सीएए नियमों पर विपक्ष ने कहा- भाजपा लोकसभा चुनावों में ध्रुवीकरण की कोशिश रही है

संसद द्वारा कानून पारित होने के चार साल बाद केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के नियमों को अधिसूचित किया. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा ने राजनीतिक लाभ और धार्मिक भावनाओं का फायदा उठाने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले ‘विभाजनकारी’ अधिनियम को फिर से जीवित कर दिया है.

सीएए के नाम पर केंद्र सरकार लोगों को भ्रमित कर रही है: ममता बनर्जी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक कार्यक्रम में कहा कि संशोधित नागरिकता क़ानून के नाम पर वे (केंद्र) लोगों को भ्रमित कर रहे हैं. हम लंबे समय से मतुआ समुदाय का ध्यान रख रहे हैं, लेकिन जब चुनाव नज़दीक आता है, तब भाजपा सीएए का उल्लेख कर उनका मित्र होने का दावा करती है.

केंद्र तीन देशों के ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता पाने की राह आसान बनाएगा: रिपोर्ट

एक सरकारी सूत्र ने बताया है कि गृह मंत्रालय पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए छह अल्पसंख्यक समुदायों - हिंदू, सिख, पारसी, ईसाई, बौद्ध और जैन - के सदस्यों के नागरिकता आवेदन को आगे बढ़ाने के लिए सहायक दस्तावेज़ के रूप में एक्सपायर्ड पासपोर्ट और वीज़ा को स्वीकार करने के लिए नागरिकता पोर्टल में बदलाव करने वाला है.

सीएए संबंधी याचिकाओं पर तीन सप्ताह में जवाब दें असम व त्रिपुरा सरकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पहले ही हलफ़नामा दे चुकी है, पर असम व त्रिपुरा सरकारों को अलग-अलग जवाब देने की ज़रूरत है. अदालत के समक्ष 50 याचिकाएं इन दो राज्यों से संबंधित हैं.

सीएए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 31 अक्टूबर तक स्थगित

सुप्रीम कोर्ट ने मामला तीन सदस्यीय पीठ को सौंपने की भी बात कही है. नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है.

नागरिकता संशोधन क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल कई याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि यह संविधान के मूल ढांचे के विपरीत है और इसका उद्देश्य मुसलमानों से स्पष्ट रूप से भेदभाव करना है, क्योंकि अधिनियम ने केवल हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को लाभ दिया है.

राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल पीएफआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाए: सूफी निकाय

बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता पर आयोजित एक अंतर धार्मिक सम्मेलन में ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में कहा कि ऐसा कोई भी मोर्चा, जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त है, विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं और हमारे नागरिकों के बीच कलह पैदा कर रहे हैं, उन्हें प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

राज्यों का महामारी का हवाला देकर केवल धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाना अजीब है: सुप्रीम कोर्ट

पर्यूषण पर्व के लिए मुंबई के दादर, बायकुला और चेंबूर में जैन मंदिरों को खोलने की इजाज़त देते हुए सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हमें यह अजीब लगता है कि राज्य आर्थिक हितों से जुड़ी गतिविधियों की अनुमति देने के लिए तैयार हैं, लेकिन अगर इसमें धर्म शामिल है तो वे कोविड-19 का हवाला देते हैं.

क्यों अलग धर्म की मांग कर रहे हैं आदिवासी?

आदिवासियों की मांग है कि उनके धर्म को मान्यता दी जानी चाहिए और धर्म के कॉलम में उन्हें ट्राइबल या अबॉरिजिनल रिलीजन चुनने का विकल्प दिया जाना चाहिए.

संघ, विहिप जैसे संगठनों के कारण भारत में अल्पसंख्यकों और दलितों की दशा ख़राब: अमेरिकी रिपोर्ट

अमेरिकी सरकार द्वारा गठित एक आयोग ने अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है कि देश में जारी भगवाकरण अभियान के शिकार मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और दलित हिंदू हैं.