गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले की जांच करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्ख़ास्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस फ़ैसले पर रोक से इनकार के आदेश में हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं है.
गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले की जांच करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्ख़ास्त कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक के बाद अब दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बर्ख़ास्तगी के आदेश में उसके हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं है.
गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ के मामले की जांच में सीबीआई की मदद करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को बीते 30 अगस्त को उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बर्ख़ास्त कर दिया गया है. उन्होंने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
2004 में 19 वर्षीय इशरत जहां की अहमदाबाद के बाहरी इलाके में हुई एक मुठभेड़ में मौत हो गई थी. मुठभेड़ को जांच में फ़र्ज़ी पाया गया था और सीबीआई ने सात पुलिस अधिकारियों को आरोपी बताया था. इनमें से तीन को बुधवार को आरोप मुक्त कर दिया गया. इससे पहले तीन अन्य आरोपी अधिकारी बरी किए जा चुके हैं, जबकि एक की बीते साल मौत हो गई थी.
साल 2004 में मुंबई के नज़दीक मुम्ब्रा की रहने वाली 19 वर्षीय इशरत जहां तीन अन्य लोगों के साथ अहमदाबाद के बाहरी इलाके में गुजरात पुलिस की मुठभेड़ में मारी गई थीं. जांच में ये मुठभेड़ फ़र्ज़ी निकली थी. मामले के तीन अन्य आरोपी पुलिसकर्मी- पीपी पांडेय, डीजी वंजारा, एनके अमीन पहले ही आरोपमुक्त किए जा चुके हैं, जबकि जेजी परमार की बीते साल मौत हो गई.
2004 के इशरत जहां फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने विशेष अदालत के निर्देश के बाद गुजरात सरकार से तीन आरोपी पुलिस अधिकारियों पर मुक़दमा चलाने की अनुमति मांगी थी, जिससे राज्य सरकार ने मना कर दिया.
गुजरात में अहमदाबाद शहर के बाहरी इलाके में साल 2004 को गुजरात पुलिस के साथ कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ में इशरत जहां समेत तीन अन्य लोग मारे गए थे. इशरत जहां मुंबई के समीप मुंब्रा की कॉलेज छात्रा थीं.
विशेष सीबीआई जज आरके चुडावाला का स्थानांतरण ऐसे समय में हुआ है जब मुठभेड़ में शेष अभियुक्तों ने आरोपमुक्त किए जाने की अर्जी दाखिल की थी. इससे पहले जज जेके पांड्या ने एक महीने में मामले के दो मुख्य आरोपियों डीजी वंजारा और एनके अमीन को आरोपमुक्त कर दिया था.
गुजरात पुलिस की कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां की मां शमीमा कौसर ने अहमदाबाद में एक विशेष सीबीआई अदालत में कहा कि 15 से अधिक साल बीत गए लेकिन पुलिस अधिकारियों समेत सभी आरोपी जमानत पर हैं. उन्होंने सीबीआई से आरोपियों की दोषसिद्धि सुनिश्चित करने का अनुरोध किया.
इसी साल मार्च में डीजी वंजारा और एनके अमीन ने सीबीआई की विशेष अदालत में एक याचिका दाखिल करते हुए उन्हें तत्काल इस मामले में बरी करने की मांग की थी. इससे पहले गुजरात सरकार ने सीबीआई को दोनों पूर्व अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था.
बीते मार्च में डीजी वंजारा और एनके अमीन ने सीबीआई की विशेष अदालत में एक याचिका दाखिल करते हुए उन्हें तत्काल इस मामले में बरी करने की मांग की थी. इससे पहले गुजरात सरकार ने सीबीआई को दोनों पूर्व अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था.
गुजरात पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी डीजी वंजारा और एनके अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं, जिनके ख़िलाफ़ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए हैं.
साल 2007 में पत्रकार बीजी वर्गीज और गीतकार जावेद अख्तर ने याचिका दायर कर गुजरात में 22 कथित फर्जी मुठभेड़ों की जांच की मांग की थी. उस समय नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री थे.
सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि उसने गुजरात सरकार से मुकदमा चलाने के लिए इजाजत मांगी थी लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.
राज्य सरकार ने 2004 में इशरत जहां मुठभेड़ मामले में ज़मानत पर बाहर आईपीएस अधिकारी जीएल सिंघल को प्रमोशन देते हुए उन्हें पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के पद पर नियुक्त किया है.