पेगासस प्रोजेक्ट: पेगासस के ज़रिये सर्विलांस संबंधित लीक हुई सूची में अक्टूबर 2018 में सीबीआई बनाम सीबीआई विवाद का प्रमुख हिस्सा रहे आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के भी नंबर शामिल हैं. संभावित सर्विलांस की सूची में वर्मा के साथ उनकी पत्नी, बेटी व दामाद समेत परिवार के आठ लोगों के नंबर मिले हैं.
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने इज़रायल के पेगासस स्पायवेयर का उपयोग करके राहुल गांधी समेत कई प्रमुख व्यक्तियों की कथित तौर पर जासूसी किए जाने के मामले को लेकर संसद परिसर में केंद्र की मोदी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है. इसके अलावा कांग्रेस ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग करते हुए देश के कई स्थानों पर भी प्रदर्शन किए हैं.
बिलाल लोन और मीरवाइज़ जैसे अलगाववादियों के अलावा निगरानी के संभावित लक्ष्यों की सूची में सरकार की नीतियों की आलोचना करने वाले दिल्ली के एक प्रमुख कार्यकर्ता, कई पत्रकार और मुख्यधारा के कुछ नेताओं के परिवार के सदस्य शामिल हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत कई रिपोर्ट की श्रृंखला में द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा बताया गया है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी के लिए पत्रकारों, नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कुछ सरकारी अधिकारी व कारोबारियों को संभावित टारगेट के तौर पर चुना गया था.
पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर और इसके सहयोगियों द्वारा लीक हुए डेटाबेस की जांच में इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप की ग्राहक अज्ञात भारतीय एजेंसी द्वारा निगरानी के संभावित टारगेट के तौर पर अनिल अंबानी और उनके रिलायंस समूह के एक अधिकारी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले फोन नंबर भी मिले हैं.
पेगासस प्रोजेक्ट: लीक हुए डेटाबेस से पता चला है कि कई तिब्बती अधिकारी, कार्यकर्ता और धर्मगुरु के फोन नंबर 2017 के अंत से 2019 की शुरुआत तक पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये निगरानी के लिए चिह्नित किए गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: असम के दो बड़े नेताओं, एक मणिपुरी लेखक और प्रभावशाली नगा संगठन एनएससीएन-आईएम के कई नेताओं के नंबर उस सूची में दर्ज हैं, जिनके फोन को पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये हैक कर निगरानी करने की संभावना जताई जा रही है.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पेगासस स्पायवेयर विकसित करने वाले इज़रायल के एनएसओ ग्रुप ने अपने एक दस्तावेज़ में स्वीकार किया था कि इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इसके ज़रिये ऐसी जानकारी भी निकाली जा सकती है जो किसी व्यक्ति को ठेस पहुंचाती हो और राष्ट्रीय सुरक्षा या क़ानून के पालन से न जुड़ी हो.
पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा सर्विलांस के संभावित लक्ष्यों वाले लीक डेटाबेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नंबर होने की जानकारी सामने आने के 24 घंटों के अंदर ही फ्रांस ने मामले की जांच के आदेश दिए. वहीं, इज़रायल ने आरोपों की जांच के लिए अंतर-मंत्रालयी टीम गठित की है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपनी इज़रायल इकाई द्वारा जारी एक हिब्रू बयान को ग़लत तरीके से उद्धृत करने, ग़लत अनुवाद करने और ग़लत व्याख्या करने वाली कुछ वेबसाइटों की ख़बरों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है. संगठन की ओर से कहा गया है कि इन ख़बरों का इस्तेमाल मोदी सरकार द्वारा उन आरोपों को ख़ारिज करने के प्रयास में किया जा रहा है कि भारत में एक आधिकारिक एजेंसी पत्रकारों और विपक्षी राजनेताओं की जासूसी कर रही है.
पेगासस प्रोजेक्ट के तहत द वायर समेत 16 मीडिया संगठनों द्वारा की गई पड़ताल दिखाती है कि इज़रायल के एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा स्वतंत्र पत्रकारों, स्तंभकारों, क्षेत्रीय मीडिया के साथ हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर, न्यूज़ 18, इंडिया टुडे, द पायनियर जैसे राष्ट्रीय मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाया गया था.
वीडियो: पेगासस प्रोजेक्ट द्वारा प्राप्त किए गए लीक डेटाबेस में ऐसे कई जाति-विरोधी एवं नामी कार्यकर्ताओं के नंबर शामिल हैं, जिनकी इज़रायल स्थित एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पायवेयर द्वारा निगरानी किए जाने की संभावना है. इसमें आंबेडकरवादी कार्यकर्ता अशोक भारती, जेएनयू के छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य करने वाली बेला भाटिया आदि के नंबर शामिल हैं.
वीडियो: द वायर ने बीते कुछ दिनों में अपनी विभिन्न रिपोर्ट के माध्यम से बताया है कि इज़रायल के पेगासस स्पायवेयर के ज़रिये किस तरह पत्रकारों, नेताओं और सरकारी लोगों के फ़ोन नंबरों को निशाना बनाया गया. पेगासस स्पायवेयर आपके फ़ोन में कैसे भेजा जाता है और इससे कैसे बचा जा सकता है, ये जानकारी दे रहे हैं याक़ूत अली.
पेगासस प्रोजेक्ट: 2018 में महाराष्ट्र की तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रतिबंधित एचटीबीटी कपास की बिक्री को लेकर मोंसैंटो की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. इसी दौरान कंपनी से जुड़े छह वरिष्ठ अधिकारियों के नंबर उस सूची में डाले गए, जिन्हें सर्विलांस के संभावित टारगेट के रूप में चुना गया था.
शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि पेगासस का हमला आपातकाल से भी बड़ा है. जब कांग्रेस शासन के दौरान जासूसी के मामले सामने आए थे, तब भाजपा ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफ़े की मांग की थी. अब यह सत्ता में है, लेकिन संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है.