'आदिपुरुष' न केवल ख़राब ढंग से बनी फिल्म है, बल्कि इसने हर तरह के लोगों को नाराज़ किया है.
ओम राउत के निर्देशन में बनी हिंदी फिल्म ‘आदिपुरुष’ बीते 16 जून को रिलीज़ होने के साथ अपने संवादों, किरदारों के चरित्र चित्रण और तथ्यों की वजह से विवादों में है. फिल्म में सीता को ‘भारत की बेटी’ बताने वाले संवाद पर नेपाल की राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर के मेयरों ने नाराज़गी जताई है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि अगर किसी को किसी फिल्म से कोई दिक्कत है तो उसे संबंधित सरकारी विभाग से बात करनी चाहिए जो मुद्दे को फिल्म निर्माताओं के साथ उठा सकता है. कभी-कभी माहौल बिगाड़ने के लिए कुछ लोग पूरी तरह जानने से पहले ही उस पर टिप्पणी कर देते हैं.
अरुण बाली को धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ और फिल्म ‘3 इडियट्स’ में निभाए उनके किरदार के लिए काफी सराहना मिली थी. वह ‘राजू बन गया जेंटलमैन’, ‘खलनायक’, ‘सत्या’, ‘हे राम’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’, ‘बर्फी’, ‘मनमर्ज़ियां’, ‘केदारनाथ’, ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और ‘लाल सिंह चड्ढा’ जैसी फिल्मों में भी नज़र आए थे.
अपनी हालिया फिल्म तानाजी को लेकर अभिनेता सैफ़ अली ख़ान ने कहा कि एक अभिनेता के रूप में फिल्म में उनका किरदार बहुत अच्छा है, लेकिन फिल्म में जो दिखाया गया है, वो इतिहास नहीं है. अंग्रेज़ों के आने से पहले ‘इंडिया’ का कोई कॉन्सेप्ट नहीं था.
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक ने भारतीय उत्पादों और भारतीय कलाकारों वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के साथ भारतीय फिल्मों की बिक्री पर रोक लगा दी है. कई दुकानों में छापे मारकर भारतीय फिल्मों की सीडी जब्त की गई हैं.
वीडियो: जातिगत भेदभाव पर आधारित फिल्म ‘आर्टिकल 15’ के निर्देशक अनुभव सिन्हा से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
पाकिस्तानी सूचना एवं प्रसारण मंत्री चौधरी फ़वाद हुसैन ने बताया कि पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी को भारतीय विज्ञापनों पर भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
मृणाल सेन का सिनेमा कलात्मक और बौद्धिक संवेदना का नायाब संयोजन था. वह चाहते थे कि सिनेमा उपेक्षितों के पास और सुदूर देहातों में पहुंचे. उन्हें ‘नए सिनेमा’ से यह उम्मीद थी. उनकी फिल्म देखने के बाद बहुत देर तक उसकी छवियां बेताल की तरह सिर पर नाचती रहती हैं.
रांझणा, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों जैसी फिल्मों में काम करने वाली सुजाता गायिका सुचित्रा कृष्णमूर्ति की बहन थीं. वह मेटास्टैटिक कैंसर के चौथे चरण से जूझ रही थीं.
सत्यजीत रे ने देश की वास्तविक तस्वीर और कड़वे सच को बिना किसी लाग-लपेट के ज्यों का त्यों अपनी फिल्मों में दर्शाया. 1943 में बंगाल में पड़े अकाल को उन्होंने ‘पाथेर पांचाली’ दिखाया तो वहीं ‘अशनि संकेत’ में अकाल की राजनीति और ‘घरे बाइरे’ में हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद पर चोट की.
जयंती विशेष: 1944 में उनकी एक गुमनाम शख़्स की तरह मौत हो गई जबकि तब तक उनका शुरू किया हुआ कारवां काफी आगे निकल चुका था. फिल्मी दुनिया की बदौलत कुछ शख़्सियतों ने अपना बड़ा नाम और पैसा कमा लिया था. घुंडीराज गोविंद फाल्के को हम आम तौर पर दादा साहब फाल्के के नाम से जानते हैं. भारतीय सिनेमा की शुरुआत करने वाले इस शख्स की पहचान सिर्फ आज एक अवॉर्ड के नाम तक महदूद रह गई है. भारत सरकार
साल 1913 में आज ही के दिन (03 मई) भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र प्रदर्शित की गई थी. इस मूक फिल्म को दादा साहेब फाल्के ने बनाया था.
अगर बेग़म जान या पाकिस्तान के बाहर विभाजन पर बनी कोई भी फिल्म सरकार को इतना डरा देती है कि उसे बैन करने से पहले देखना तक ज़रूरी नहीं समझा जाता, तो यह दिखाता है कि ये मुल्क किस कदर असुरक्षा और डर में जी रहा है.