जेएनयू की हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी पर छात्रों के प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित समिति का सुझाव है कि फंडिंग के लिए अन्य वैकल्पिक स्रोत खोजे जाने चाहिए.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजे गए पत्र में शिक्षक संघ ने लिखा है कि वॉट्सऐप से इम्तिहान लेने के प्रशासन के फ़ैसले से जेएनयू दुनिया भर के अकादमिक जगत में मज़ाक का पात्र बन जाएगा.
जेएनयू कोई द्वीप नहीं है, वहां हमारे ही समाज से लोग पढ़ने जाते हैं. जो बात उसे विशिष्ट बनाती है, वो है उसके लोकतांत्रिक मूल्य. इनका निर्माण किसी एक व्यक्ति, पार्टी या संगठन ने नहीं, बल्कि भिन्न प्रकृति और विचारधारा के लोगों ने किया है. यदि ऐसा नहीं होता, तब किसी भी सरकार के लिए इसे ख़त्म करना बहुत आसान होता.
नए फैसले के अनुसार, सिंगल रूम का किराया 200 रुपये जबकि डबल रूम का किराया 100 रुपये होगा. इसके साथ ही विश्वविद्यालय आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहायता मुहैया कराएगा.
फीस वृद्धि, कर्फ्यू के वक्त और ड्रेस कोड जैसी पाबंदियों को वापस लिए जाने की मांग करने वाले छात्रों पर की गई बर्बर पुलिसिया कार्रवाई की निंदा करते हुए जेएनयू शिक्षक संघ ने कुलपति के इस्तीफे की मांग की.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों की मांग है कि मसौदा छात्रावास मैनुअल को वापस लिया जाए, जिसमें उनके अनुसार फीस वृद्धि, कर्फ्यू का वक्त और ड्रेस कोड जैसी पाबंदियों का प्रावधान है.
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन का कहना है कि चुनाव में लिंग्दोह कमेटी की सिफारिशों का उल्लंघन करने की वजह से अब तक यूनियन अधिसूचित नहीं हुई है. वहीं, छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा कि 8500 स्टूडेंट्स की यूनियन की आवाज को इस तरह प्रशासन बंद नहीं कर सकता.
वामपंथी छात्र संगठनों एआईएसए, एसएफआई, एआईएसएफ और डीएसएफ के संयुक्त मोर्चे की अध्यक्ष पद की उम्मीदवार आईशी घोष जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की अध्यक्ष चुनी गई हैं. उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मनीष जांगिड़ को हराया है. एसएफआई को 13 साल बाद अध्यक्ष पद मिला है.
छात्रसंघ चुनाव में काउंसिलर पद के लिए खड़े दो छात्रों का आरोप है कि प्रशासन ने ग़लत तरीके से उनका नामांकन ख़ारिज किया है, जिसके ख़िलाफ़ उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की है.
कश्मीर घाटी में रह रहे अपने परिवार से बात न होने पाने की वजह से लोग चिंतित. लोगों का कहना है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने ऐसा फैसला किया है जिससे शांति स्थापित होने की जगह आक्रोश और भड़केगा.
दो बार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को बिहार के सीवान शहर में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान हत्या कर दी गई थी.
आज की मास्टरक्लास में अपूर्वानंद बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से सीपीआई के उम्मीदवार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर 'सामना' अख़बार में छपे एक लेख पर चर्चा कर रहे हैं.
अदालत ने पुलिस से कहा कि वह मंज़ूरी हासिल करने के बाद आरोप-पत्र दाख़िल कर सकती थी. इतनी जल्दबाज़ी क्या थी. जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और पूर्व छात्रों उमर ख़ालिद व अनिर्बान भट्टाचार्य के ख़िलाफ़ देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है.
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने मुकदमा चलाने के लिए दिल्ली सरकार से आवश्यक मंजूरी लेने की समयसीमा बढ़ाते हुए मामले की सुनवाई 28 फरवरी तक के लिए टाल दी.
दिल्ली पुलिस ने अपने आरोप-पत्र में 24 पुलिसकर्मियों, जेएनयू के 14 छात्र-छात्राओं और ज़ी न्यूज़ के चार कर्मचारियों समेत 77 लोगों को गवाह बनाया है. जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 10 लोगों पर देशविरोधी नारे लगाने का आरोप है.