टीएमसी सांसद सागरिका घोष की ओर से पेश विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पर विपक्ष के अपमान का आरोप लगाया गया है. घोष का कहना है कि मंत्री ने संसद को सुचारू रूप से चलाने के अपने काम के बजाय विपक्षी सदस्यों का बार-बार अपमान किया है.
31 जुलाई को सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने राज्यसभा में कहा था कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में नियुक्ति के लिए मानदंड यह है कि व्यक्ति आरएसएस से संबंधित हो. इसे रिकॉर्ड से हटाने की बात कहते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संगठन 'बेदाग़ साख' वाला है.
मुंबई में जैन दार्शनिक श्रीमद राजचंद्र की जयंती पर उनके स्मारक के उद्घाटन समारोह के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि महात्मा गांधीजी ने सत्याग्रह और अहिंसा के माध्यम से हमें अंग्रेज़ों की ग़ुलामी से मुक्त कराया था. वहीं, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को उस रास्ते पर ले गए हैं, जिसे हम हमेशा देखना चाहते थे.
झारखंड की राजधानी रांची स्थित सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी (पीएसयू) हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के 200 से अधिक कर्मचारियों ने इसके पुनरुद्धार और 18 महीने से लंबित वेतन की मांग को लेकर दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना दिया है. कर्मचारियों और इंजीनियरों का कहना है कि उन्होंने इसरो के दूसरे लॉन्चिंग पैड के कई हिस्सों का निर्माण किया है, जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 के लिए किया गया था.
राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष दोनों ने बुधवार को विपक्षी दलों द्वारा की गई मांग के अनुसार संसद की कार्यवाही में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और विपक्ष पर कार्यवाही में बाधा डालने और अनुचित मांग करने का आरोप लगाया है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आईआईटी-गुवाहाटी के 25वें दीक्षांत समारोह में कहा कि समान नागरिक संहिता भारत और इसके राष्ट्रवाद को और अधिक प्रभावी ढंग से जोड़ेगा. इसके अमल में और अधिक देरी हमारे मूल्यों के लिए हानिकारक होगी.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राहुल गांधी की ब्रिटेन यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि विदेश यात्रा करते समय लोगों को अपना ‘राजनीतिक चश्मा’ पीछे छोड़ देना चाहिए. इसके जवाब में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राज्यसभा के सभापति होने के नाते उन्हें निष्पक्ष होना चाहिए, हमेशा सरकार का गुणगान नहीं करना चाहिए.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी याचिका में कहा कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने संविधान में ‘विश्वास की कमी’ दिखाकर, इसकी संस्था यानी सुप्रीम कोर्ट पर हमला कर संवैधानिक पदों पर रहने से ‘ख़ुद को अयोग्य’ कर लिया है.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा उनके आठ निजी स्टाफ सदस्यों को 12 संसदीय स्थायी समितियों और आठ विभागीय स्थायी समितियों में जगह दी गई है. इनमें से दो स्टाफर उनके रिश्तेदार और क़रीबी बताए गए हैं. विपक्ष ने इस निर्णय को अभूतपूर्व बताते हुए आलोचना की है.
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हमारे पास कॉलेजियम प्रणाली से बेहतर व्यवस्था नहीं है. न्यायपालिका सक्षम उम्मीदवारों की योग्यता पर फैसला करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में होती है, क्योंकि वहां उनके काम को सालों तक देखा जाता है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन ने क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू की कॉलेजियम पर सार्वजनिक टिप्पणियों को निंदनीय बताते हुए कहा कि अदालत के फैसले स्वीकार करना उनका कर्तव्य है. उन्होंने जोड़ा कि अगर यह गढ़ (न्यायपालिका) भी गिर जाता है तो हम अंधकार युग के गर्त में चले जाएंगे.
राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल की यह टिप्पणी केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू के उस बयान के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार और न्यायपालिका में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि दोनों एक-दूसरे पर हमले कर रहे हों और उनके बीच ‘महाभारत’ चल रहा हो.
केंद्र और न्यायापालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश की सभी स्वतंत्र संस्थाओं पर ग़ैर-क़ानूनी रूप से क़ब्ज़ा करने के बाद अब ये लोग न्यायपालिका पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं. जनता ऐसा कभी नहीं होने देगी.
क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेद हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ‘महाभारत’ हो रही है. वहीं, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी ने क़ानून मंत्री द्वारा कॉलेजियम पर उनके बयान के समर्थन के बाद कहा कि उनके कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की बजाय सरकार और न्यायपालिका को इस मुद्दे पर परिपक्व बहस करनी चाहिए.
केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढ़ी के विचारों का समर्थन किया है. जस्टिस सोढ़ी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया. इसके बाद कहा कि वह न्यायाधीशों की नियुक्ति ख़ुद करेगा और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी.