सरकार के बिना सोच-विचार के लिए गए फ़ैसले के चलते देश में बेरोज़गारी चरम पर: मनमोहन सिंह

केरल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के विकास पर दृष्टिपत्र पेश करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि संघवाद और राज्यों के साथ नियमित परामर्श भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीति का आधार स्तंभ है, जो संविधान में निहित है, पर मौजूदा केंद्र सरकार ने इससे मुंह मोड़ लिया है.

अर्थव्यवस्था तकनीकी रूप से मंदी में, दूसरी तिमाही की जीडीपी में 7.5 फीसदी की गिरावट

आने वाले समय में बेहतर उपभोक्ता मांग से इसमें और सुधार की उम्मीद जताई जा रही है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. अगर दो तिमाहियों में अर्थव्यवस्था में गिरावट रहे तो उस अर्थव्यवस्था को मंदी में कहा जाता है.

थोक मुद्रास्फीति अक्टूबर में बढ़कर 1.48 प्रतिशत पर आई, आठ माह का उच्चतम स्तर

इस साल फरवरी के बाद थोक मुद्रास्फीति का यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. फरवरी में यह 2.26 प्रतिशत पर थी. सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 1.32 प्रतिशत और पिछले साल अक्टूबर में शून्य पर थी.

पहली बार देश मंदी में, दूसरी तिमाही में जीडीपी 8.6 प्रतिशत गिरने का अनुमान: आरबीआई

आरबीआई के रिसर्चर द्वारा तैयार की गई अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तकनीकी रूप से 2020-21 की पहली छमाही में अपने इतिहास में पहली बार आर्थिक मंदी में चला गया है.

प्रधानमंत्री मोदी को भारत को कमतर दिखाने वाले आंकड़ों पर ध्यान देने की ज़रूरत है

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अनुमान जताया था कि भारत की जीडीपी 2020 में -10.3 फीसदी रह सकती है जबकि उनके अनुमान के मुताबिक़ साल 2021 में प्रति व्यक्ति जीडीपी के मामले में बांग्लादेश भारत को पीछे छोड़ देगा.

भारत को सबसे कमज़ोर लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर प्रमुखता से ध्यान देना चाहिए: आईएमएफ

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंधन निदेशक क्रिस्टिलीना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमज़ोर लोगों की सुरक्षा करने, उन्हें सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगों की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि एक देश के रूप में उनकी इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में हार न हो.

जीडीपी में इस साल 9.5 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान: आरबीआई

मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन चली समीक्षा बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था में आई गिरावट अब पीछे रह गई है और उम्मीद की किरण दिखने लगी है. इससे पहले विश्व बैंक ने भी चालू वित्त वर्ष में देश की जीडीपी में 9.6 प्रतिशत गिरावट का अनुमान लगाया है.

टोयोटा और हार्ले: क्या भारत में टैक्स और संस्थागत मांग को लेकर समस्याएं हैं?

वर्तमान आर्थिक स्थिति में भारत वैश्विक कंपनियों के लिए एक कम आकर्षक बाज़ार बन रहा है, जिसके संरचनात्मक रूप से ठीक होने में समय लग सकता है. कई वैश्विक ब्रांड भारत में या तो बड़े पैमाने पर निवेश घटाना चाहते हैं या अर्थव्यवस्था को देखते हुए आगे विस्तार के लिए निवेश नहीं कर रहे हैं.

इस्पात, सीमेंट, बिजली जैसे आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन अगस्त में 8.5 प्रतिशत घटा

कोयला और उर्वरक को छोड़कर अन्य सभी क्षेत्रों में अगस्त 2020 में गिरावट रही. कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पादों, इस्पात, सीमेंट और बिजली सभी छह क्षेत्रों के उत्पादन में इस दौरान कमी आई है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के अनुमान क्या वास्तविक तस्वीर दिखा रहे हैं

मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार होने के आशावादी अनुमानों का समर्थन न करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सतर्क किया है कि अर्थव्यवस्था में धीरे-धीरे सुधार होगा.

प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ ‘राष्ट्रीय बेरोजगारी दिवस’

17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70वें जन्मदिन के अवसर पर ट्विटर पर दिनभर कई ऐसे हैशटैग ट्रेंड करते रहे, जिनके माध्यम से ट्विटर यूज़र्स ने देश में बढ़ती बेरोज़गारी और गहरे आर्थिक संकट की तरफ इशारा करते हुए प्रधानमंत्री से जवाब मांगा.

बदहाल अर्थव्यवस्था को कृषि के ज़रिये उबारने की आशाओं के बीच ग्रामीण क्षेत्र में संकट के संकेत

ग्रामीण क्षेत्र में प्रमुख फसलों को छोड़कर बागवानी, दूध और मुर्गी पालन के बाज़ार मूल्य में गिरावट देखने को मिल रही है. प्रवासियों के अपने घरों को लौटने के कारण शहर से पैसे भेजने की दर में काफी कमी आई है, जिसके कारण आने वाले समय में इस क्षेत्र की वृद्धि थम सकती है.

कोरोना संकट के चलते 15.5 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट लोन जोख़िम में: रिपोर्ट

ऋण पुनर्गठन के लिए वित्तीय मापदंड बनाने वाली केवी कामथ समिति ने कहा है कि बैंकिंग ऋण का 23.71 लाख करोड़ रुपये या बैंकिंग क्षेत्र का 45 प्रतिशत ऋण कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर से पहले ही ख़तरे में था.

गर्त में जीडीपी: मोदी के ‘सब चंगा सी’ रवैये से इस संकट का हल नहीं निकलेगा

मुख्य आर्थिक सलाहकार आश्वस्त कर रहे हैं कि सरकार के पास भविष्य में सही समय पर जारी करने के लिए काफी संसाधन हैं. लेकिन सौ सालों में एक बार आने वाले आर्थिक संकट का सामना कर रही अर्थव्यवस्था के पास बस एक ही चीज़ की किल्लत होती है और वह है समय.

‘एक्ट ऑफ गॉड’ का दावा कर वित्त मंत्री ने कहा, इस वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में हो सकता है संकुचन

जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है. उन्होंने इसकी भरपाई के लिए राज्यों को दो विकल्प सुझाए हैं.

1 3 4 5 6 7 15