‘हम गांधी की कल्पना के सदस्य थे, महान स्वप्न के; जब स्वप्न समाप्त हुआ हम सो रहे थे’

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: कृष्ण कुमार की ‘थैंक यू गांधी’ कई बार संस्मरणात्मक लगते हुए भी आज के भारत के बारे में है. उसमें कथा, कथा-इतर गद्य, स्मृतियां, आत्मवृतांत, विचार-विश्लेषण आदि सबका रसायन बन गया है और उनमें पाठक की आवाजाही सहज ढंग से होती चलती है.

क्यों अलग है उत्तर और दक्षिण भारत का राजनीतिक मिजाज़?

बीते दिनों आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों और उनके प्रतिनिधि चुनने की प्राथमिकताओं पर लंबी बहस चली, तमाम सवाल उठाए गए. क्या वजह है कि इन क्षेत्रों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक मिजाज़ में इतना अंतर है?

भारत में लोकतंत्र की गिरावट का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा

जो लोग यक़ीन करते हैं कि भारत अब भी एक लोकतंत्र है, उनको बीते कुछ महीनों में मणिपुर से लेकर मुज़फ़्फ़रनगर तक हुई घटनाओं पर नज़र डालनी चाहिए. चेतावनियों का वक़्त ख़त्म हो चुका है और हम अपने अवाम के एक हिस्से से उतने ही ख़ौफ़ज़दा हैं जितना अपने नेताओं से.

संघ परिवार से जुड़े सात अमेरिकी हिंदुत्व समूहों ने दो दशकों में क़रीब 1,257 करोड़ रुपये ख़र्च किए

साउथ एशिया सिटीज़न वेब की एक हालिया रिपोर्ट में 24 अमेरिकी हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों की गतिविधियों का पता लगा है, जिनकी संपत्ति क़रीब 100 मिलियन डॉलर है.

सुरेश चव्हाणके ने भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने की भाजपा विधायक समेत अन्य को शपथ दिलाई

हरियाणा के अंबाला शहर में हुए आयोजन का कथित वीडियो ट्विटर पर शेयर ​किया गया है, जिसमें सुदर्शन न्यूज़ के प्रमुख सुरेश चव्हाणके, शहर विधायक असीम गोयल और अन्य को कहते सुना जा सकता है कि हम हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने की शपथ लेते हैं. इन लोगों ने इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर ‘बलिदान देने या लेने’ की भी बात कही.

हिंदू राष्ट्रवाद भारत को तोड़ सकता है, पर देश एक दिन इसका विरोध करेगाः अरुंधति रॉय

द वायर के लिए करण थापर को दिए साक्षात्कार में अरुंधति रॉय ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति बहुत ही निराशाजनक है लेकिन मुझे भारत के लोगों पर भरोसा है और उम्मीद है कि देश एक दिन इस अंधेरी सुरंग से बाहर निकलेगा.

कार्यकर्ताओं और विद्वानों को निर्ममता से जेल में डाल रही है सरकार: अरुंधति रॉय

भीमा कोरेगांव मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हेनी बाबू की गिरफ़्तारी के बाद लेखक अरुंधति रॉय ने केंद्र सरकार की आलोचना की हैं, वहीं जेएनयू छात्रसंघ ने कहा कि इस मामले में हुई घटिया जांच का एकमात्र निशाना वे कार्यकर्ता और स्कॉलर हैं जिन्होंने सत्तारूढ़ दल की नीतियों और सांप्रदायिकता पर सवाल उठाए हैं.