‘इज़रायल को ग़ाज़ा पर हमला रोकना चाहिए और अपना क़ब्ज़ा ख़त्म करना चाहिए’

वीडियो: इज़रायल के फ़िलिस्तीनियों से गाज़ा छोड़ने की कहने से पहले वहां भोजन, पानी और बिजली की आपूर्ति रोकी जा चुकी थी. यूएन के विनाशकारी नतीजों को लेकर चेताने के बावजूद विश्व के शक्तिशाली देश इज़रायल को युद्ध विराम के लिए क्यों नहीं कह रहे हैं? चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और डीयू के प्रोफेसर अपूर्वानंद.

इज़रायल ने फ़िलिस्तीनियों से 24 घंटे में उत्तरी गाज़ा छोड़ने को कहा, यूएन बोला- नतीजे घातक होंगे

संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि अगर इस तरह के आदेश को रद्द नहीं किया गया, तो यह पहले से ही हुई त्रासदी को बड़ी तबाही में बदल सकता है.

गाज़ा के साथ इज़रायल की समस्या का सैन्य समाधान नहीं है, न ही इससे बदले की कार्रवाई को रोक सकते हैं

गाज़ा से होने वाले फिलीस्तीनी हमलों का इज़रायली सरकारों ने लगातार जो एकमात्र समाधान ढूंढा है, वो नाकाफ़ी है- कि अगर वो ज़मीन के रास्ते आए, तो दीवार बना देंगे; अगर रॉकेट दागे, तो इंटरसेप्टर बना लेंगे; अगर हमारे कुछ लोगों को मारा गया, तो उनके कइयों को मार डालेंगे. ऐसे ये सिलसिला लगातार चलता रहेगा.

हमास के हमले में लगभग 250 की मौत, इज़रायली कार्रवाई में गाज़ा में 300 से अधिक लोग मारे गए

फिलीस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के लड़ाकों द्वारा गाज़ा की सीमा से लगे इज़रायल के भीतर सैकड़ों मिसाइलें दागी गईं और सैन्य एवं नागरिक ठिकानों पर क़ब्ज़ा कर लिया गया, जिसके बाद इज़रायल ने जवाबी कार्रवाई की है. इस बीच यरुशलम गए मेघालय के रहने वाले 27 भारतीय इस युद्ध की वजह से वहां फंस गए हैं.

क्या इज़राइली यहूदीवाद और भारतीय हिंदुत्व में कोई अंतर नहीं रह गया है

शुरुआत में भारत ने नव-उपनिवेशवाद और इज़राइल द्वारा फ़िलिस्तीनी ज़मीन के अतिक्रमण की मुखर तौर पर निंदा की, लेकिन यह विरोध धीरे-धीरे कम हो गया. भारत का रुख कमज़ोर हुआ क्योंकि इज़राइल के साथ आर्थिक और सैन्य संबंध जुड़ गए. अब ये रिश्ते हिंदुत्व व यहूदीवाद की लगभग समान विचारधारा पर फल-फूल रहे हैं.

ग़ाज़ा संघर्ष: कथित अपराधों की जांच संबंधी यूएनएचआरसी के प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत अनुपस्थित

ग़ाज़ा में इज़रायल और हमास के बीच 11 दिन तक चले संघर्ष के दौरान कथित उल्लंघनों एवं अपराधों की जांच शुरू करने के संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव पर वोट डालने से भारत समेत 14 देश अनुपस्थित रहे. प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया क्योंकि 24 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला और नौ ने इसका विरोध किया. इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष में ग़ाज़ा में लगभग 230 लोग और इज़रायल में 12 लोग मारे गए थे.

11 दिन तक चले युद्ध के बाद इज़रायल और हमास के बीच संघर्ष विराम पर बनी सहमति

इस 11 दिन के ख़ूनी संघर्ष में ग़ाज़ा पट्टी में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, इज़रायल के अधिकांश हिस्सों में जीवन थम गया था और दोनों तरफ के 200 से अधिक लोगों की जानें गईं. 19 मई तक इस संघर्ष में 208 फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें क़रीब 60 बच्चे शामिल हैं. वहीं इज़रायल में भी दो बच्चों सहित 12 लोगों की जान गई है.

इज़रायल के हमले में गाज़ा स्थित 12 मंज़िला मीडिया टावर ध्वस्त, 47 बच्चों सहित 174 लोगों की मौत

रविवार को इजरायल ने गाजा में पिछले एक हफ़्ते में सबसे घातक हमला किया, जिसमें आठ बच्चों सहित 26 फ़लस्तीनी नागरिकों की मौत हो गई. इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने शनिवार शाम को कहा कि जब तक ज़रूरत पड़ेगी तब तक यह अभियान जारी रहेगा.

इज़रायल के हमले में गाज़ा में 39 बच्चों सहित 139 लोगों की मौत

इज़राइल और उग्रवादी संगठन हमास के बीच जारी लड़ाई के दौरान वेस्ट बैंक में भी फ़लस्तीनियों ने व्यापक पैमाने पर प्रदर्शन किया और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने कई शहरों में इज़राइली सेना के साथ झड़प की. इस दौरान इज़राइली सेना की कार्रवाई में कम से कम 11 लोग मारे गए हैं.

इज़राइल के हमले में बच्चों और महिलाओं समेत 26 फ़लस्तीनी नागरिकों की मौत

यरुशलम के यहूदी और मुस्लिम लोगों के पवित्र स्थल अल-अक्सा मस्जिद परिसर में इज़राइली सुरक्षा बलों और फ़लस्तीनी नागरिकों के बीच टकराव और फ़लस्तीनी तथा इज़राइली सुरक्षा बलों के संघर्ष के बाद ये घटनाक्रम हुआ है. हिंसा का कारण यरुशलम पर फ़लस्तीन और इज़राइल दोनों द्वारा दावा जताना है.

क्या फिलिस्तीन को लेकर भारत अपनी ही बातों से पीछे हट गया है?

फिलिस्तान पर मोदी सरकार के बदले रुख़ का अर्थ यह है कि इज़रायल के फिलिस्तीनी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़े को लेकर भारत का रवैया नरम हो गया है.