जयपुर के सांगानेर में छह दशकों से संचालित संपूर्णानंद ओपन जेल की ज़मीन राजस्थान सरकार ने एक सेटेलाइट अस्पताल बनाने के लिए चिकित्सा विभाग को आवंटित की है.
भारतीय निर्वाचन आयोग ने यह फ़ैसला बिश्नोई समाज के त्योहार आसोज अमावस्या को ध्यान में रखकर लिया है, जो 1 अक्टूबर से 3 अक्टूबर के बीच मनाया जाएगा. हरियाणा के साथ ही, जम्मू-कश्मीर में भी अब मतगणना 4 अक्टूबर की जगह 8 अक्टूबर को होगी.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि बांग्लादेश में उथल-पुथल के कारण कुछ परियोजनाओं पर काम रुका हुआ है. एक बार जब हालात स्थिर हो जाते हैं तो हम पड़ोसी देश से बात करेंगे.
वीडियो: महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों, बलात्कार, शोषण आदि के लगातार सामने आ रहे मामलों के बीच ऐसे अपराधियों को फांसी देने की मांग भी उठ रही है, पर क्या इससे अपराध कम होंगे? इस बारे में दिल्ली हाईकोर्ट की वकील वारिशा फरासत और द क्विंट की पत्रकार हिमांशी दहिया से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
डॉ. बीआर आंबेडकर को संविधान सभा में कांग्रेस ने नहीं भेजा था. उन्हें इस सभा में शामिल करने का श्रेय उनके मित्र जोगिंदर नाथ मंडल को जाता है.
शेख हसीना के तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की अल्पसंख्यक राजनीति विभाजित हो गयी है. कुछ हिंदू कहते हैं कि तख्तापलट के दौरान और उसके बाद अल्पसंख्यकों पर हमले तेज हो गये हैं, और कुछ दावा करते हैं कि ये आरोप बेबुनियाद हैं और माहौल को भड़काने के लिए हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की और बाद में उसे वापस ले लिया, क्योंकि नए उम्मीदवारों और हाल ही में भाजपा में शामिल हुए लोगों के चयन को लेकर पुराने नेताओं में असंतोष है.
राणा दासगुप्ता बांग्लादेश के प्रमुख अल्पसंख्यक नेता हैं. द वायर हिंदी से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद 52 ज़िलों में अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की कम से कम 205 घटनाएं हुई हैं.
किसी भी देश में बहुसंख्यकवाद हो, उसका प्रभाव दूसरे देश की प्रगति को बाधित करेगा. दोनों देशों की छवियां भी इससे प्रभावित होंगी. यदि भारत और बांग्लादेश में से एक में भी धर्मनिरपेक्षता ख़त्म होती है तो ऊपर से चाहे जितने भी समझौते कर लिए जाएं, कभी अमन क़ायम नहीं हो सकता.
बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके सभी अंग विकसित हो रहे हैं, हालांकि बढ़ती हुई असमानता आज भी चिंता का विषय है.
हालिया सालों में कई दक्षिण एशियाई देशों में हिंसक तरीके से सरकारें गिराई गई हैं. अपने पड़ोस में भारत की कूटनीतिक विफलताएं क्या रहीं? क्या भारत कुछ अलग कर सकता था? इस बारे स्वतंत्र पत्रकार और विदेश मामलों की विशेषज्ञ निरुपमा सुब्रमण्यम से द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज की बातचीत.
बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.
भारत के लिए आवश्यक है कि वह बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी पार्टियों से अच्छे संबंध कायम करे. यह रेखांकित करना चाहिए कि विपक्ष को 40 फीसदी मतदाताओं का समर्थन है
हाल के वर्षों में घरेलू और आयातित सौर मॉड्यूल के बीच मूल्य अंतर काफी बढ़ गया है. वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 6% की तुलना में, घरेलू मॉड्यूल वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 50% अधिक महंगे हो गए,जबकि वित्तीय वर्ष 2025 की पहली तिमाही में लगभग दोगुने महंगे हो गए.