पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विशेष पुलिस अधिकारी खुशबू जान को शोपियां के वेहिल इलाके में उनके घर के बाहर आतंकवादियों ने गोली मार दी. पुलिस ने मामला दर्ज करके जांच शुरू कर दी है.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि हमारी कोशिशों के बावजूद कुछ युवा आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हुए और कुछ मारे भी गए. हमें इस पर दुख और अफ़सोस है. हम हिंसा के माहौल में हैं और हिंसा, हिंसा को जन्म देती है.
इस साल जनवरी में जम्मू में हुए कठुआ बलात्कार और हत्या मामले के एक आरोपी ने केस में हुई जांच को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए दोबारा जांच की मांग की थी, जिसे शीर्ष अदालत ने ख़ारिज कर दिया.
किश्तवाड़ ज़िले के चातरू पुलिस थाने में शुक्रवार को हिरासत में लिए गए एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. पुलिस ने उसे तब हिरासत में लिया था जब वह गो-तस्करी के आरोप में बंद अपने दो रिश्तेदारों को रिहा कराने गया था.
कठुआ बलात्कार और हत्या मामले के एक आरोपी ने मैट्रिक प्रमाणपत्र का हवाला देकर ख़ुद के नाबालिग होने का दावा किया था, जिस पर अदालत ने उसकी हड्डियों की जांच का आदेश दिया था.
जम्मू कश्मीर पुलिस ने शुजात बुखारी की हत्या को आतंकवादी हमला बताया. एक लेफ्टिनेंट जनरल ने दावा किया कि हत्या में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ.
मामले के आठ आरोपियों में से एक विशाल का दावा था कि जब अपराध हुआ, वो मेरठ में परीक्षा दे रहा था. विशाल ने बताया था कि 15 जनवरी को परीक्षा की अटेंडेंस शीट पर उसने हस्ताक्षर भी किए थे. फॉरेंसिक जांच में हस्ताक्षर फ़र्ज़ी पाए गए.
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने इस मामले को अच्छी तरह संभाला है. कोई भी गलत कदम ऐसे हालातों को जन्म दे सकता था जहां पूरा राज्य सांप्रदायिकता की आग में जल गया होता.
कठुआ मामला में बलात्कार न होने की मीडिया रिपोर्ट पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने दिया स्पष्टीकरण, कहा मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर ही फाइल की गई है चार्जशीट.
राज्य के गृह विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट के मुताबिक, जेल परिसर में करीब 300 मोबाइल फोनों का संचालन हो रहा है. रिपोर्ट को समय-समय पर गृह विभाग भेजा गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
कश्मीर के हालात अब न सैनिकों के लिए अच्छे रह गए हैं, न वहां की जनता के लिए. दोनों के मन में एक-दूसरे के प्रति संदेह का पहाड़ खड़ाकर कर दिया गया है जो रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं.
बीते शनिवार को शोपियां ज़िले में सेना की गोलीबारी के दौरान दो आम नागरिकों की मौत हो गई थी.
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि कश्मीर में पत्थरबाज़ी की घटनाओं में कमी आई है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में हथियार उठाने वाले कश्मीरी नौजवानों की तादाद पिछले आठ साल में सबसे ज़्यादा हो गई है.
पुलिस ने पाया कि चोटी काटने के लिए हुई पिटाई के मामले प्रेम-प्रसंग, व्यापार, निजी रंज़िश या वसूली से जुड़े थे.
इन घटनाओं से जुड़ी अफवाह उड़ाने के संबंध में कश्मीर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया. घटनाओं को लेकर घाटी में प्रदर्शन जारी.