नैक में अनियमितता की जांच की मांग करने वाले कार्यकारी समिति के अध्यक्ष ने दिया इस्तीफ़ा

यूजीसी के तहत आने वाले नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने बीते रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ विश्वविद्यालय अनुचित साधनों के माध्यम से ‘संदिग्ध ग्रेड’ प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की थी.

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यूजीसी का लोगो, भूषण पटवर्धन और एनएएसी का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

यूजीसी के तहत आने वाले नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने बीते रविवार को इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया था कि कुछ विश्वविद्यालय अनुचित साधनों के माध्यम से ‘संदिग्ध ग्रेड’ प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की थी.

यूजीसी का लोगो, भूषण पटवर्धन और नैक का लोगो. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी/नैक) की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन ने बीते रविवार को पद से इस्तीफा दे दिया.

उन्होंने यह कदम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष को पत्र लिखने के तुरंत बाद उठाया है. पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कुछ विश्वविद्यालय अनुचित साधनों के माध्यम से ‘संदिग्ध ग्रेड’ प्राप्त कर रहे हैं.

राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद या नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन काउंसिल (नैक) एक सरकारी संगठन है, जो उच्च शिक्षा संस्थानों का मूल्यांकन और उन्हें मान्यता देता है. यूजीसी द्वारा वित्तपोषित यह स्वायत्त निकाय पिछले कुछ समय से कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों से त्रस्त रहा है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले कभी भी नैक की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष ने इस्तीफा नहीं दिया है. पटवर्धन ने एक साल पहले ही यह पद ग्रहण किया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने पटवर्धन के पत्र को स्वीकार कर लिया है. हाल ही में पटवर्धन ने तमाम समस्याओं की ओर इशारा करते हुए नैक के खिलाफ एक स्वतंत्र राष्ट्रीय स्तर की जांच की मांग की थी.

पत्र में पटवर्धन ने कहा था कि प्रक्रियाओं में हेर-फेर करके कुछ उच्च​ शिक्षा संस्थानों को संदिग्ध ग्रेड प्रदान किए गए थे. उन्होंने ‘उपयुक्त उच्च स्तरीय राष्ट्रीय एजेंसियों’ द्वारा एक स्वतंत्र जांच के लिए कहा था, लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसके बाद पटवर्धन ने इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, पटवर्धन ने पहली बार मान्यता पाने की प्रक्रियाओं पर सवाल उठाए थे और 26 फरवरी को इस्तीफा देने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसके बाद यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के पूर्व अध्यक्ष अनिल सहस्त्रबुद्धे को बीते 3 मार्च को इस पद पर नियुक्त किया था.

रविवार को दिए गए अपने त्याग पत्र में पटवर्धन ने लिखा कि ‘इस मामले में कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है’ और वह इस पद की ‘पवित्रता को सुरक्षित रखना’ चाहते हैं, जिस पर उन्हें फरवरी 2022 में नियुक्त किया गया था.

अपन त्याग-पत्र में उन्होंने कहा है, ‘पूरे विषय पर सावधानीपूर्वक पुनर्विचार के बाद मैं यूजीसी, नैक और भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के बड़े हित में 6 मार्च 2023 को कार्यकारी समिति, नैक, बेंगलुरु के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहा हूं. मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि इसमें कुछ भी व्यक्तिगत नहीं है, यह आत्म-सम्मान और कार्यकारी समिति के अध्यक्ष पद तथा नैक की पवित्रता की रक्षा के लिए किया गया कार्य है.’

भूषण पटवर्धन ने इससे पहले सहस्त्रबुद्धे को उनके स्थान पर नियुक्त करने के कदम का विरोध करते हुए कहा था कि यह उन्हें सूचित किए बिना किया गया था.

बीते 4 मार्च को उन्होंने यूजीसी अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार को अलग से एक पत्र लिखकर कहा था कि यूजीसी ने 26 फरवरी को एक पत्र के रूप में इस्तीफा देने के उनके इरादे को गलत समझा था.

उन्होंने लिखा था, ‘प्रथमदृष्टया यह कार्रवाई जल्दबाजी में प्रशासनिक मामलों की एक खेदजनक स्थिति और यूजीसी तथा नैक में शक्तियों का दुरुपयोग दिखाती है.’

इस पत्र में उन्होंने यह भी लिखा था, ‘उपरोक्त के मद्देनजर मैं ईमानदारी से इस अवसर को शिक्षा मंत्रालय से यह अपील करने के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं कि इस संबंध में पूरी तरह से एक स्वतंत्र जांच की जाए और मेरे व्यक्तिगत अधिकारों, गरिमा तथा यूजीसी, नैक और देश में उच्च शैक्षणिक संस्थानों की पवित्रता की रक्षा करने के लिए उन लोगों पर केस दर्ज किया जाए, जो इस गंभीर चूक के लिए जिम्मेदार हैं.’

रविवार को उनके इस कदम के बारे में जानने के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने जब उनसे संपर्क किया तो पटवर्धन ने कहा, ‘अब जब मैंने इस्तीफा दे दिया है, तो यह मामला मेरे लिए बंद हो गया है.’ वहीं, यूजीसी ने अभी तक मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

26 जनवरी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा था, ‘मेरे अनुभव, हितधारकों से विभिन्न शिकायतों और समीक्षा समिति की रिपोर्ट के आधार पर मैंने पहले से ही निहित स्वार्थों, कदाचार और संबंधित व्यक्तियों के बीच नेक्सस की संभावना के बारे में अपनी आशंका व्यक्त की थी. इसके जरिये संभवत: हेरफेर करके कुछ उच्च शिक्षण संस्थानों को संदिग्ध ग्रेड प्रदान किए जा रहे हैं. मुख्य रूप से इसके कारण मैंने उचित उच्चस्तरीय राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा एक स्वतंत्र जांच की आवश्यकता का भी सुझाव दिया था.’

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