जन गण मन की बात की 140वीं कड़ी में विनोद दुआ अर्थव्यवस्था पर अरुण जेटली की प्रेस कॉन्फ्रेंस और गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रो-रो फेरी सेवा शुरू करने पर चर्चा कर रहे हैं.
पुण्यतिथि विशेष: 13 वर्ष की उम्र में ही स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने वाले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सीताराम केसरी के पास लगभग 35 वर्षों तक सांसद और तीन सरकारों में मंत्री रहने के बावजूद दिल्ली में अपना घर नहीं था.
आरबीआई का यह बयान ऐसे समय आया है जब ख़बर थी कि बैंक खाते को आधार से जोड़ना अनिवार्य नहीं है.
जन गण मन की बात की 139वीं कड़ी में विनोद दुआ भारत में स्वास्थ्य सेवा और जीएसटी पर प्रधानमंत्री के बयान पर चर्चा कर रहे हैं.
लैंसेट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक 2015 में दुनिया भर में प्रदूषण से लगभग 90 लाख लोगों की मौत हुई.
जन गण मन की बात की 138वीं कड़ी में विनोद दुआ आधार कार्ड की अनिवार्यता और भारत में भ्रूण परीक्षण पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 137वीं कड़ी में विनोद दुआ प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में दिए गए भाषण और भारत में भुखमरी पर चर्चा कर रहे हैं.
ऐसी पीढ़ी तैयार करने की कोशिश हो रही है जो नफ़रत पर आधारित हो. पहले इतिहास में दुश्मन पैदा करें फिर उससे लड़ें. ऐसे इतिहास का असर हम पाकिस्तान को देखकर समझ सकते हैं.
जन गण मन की बात की 136वीं कड़ी में विनोद दुआ ताजमहल पर जारी राजनीति और आरएसएस से जुड़े मज़दूर संघ द्वारा मोदी सरकार की आलोचना पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 135वीं कड़ी में विनोद दुआ सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी के साथ कार्यस्थलों पर होने वाले यौन प्रताड़ना पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 134वीं कड़ी में विनोद दुआ गुजरात और हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव और दिवाली पर कारोबार में मंदी पर चर्चा कर रहे हैं.
लोहिया ने नेहरू जैसे प्रधानमंत्री को यह कहकर निरुत्तर कर दिया था कि आम आदमी तीन आने रोज़ पर गुज़र करता है, जबकि प्रधानमंत्री पर रोज़ाना 25 हज़ार रुपये ख़र्च होते हैं.
जन गण मन की बात की 133वीं कड़ी में विनोद दुआ अयोध्या में सरयू तट पर राम की प्रतिमा बनाने और देश में बुज़ुर्गों की स्थिति पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 132वीं कड़ी में विनोद दुआ, जय अमित शाह-रॉबर्ट वाड्रा और दिल्ली-एनसीआर में पटाखा बिक्री पर रोक के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.