अरविंद केजरीवाल के 'देश की तरक्की के लिए लक्ष्मी-गणेश का चित्र नोटों पर छापने' की सलाह से पहले देश ने पैसों के बारे में ऐसा अहमक़ाना प्रस्ताव 2016 में देखा था, जब देश के प्रधानमंत्री ने अचानक चलन में रहे अस्सी फीसदी नोटों को रातोंरात अवैध बताकर भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने का दावा किया था.
ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री होना ब्रिटेन के लिए अवश्य गौरव का क्षण है क्योंकि इससे यह मालूम होता है कि ‘बाहरी’ के साथ मित्रता में उसने काफ़ी तरक्की की है. इसमें हिंदू धर्म या उसके अनुयायियों का कोई ख़ास कमाल नहीं है. यह कहना कि ब्रिटेन को भी हिंदू धर्म का लोहा मानना पड़ा, हीनता ग्रंथि की अभिव्यक्ति ही है.
विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधान तैयार करने के लिए राज्यसभा ने गृह मंत्रालय को 31 दिसंबर 2022, जबकि लोकसभा ने नौ जनवरी 2023 तक का समय दिया है. यह सीएए के प्रावधान तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को दिया गया सातवां विस्तार है.
सवर्ण समाज झूठ बोलता रहा है कि वह समानता के उसूल को मानता है. उसने किसी भी स्तर पर दलितों के साथ साझेदारी से इनकार किया. दलितों का हिंदू बने रहना मात्र एक जगह उपयोगी है- कि ‘मुसलमान, ईसाई’ के प्रति द्वेष और घृणा पर आधारित राजनीति के लिए ऐसे हिंदुओं की संख्या बढ़ती रहनी चाहिए.
घटना गुड़गांव के भोरा कलां गांव की है, जहां बुधवार को 200 से अधिक लोगों ने एक मस्जिद में तोड़फोड़ की, वहां नमाज़ अदा कर रहे लोगों पर हमला किया तथा उन्हें गांव से निकालने की धमकी दी. बताया गया है कि गांव में मुस्लिम परिवारों के चार घर हैं.
संघ की स्वतंत्रतापूर्व भूमिकाओं की याद दिलाते रहना पर्याप्त नहीं है- उसके उन कृत्यों की पोल खोलना भी ज़रूरी है, जो उसने तथाकथित प्राचीन हिंदू गौरव के नाम पर आज़ादी के साझा संघर्ष से अर्जित और संविधान द्वारा अंगीकृत समता, बहुलता व बंधुत्व के मूल्यों को अपने कुटिल मंसूबे से बदलने के लिए बीते 75 वर्षों में किए हैं.
सीमापुरी से विधायक राजेंद्र पाल गौतम ने दशहरे पर हुए बौद्ध धर्म अपनाने के कार्यक्रम पर छिड़े विवाद को लेकर कहा कि भाजपा को आंबेडकर और उनकी 22 प्रतिज्ञाओं पर आपत्ति है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे इसलिए इस्तीफ़ा दे रहे हैं ताकि उनकी वजह से अरविंद केजरीवाल और पार्टी पर कोई आंच न आए.
हिंदुओं को यह सोचने की ज़रूरत है कि आखिर क्यों हिंदू ही धर्म परिवर्तन को बाध्य होता है? क्यों उसमें रहना दलितों के लिए सचमुच एक अपमानजनक अनुभव है? क्यों हिंदू इसकी याद दिलाए जाने पर अपने भीतर झांककर देखने की जगह सवाल उठाने वाले का सिर फोड़ने को पत्थर उठा लेता है?
काशी विद्यापीठ द्वारा एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गेस्ट लेक्चरर पर की गई कार्रवाई किसी एक संस्था के किसी एक शिक्षक के ख़िलाफ़ उठाया गया क़दम नहीं है बल्कि आज के भारत में हो रही घटनाओं की एक कड़ी है. यह आरएसएस की गिरफ़्त में बिना सचेत हुए लगातार बीमार होते जा रहे हिंदू समाज की दयनीयता का प्रमाण है.
गांधी ने लिखा था कि कभी अगर देश की 'विशुद्ध संस्कृति' को हासिल करने का प्रयास हुआ तो उसके लिए इतिहास फिर से लिखना होगा. आज ऐसा हो रहा है. यह साबित करने के लिए कि यह देश सिर्फ़ हिंदुओं का है, हम अपना इतिहास मिटाकर नया ही इतिहास लिखने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रवासी कश्मीरी पंडितों के चार प्रमुख संगठनों की ओर से कहा गया है कि न्याय के मुद्दों और मांगों को लेकर सरकार से तुरंत संपर्क किया जाएगा. कश्मीर के हिंदुओं के नरसंहार को नकारने में योगदान देने वाली कोई भी नीति वास्तव में मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है, इसे तुरंत रोका जाना चाहिए.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना जन्माष्टमी के अवसर पर हिंदू समुदाय के नेताओं से बातचीत की और अन्य धर्मों में विश्वास रखने वाले लोगों से अनुरोध किया कि वे अपने आपको अल्पसंख्यक न मानें. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि सभी धर्मों के लोग समान अधिकारों के साथ रहें.
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में सत्तारूढ़ भाजपा के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान पर सवाल उठाते हुए और हिंदुओं से भाजपा के इस अभियान का बहिष्कार करने की अपील करते हुए नज़र आ रहे हैं. पुलिस ने कहा कि वीडियो की छानबीन कर क़ानून की उपयुक्त धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी.
गोवा में 10 अप्रैल को रामनवमी की रैली के दौरान हुई हिंसा के संबंध में 'सिटिजंस फॉर इनिशिएटिव्स फॉर कम्युनल हार्मनी' नामक संगठन ने एक फैक्ट-फाइंडिंग टीम वहां भेजी थी, जिसके निष्कर्ष बताते हैं कि रैली में आयोजकों ने नियमों का उल्लंघन किया था, बावजूद इसके उनके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं हुई.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इस बात पर भी अफ़सोस जताया कि राजनीतिक कारणों से लोगों को क़ैद करने की औपनिवेशिक प्रथा भारत को आज़ादी मिलने के दशकों बाद भी जारी है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक अवसरवाद के कारण हिंदुओं और मुसलमानों के सह-अस्तित्व में दरार पैदा की जा रही है.