रफ़ीक़ शादानी ने कभी लिखा था कि ‘का कहिकै चंदा मंगिहैं, जनता से छल-बल का करि हैं, जब राम कै मंदिर बनि जाए, तब जोसी सिंघल का करिहैं?’ शादानी के 'जोसी सिंघल का करिहैं' वाले सवाल से अयोध्या के भाजपा व विहिप कार्यकर्ता भी दो चार हैं.
जिस भी समाज में धर्मभीरुता बढ़ जाती है, उससे अपने धर्म के उदात्त मूल्यों की हिफाजत संभव नहीं हो पाती. पहले वह बर्बरता, बीमारी व असामाजिकता के सन्निपातों, फिर अनेक असली-नकली असुरक्षाओं से पीड़ित होने लग जाता है.
लोकसभा चुनाव में हार को अति आत्मविश्वास का नतीजा बताने वाले योगी आदित्यनाथ उपचुनावों में भाजपा को वांछित जीत दिला देंगे तो माना जाएगा कि उनकी लोकप्रियता का लिटमस टेस्ट हो गया. वहीं, विपक्षी गठबंधन को साबित करना है कि आम चुनाव में उसकी बढ़त तुक्का नहीं थी.
मुसलमानों पर हिंसा करने वाले हिंदू कम हो सकते हैं. लेकिन एक सच यह भी है कि हिंदुओं में बहुलांश को मुसलमानों पर हिंसा से फ़र्क नहीं पड़ता.
दिल्ली स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय को भारतीय न्यायशास्त्र पर केंद्रित एलएलबी कार्यक्रम शुरू करने की अनुमति मिली है, जिसके पाठ्यक्रम में मनुस्मृति के चुनिंदा हिस्से को पढ़ाया जाएगा.
पुस्तक समीक्षा: धीरेन्द्र के. झा की ‘गांधी का हत्यारा गोड़से' किताब से आरएसएस के उस दुरंगेपन की पहचान अब बहुत आसान हो गई है जिसके तहत कभी वह नाथूराम से पल्ला छुड़ाता है और कभी उसका ‘यशगान’ करने वालों को अपना नया 'आइकाॅन' बना लेता है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने का ठेका न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को, न भाजपा को, न किसी राजनेता को मिला हुआ है. ये सभी स्वनियुक्त ठेकेदार हैं, जिनका सामाजिक आचरण हिंदू धर्म के बुनियादी सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.
दिल्ली विश्वविद्यालय का विधि संकाय अपने स्नातक कार्यक्रम में उस संस्कृत ग्रंथ 'मनुस्मृति' को शामिल करने की योजना बना रहा है, जिसे जलाकर भारत के पहले क़ानून मंत्री डॉ. बीआर अंबेडकर ने समाज में मौजूद जाति व्यवस्था का विरोध किया था.
परंपरा पर जो दबाव हिंदी अंचल पर पड़े हैं, वे केरल या महाराष्ट्र में नहीं थे. वहां परंपरा अधिक सजीव रही है, सुरक्षित रही है और उसे आत्म विस्तार, आत्माविष्कार का अवसर मिलता रहा. यहां बार-बार आक्रमण होते रहे हैं. इसलिए यहां की संस्कृति अस्थिर है. इसके जो दुष्परिणाम हैं, उनमें से एक है हिंदुत्व.
पुस्तक अंश: सावरकर 1934 से नियमित याचिकाएं लगाते रहे थे इस वादे के साथ कि वे राजनीति में जाने के बाद भी क़ानून का हर तरह पालन करते रहेंगे.
वह क़रीब पचपन के थे, जब अंग्रेजों ने मई 1937 में उनके राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से पाबंदियां हटाईं.
सवर्णों ने इस विमर्श को केंद्र में ला दिया है कि ओबीसी और दलित हिंदुत्व के रथी हो गए हैं. यह विमर्श इस तथ्य को कमज़ोर करना चाहता है कि ऊंची जातियां हिंदुत्व का केंद्र हैं, उसे विचार और ताक़त देती हैं. आज भाजपा यदि अपने विस्तार के अंतिम बिंदु पर दिखाई देती है तो उसकी वजह यह है कि वह गैर-ब्राह्मण समूहों में अपेक्षित पकड़ नहीं बना पाई है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदुत्व के प्रतिपादक और उसके अनुयायी किसी हिंदू अध्यात्म या चिंतन परंपरा का कभी उल्लेख नहीं करते. असल में तो हिंदुत्व एक शुद्ध राजनीतिक विचारधारा है जो धर्म में घुसपैठ कर रही है.
अटल बिहारी वाजपेयी ने कभी कहा था कि ‘अरबों की जिस ज़मीन पर इज़रायल क़ब्ज़ा करके बैठा है वह उसे खाली करनी होगी.’ उस विवेक से हम ऐसी संस्कृति तक आ पहुंचे हैं, जहां अमानवीय इज़रायली हिंसा के बावजूद भारतीय जनमानस का एक बड़ा हिस्सा उसके प्रति चुप्पी या समर्थन का भाव रखे हुए है.
लोकसभा चुनाव के प्रचार के कई भाजपा नेता संविधान बदलने के लिए बहुमत हासिल करने की बात दोहरा चुके हैं. उनके ये बयान नए नहीं हैं, बल्कि संघ परिवार के उनके पूर्वजों द्वारा भारतीय संविधान के प्रति समय-समय पर ज़ाहिर किए गए ऐतराज़ और इसे बदलने की इच्छा की तस्दीक करते हैं.
जेएनयू के नौजवानों ने छात्रसंघ चुनाव के नतीजों में दिखा दिया है कि सत्ता प्रतिष्ठान और हिंदुत्व के आक्रमण के बावजूद वह वैचारिक मज़बूती के साथ खड़ा हुआ है.