पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश क़ाज़ी फैज़ ईसा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने इसी महीने ईशनिंदा के आरोप में सात महीने से क़ैद में रखे गए अहमदिया समुदाय के एक शख़्स को ज़मानत दी थी. इसके बाद उनके आदेश की आलोचना के साथ उन्हें मौत की धमकियों का सामना भी करना पड़ा.
ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने कहा कि संस्था एएसआई सर्वे रिपोर्ट का अध्ययन कर विशेषज्ञों से परामर्श करेगी और फिर अगले कदम पर कोई फैसला लेगी.
यह पता लगाने के लिए कि क्या ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण पहले से मौजूद किसी मंदिर पर किया गया था, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने मस्जिद का अदालत के निर्देश पर सर्वेक्षण किया है. हिंदू पक्ष ने एक याचिका में यहां मंदिर होने दावा किया था. उन्होंने मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी की पूजा के लिए प्रवेश की मांग की है.
बीते महीने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जन स्वास्थ्य का हवाला देते हुए हलाल सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाने वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी. हालांकि, ऐसे उत्पाद में क्या ग़लत है, स्वास्थ्य की दृष्टि से क्या नुकसान हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है.
डेमोक्रेटिक आज़ाद पार्टी और पूर्व कांग्रेस नेता के अध्यक्ष ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा था कि भारत में सभी मुसलमान मूल रूप से हिंदू थे, जिन्होंने कुछ समय पहले ही इस्लाम अपना लिया है. पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि आज़ाद की टिप्पणियां ख़तरनाक और विभाजनकारी हैं.
दक्षिणपंथी स्तंभकार मधु किश्वर के 'मानुषी' ट्रस्ट ने दारुल उलूम देवबंद में 'बहिश्ती ज़ेवर' नाम की किताब पढ़ाए जाने का दावा करते हुए कहा था कि इसमें यौन हिंसा और यौन अपराध को वैध बताने की कोशिश की गई है. हालांकि, सच यह है कि यह किताब दारुल उलूम के पाठ्यक्रम में ही शामिल नहीं हैं.
जून के आख़िर में स्वीडन में क़ुरान जलाने की घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने धार्मिक नफ़रत का मुक़ाबला करने के लिए मसौदा प्रस्ताव अपनाया है. भारत ने इसके पक्ष में मतदान किया है. हालांकि भारत ने क़ुरान जलाने पर अलग से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही कोई निंदा की है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एमएम समूह) के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने संगठन के 34वें महा अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत इस्लाम की जन्मस्थली और मुसलमानों का पहला वतन है. भारत हिंदी-मुसलमानों के लिए वतनी और दीनी, दोनों लिहाज़ से सबसे अच्छी जगह है.
बीते दो फरवरी को बाड़मेर में संतों की एक सभा में बाबा रामदेव ने हिंदू धर्म की तुलना इस्लाम और ईसाई धर्म से करते हुए मुस्लिमों पर आतंक का सहारा लेने और हिंदू लड़कियों का अपहरण करने का आरोप लगाया था.
बीते दिनों हुई पुलिस महानिदेशकों, महानिरीक्षकों की बैठक में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी शामिल थे. यहां राज्यों के सबसे बड़े पुलिस अधिकारी चेतावनी दे रहे थे कि हिंदुत्ववादी रैडिकल संगठन देश के लिए ख़तरा बन गए हैं. हालांकि, यह ख़बर बाहर आते ही सम्मेलन की वेबसाइट से यह रिपोर्ट हटा दी गई.
राजस्थान के बाड़मेर में हिंदू नेताओं की एक सभा में रामदेव को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि मुसलमानों का मानना है कि नमाज़ ‘हिंदू लड़कियों के अपहरण और आतंकवाद’ सहित सभी पापों को धो देती है. ईसाई धर्म के बारे में उन्होंने कहा कि चर्च में जाओ, मोमबत्ती जलानी हो, जलाओ और ईसा मसीह के सामने खड़े हो जाओ, सारे पाप नष्ट हो जाएंगे.
नए साल में असल चिंता का विषय है, भारत में ऐसे हिंदू दिमाग़ का निर्माण जो श्रेष्ठतावाद के नशे में चूर है. मुसलमान मित्रविहीन अवस्था में है. चंद बुद्धिजीवी ही उसके साथ हैं. कश्मीर में मुसलमानों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. असम में उसे कोने में धकेला जा रहा है और पूरे देश में क़ानूनों और ग़ुंडों के गठजोड़ के ज़रिये उसे प्रताड़ित किया जा रहा है.
आज के भारत में ख़ासकर हिंदुओं के लिए ज़रूरी है कि वे ग़ैर हिंदुओं के धर्म, ग्रंथों, व्यक्तित्वों, उनके धार्मिक आचार-व्यवहार को जानें. मुसलमान, ईसाई, सिख या आदिवासी तो हिंदू धर्म के बारे में काफ़ी कुछ जानते हैं लेकिन हिंदू प्रायः इस मामले में सिफ़र होते हैं. बहुत से लोग मोहर्रम पर भी मुबारकबाद दे डालते हैं. ईस्टर और बड़ा दिन में क्या अंतर है? आदिवासी विश्वासों के बारे में तो हमें कुछ नहीं मालूम.
तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के एक उम्मीदवार ने आयोग के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसके तहत उसे परीक्षा में ‘पिछड़ा वर्ग (मुस्लिम)’ न मानते हुए ‘सामान्य श्रेणी’ का माना गया था. याचिकाकर्ता का तर्क था कि चूंकि वह धर्मांतरण के पहले ‘सबसे पिछड़े वर्ग’ से ताल्लुक रखता था, इसलिए धर्मांतरण के बाद उसे इसके तहत लाभ मिलना चाहिए था.
झारखंड के धनबाद ज़िले के सिबलिबाड़ी जामा मस्जिद के मुख्य मौलवी मौलाना मसूद अख़्तर ने कहा कि ये सभी पाबंदियां दो दिसंबर से प्रभावी होंगी. निकाह इस्लाम के हिसाब से होंगे और नाच-गाना, डीजे और पटाखे चलाना नहीं होगा. आदेश का उल्लंघन करने वालों पर 5,100 रुपये का जुर्माना लगेगा.