स्मृति शेष: लता मंगेशकर की अविश्वसनीय सफलता के पीछे उनकी आवाज़ की नैसर्गिक निश्छलता और सरलता का बहुत बड़ा हाथ है. जिस प्रकार उनकी आवाज़ हर व्यक्ति, समुदाय और वर्ग के लोगों को समान रूप से प्रभावित करने में सफल होती है वह इस बात का सूचक है कि वो आवाज़ अपने दैहिक कलेवर से उठकर आत्मा में निहित मानवीयता को स्पंदित करने में सक्षम हो जाती है.
एक देश में इतना थूक कब आता है? तब, जब थूक विशेषज्ञ अपने आराध्य राम, जिन्होंने शबरी के झूठे बेर खाए थे, के नाम पर झूठ फैलाते हैं. जब एक भरा-पूरा समाज अपने मूल्यों से ख़ाली हो जाता है, उसकी शर्म खोखली और आदर्श बौने हो जाते हैं, तब जब उसकी हर छोटी-बड़ी नैतिकता की ख़त्म हो जाती है.
प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में शामिल हुए बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान को मुस्लिम धर्म की परंपराओं के अनुरूप दुआ पढ़ते हुए कुछ देर के लिए अपना मास्क नीचे कर हवा में फूंक मारते देखा गया था. इसका वीडियो शेयर करते हुए भाजपा के कुछ नेताओं ने इस ‘फूंक’ को ‘थूक’ बताया था. सांप्रदायिकता का आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया यूज़र्स ने ऐसे नेताओं की निंदा की है.
स्मृति शेष: लता मंगेशकर समय की रेत पर उकेरा गया वो गहरा निशान है जिसे गुज़रती घड़ियों की लहरें और गाढ़ा करती जाती हैं.
भारत में लता मंगेशकर को व्यापक रूप से सबसे महान और सबसे सम्मानित पार्श्व गायिकाओं में से एक माना जाता था. भारतीय संगीत उद्योग में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘क्वीन ऑफ मेलोडी’ जैसी उपाधियां भी दी गई थीं.