रफ़्ता इस संविधानप्रदत्त अधिकार को ख़ारिज करने की योजना बना रही है?
‘उच्च शिक्षण संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के दिशानिर्देश’ यह निर्धारित करते हैं कि एसटी, एससी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रिक्तियों को ‘अनारक्षित’ घोषित किया जा सकता है, अगर इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध न हों. यूजीसी अध्यक्ष ने आरक्षण हटाए जाने से इनकार किया है.
यूजीसी के 'सेल्फी पॉइंट' के आदेश समेत उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए जारी होते विभिन्न निर्देशों को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो लगता है कि ‘आज्ञापालक नागरिक’ तैयार करने का प्रयास ज़ोर-शोर से चल रहा है और इसके लिए विश्वविद्यालयों को प्रयोगशाला बनाया जा रहा है.
वीडियो: क्या भारत के विश्वविद्यालयों के अंदर शैक्षणिक स्वतंत्रता नाम की कोई चीज़ बची है? यूनिवर्सिटी की परिभाषा विचारों के आदान-प्रदान की जगह की है, लेकिन क्या आज हिंदुस्तान में ऐसी कोई जगह बच पाई है? चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.
यदि कोई विश्वविद्यालय अपने शिक्षक के अकादमिक कार्य के साथ खड़ा नहीं हो सकता तो वह कितना भी विश्वस्तरीय होने का दावा करे, वह व्यर्थ ही है.
यूजीसी के तहत आने वाले नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने बीते रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ विश्वविद्यालय अनुचित साधनों के माध्यम से ‘संदिग्ध ग्रेड’ प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की थी.
केरल हाईकोर्ट 2019 के उस सरकारी आदेश के ख़िलाफ़ याचिका सुन रहा है, जिसमें रात 9.30 बजे के बाद उच्च शिक्षण संस्थानों के हॉस्टल की लड़कियों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगाई गई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार का दायित्व कैंपस को सुरक्षित रखना है. समस्याएं पुरुष पैदा करते हैं तो उन्हें बंद किया जाना चाहिए.
सीयूईटी परिणाम के बाद कई छात्रों द्वारा निजी संस्थान छोड़कर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने पर कॉलेज/विश्वविद्यालयों द्वारा पूरी फीस वापस न करने की शिकायतों के मद्देनज़र यूजीसी ने चेताया है कि उसके शुल्क वापसी और मूल प्रमाण-पत्र वापस करने संबंधी नियमों के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति के ‘नौकरी के लिए हिंदी भाषा की जानकारी होने’ संबंधी प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था कि यह प्रस्ताव संविधान के संघीय सिद्धांतों के ख़िलाफ़ जाता है.
एक संसदीय समिति की सिफ़ारिश है कि हिंदी-भाषी राज्यों में आईआईटी जैसे तकनीकी और ग़ैर-तकनीकी उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का माध्यम हिंदी, और देश के अन्य हिस्सों में स्थानीय भाषा होना चाहिए. समिति ने यह अनुशंसा भी की है कि हिंदी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषाओं में से एक होनी चाहिए.