भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि अगर ममता बनर्जी को बांग्लादेशी घुसपैठियों के बल पर ही राजनीति करनी है तो उन्हें बांग्लादेश का प्रधानमंत्री बनना चाहिए.
यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है. माकपा नेता शेख अब्दुल गनी 'धारा 370- सेतु या सुरंग' नाम की किताब को बेच रहे थे, जिसके लेखक मध्य प्रदेश की माकपा इकाई के प्रमुख जसविंदर सिंह हैं.
कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नजीर अहमद रोंगा को जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म करने से एक दिन पहले 4 अगस्त को पीएसए के तहत गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि वे इस निर्णय को लेकर लोगों को प्रभावित कर सकते थे.
श्रीनगर से ग्राउंड रिपोर्ट: मुख्यधारा के मीडिया में आ रही कश्मीर की ख़बरों में से 90 प्रतिशत झूठी हैं. कश्मीर के हालात मामूली प्रदर्शनों तक सीमित नहीं हैं और न ही यहां कोई सड़कों पर साथ मिलकर बिरयानी खा रहा है.
बीते पांच अगस्त को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के निर्णय लिया गया था.
सूचना के इस युग में किसी सरकार का इतनी आसानी से एक पूरी आबादी को बाकी दुनिया से काट देना दिखाता है कि हम किस ओर बढ़ रहे हैं.
आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि एक अलग तरह का इस्लाम है, जो रमज़ान और ईद तक का सम्मान नहीं करता. यह सिर्फ हिंसा फैलाता है. पुलवामा हमले से यह पूरी तरह साफ हो गया. कश्मीरी मुसलमानों को इस तरह के इस्लामिक विचारों से दूर रहना चाहिए.
असुरक्षा का भाव समाज के सैन्यकरण की स्वीकृति का अनिवार्य तत्व होता है. सांप्रदायिक राजनीति उसके भीतर भी असुरक्षा बोध खड़ा करती है जिसके पक्ष में वह दिखना चाहती है और उसके भीतर भी, जिसे वह शत्रु के रूप में चित्रित करती है. कश्मीर में असुरक्षा की भावना का इस्तेमाल कश्मीरी हिंदुओं और कश्मीरी मुसलमानों दोनों के ख़िलाफ़ होता आ रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक़ हो रहे थे, इसलिए जब तक समाज और ग़लत काम कर रहे मर्दों के दिमाग में क़ानून का डर नहीं आएगा, तब तक तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम का कोई नतीजा नहीं निकलेगा.
ऐतिहासिक नज़रिये से देखें, तो इस्लाम और हिंदू धर्म का आमना-सामना दोनों के लिए फायदेमंद ही रहा है.
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इस्लामिक यूथ फेडरेशन ने एक तस्वीर जारी की है, जिसमें औरतों को इस्लाम के पिंजरे में क़ैद पंछी की शक्ल दी गई. बताया गया कि ये पिंजरा ही वो महफ़ूज़ जगह है, जहां औरतें न सिर्फ़ नेकियां कमा सकती हैं बल्कि तमाम 'ज़हरीली' विचारधाराओं से बची रह सकती हैं.
नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में विरोध के बाद एक फैशन शो के रद्द हो जाने से ये सवाल उठता है कि क्यों जामिया का प्रशासन कार्यक्रम के सुरक्षित होने देने की गारंटी न कर सका?
पिछली जनगणना के अनुसार देश में 20 लाख से ज़्यादा महिलाएं अपने पति से अलग रहती हैं, जिन्हें छोड़ा गया है. ऐसा क़ानून आना चाहिए जिससे न केवल मुस्लिम बल्कि इस तरह पत्नियों को छोड़ देने वाले सभी पतियों को सज़ा मिल सके.
पतियों द्वारा एक़तरफा तरीके से छोड़ी गई हर औरत की ज़िंदगी दयनीय है. पिछली जनगणना के अनुसार भारत में कुल 23 लाख परित्यक्त औरतें हैं, जो तलाक़शुदा औरतों की संख्या के दोगुने से ज़्यादा है.
1994 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ‘मस्जिद इस्लाम का अभिन्न भाग नहीं है’ को पुनर्विचार के लिए पांच सदस्यीय पीठ को भेजे जाने के ख़िलाफ़ निर्णय देने वाली तीन सदस्यीय पीठ में शामिल जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर ने बहुमत से अलग राय दी. उन्होंने कहा, ‘इस फैसले को संबंधित धर्म के विश्वास, सिद्धांत और आस्था की रोशनी में जांचा जाना चाहिए.’