इंटरनेट बैन के लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली दलीलें क़ानून में परिभाषित नहीं: संसदीय समिति

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर बनी संसदीय समिति को बताया कि केंद्र व राज्य सरकारें 'सार्वजनिक सुरक्षा' और 'सार्वजनिक आपातकाल' की दलील देकर इंटरनेट प्रतिबंधित करते हैं, लेकिन भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम में ये शब्दावली परिभाषित नहीं है. समिति की रिपोर्ट के अनुसार, परिभाषा के अभाव के चलते प्रशासन आए दिन रोज़मर्रा के पुलिस एवं प्रशासनिक कामों के लिए भी इसका सहारा ले रहा है.

राजस्थान: सरकारी परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक अभ्यर्थियों के लिए नौकरी से बड़ी चुनौती बन गए हैं

बीते कुछ सालों में राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित लगभग हर बड़ी परीक्षा किसी न किसी विवाद में फंसी है, जिससे राज्य के युवाओं को सरकारी नौकरियां पाने के लिए अंतहीन इंतज़ार करना पड़ रहा है.

फ्रीडम हाउस रिपोर्ट में इंटरनेट पाबंदी, नए आईटी नियमों को लेकर भारत सरकार पर निशाना साधा

फ्रीडम ऑफ द नेट रिपोर्ट डिजिटल प्लेटफॉर्म मानवाधिकारों की स्थिति का वार्षिक विश्लेषण करती है. इस रिपोर्ट के 11वें संस्करण के तहत जून 2020 से मई 2021 के बीच 70 देशों में 88 फीसदी वैश्विक इंटरनेट यूज़र्स को शामिल किया गया है. रिपोर्ट कहती है कि लगातार ग्यारहवें वर्ष वैश्विक स्तर पर इंटरनेट स्वतंत्रता कम हुई है.

इंटरनेट पर रोक शासनों का पसंदीदा उपाय बन गया है: डिजिटल अधिकार समूह

डिजिटल अधिकार समूहों का कहना है कि दुनिया भर में इंटरनेट को बंद करना दमनकारी और निरंकुश शासनों और कुछ अनुदार लोकतंत्रों की एक लोकप्रिय रणनीति बन गई है. सरकारें इसका उपयोग असहमति की आवाज़, विरोधियों की आवाज़ दबाने या मानवाधिकारों के हनन को छुपाने के लिए करती हैं.

संसदीय समिति ने सरकार द्वारा विभिन्न मौकों पर इंटरनेट बंद करने के मामलों को कम करने पर चर्चा की

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अधिकारियों के प्रेजेंटेशन के बाद सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य इस आम सहमति पर पहुंचे कि देश में इंटरनेट शटडाउन पर निर्भरता कम होनी चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों का भी ख़्याल किया जाना चाहिए.

वर्ष 2017-18 में भारत में सबसे अधिक बार इंटरनेट सेवा रोकी गई: यूनेस्को

यूनेस्को इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट की दक्षिण एशिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट, 2017-18 में कहा गया है कि इंटरनेट सेवा बंद करने की घटनाएं विश्व भर में बढ़ रही हैं और यह प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर नियंत्रण का पैमाना है.