जीएसटी परिषद ने छोटे कारोबारियों को जीएसटी से राहत देते हुए छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये वार्षिक कर दिया है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है.
जीएसटी रेट एक टैक्स से शुरू होता है और बाद में कई टैक्स आ जाते हैं या बढ़ने लगते हैं. या फिर कई टैक्स से शुरू होकर एक टैक्स की ओर जाता है. इसका मतलब है कि एक टैक्स को लेकर कोई ठोस समझ नहीं है. शायद जनता का मूड देखकर टैक्स के प्रति समझदारी आती है.
सुरजीत भल्ला का इस्तीफ़ा ऐसे समय में आया है जब बीते 15 महीनों में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल, नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम समेत 3 अर्थशास्त्री सरकार का साथ छोड़ चुके हैं.
रिज़र्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को कम कर 3.9 से 4.5 प्रतिशत कर दिया है.
भाजपा के लिए प्रचार करने के सवाल पर योगगुरु रामदेव ने कहा, ‘मैं क्यों करूंगा, मैं उनके लिए प्रचार नहीं करूंगा.’
अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा, धान के एमएसपी में 200 रुपये की वृद्धि किसानों के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मुद्रास्फीति मई में 14 महीने के उच्चतम स्तर 4.43 प्रतिशत पर पहुंच गई है. पिछले साल मई महीने में यह 2.26 प्रतिशत थी.
पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि अर्थव्यवस्था के चार टायरों में से तीन- निर्यात, निजी निवेश और निजी उपभोग- पंक्चर हो चुके हैं. यह स्थिति सरकार की ग़लत नीतियों के चलते पैदा हुई. भाजपा ने चिदंबरम के आरोपों को बेबुनियाद बताया.
मोदी सरकार आने के बाद पहली बार रिज़र्व बैंक ने रेपो दरों में 0.25 फीसदी का इज़ाफ़ा किया है. अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट 6 प्रतिशत है.
निजी निवेश अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर है और सुधार का भी कोई संकेत नहीं दिख रहा है.
ईंधन, सब्जियों तथा अंडों के दाम बढ़ने से नवंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गई.
नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू होने से शादियों की ख़रीददारी महंगी हुई है. शादियों के लिए टेंट बुकिंग, फोटोग्राफी, खाने-पीने की सेवाएं सभी 10 से 15 प्रतिशत तक महंगी हो जाएंगी.
रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि जब तक राज्य सरकारों का बजट ऋण माफी के लिए राजकोषीय गुंजाइश की अनुमति नहीं देता है, इस प्रकार का क़दम जोख़िमपूर्ण होगा.
‘किसानों के छोटे क़र्ज़ से दिक्कत है, उन उद्योगपतियों से नहीं जो हज़ारों करोड़ का लोन डकार जाते हैं’
कृषि, रोज़गार और महंगाई समेत दूसरे आर्थिक मसलों पर द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से अमित सिंह की बातचीत.