पेपर लीक और सरकारी भर्तियों की धांधलेबाज़ी में पिस रहा देश का युवा

वीडियो: बीते कुछ समय में कई राज्यों में विभिन्न पेपर लीक हुए हैं और अलग-अलग सरकारी भर्तियों में अनियमितताएं सामने आई हैं. यह मुद्दे युवाओं को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं, इस बारे में द वायर हिंदी के पत्रकार अंकित राज और दिल्ली यूनिवर्सिटी की शिक्षक डॉ. माया जॉन से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

2024 में प्लेसमेंट में गिरावट में बीच आईआईटी से निकले छात्रों का वेतन पैकेज भी घटा: रिपोर्ट

विभिन्न अध्ययनों में सामने आया है कि नए बने आईआईटी में औसत वार्षिक वेतन 15-16 लाख रुपये से घटकर 12-14 लाख रुपये रह गया है.

घोषणा के चार साल बाद भी नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी नदारद, लाखों अभ्यर्थियों को अब भी इंतज़ार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2020 में केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए युवाओं से एक सामान्य पात्रता परीक्षा आयोजित कराने और नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी बनाने का वादा किया था. चार साल बाद भी युवा इसका इंतज़ार ही कर रहे हैं.

मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के अनौपचारिक उद्यमों में सात वर्षों में 54 लाख नौकरियां कम हुईं: एनएसओ डेटा

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के असंगठित उद्यमों में कार्यरत श्रमिकों की संख्या 2015-16 में लगभग 3.60 करोड़ थी, जो 2022-23 में घटकर 3.06 करोड़ रह गई.

गोरखपुर: चार हज़ार युवाओं को सैनिक बनाने वाली भूमि अग्निपथ के बाद उजाड़ हुई

गोरखपुर के जिस सहसरांव ग्राउंड में पसीना बहाने के बाद 3,800 लड़के और 28 लड़कियों का चयन पिछले ढाई दशकों में सेना व अर्धसैनिक बल में हुआ, वह आज वीरान है. अग्निपथ योजना के कारण युवाओं में सेना का उत्साह ख़त्म हो गया है.

नरेंद्र मोदी के पिछली सरकारों से ज़्यादा नौकरी देने के दावे में कितनी सच्चाई है?

बीते दिनों पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि उनके शासनकाल में पिछली सरकारों से ज़्यादा नौकरियां दी गई हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे किन आंकड़ों के आधार पर यह बात कह रहे हैं क्योंकि विभिन्न सर्वेक्षण और रिपोर्ट उनके दावे के उलट तस्वीर दिखाते हैं.

‘मेन मुद्दा बेरोजगारी बा, महंगाई आसमान छुअत बा, पांच सौ रुपया मजदूरी भी कम पड़त बा’

ऐसा कई चुनावों के बाद दिखाई दे रहा है कि विपक्षी गठबंधन के मुद्दे आम लोगों तक पहुंचे हैं और उनका असर भी पड़ रहा है.

अग्निपथ योजना: बिहार में चयन हो जाने के बाद भी नौकरी छोड़ रहे हैं अग्निवीर

अन्य ख़बरें भी बतलाती हैं कि अग्निपथ योजना के तहत चयनित बहुत सारे युवकों ने ट्रेनिंग के बीच में ही नौकरी छोड़ दी थी. ये युवक सेना की नौकरी में जाना तो चाहते हैं, लेकिन अग्निपथ ने उनका जज़्बा ख़त्म कर दिया है.

मोदी सरकार के कोविड कुप्रबंधन ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी

कोविड महामारी के प्रभाव भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर साफ़ दिखते हैं. जहां एक तरफ बेरोज़गारी बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ शहरों में विभिन्न कामों में लगे श्रमिक कृषि क्षेत्र से जुड़ने को मजबूर हुए हैं.

अपना पानी, अपनी बानी, मांग रहा है हिंदुस्तानी

शासक अगर दंभपूर्वक यह कहे कि वह आपको 5 किलो अनाज पर ज़िंदा रखता है तो यह जनता का अपमान है. जनता लाभार्थी नहीं, उत्पादक और सर्जक है. उसे अपनी रोटी खाने का सुख चाहिए. काम का हक़ चाहिए. हिंदी कविता में जनतंत्र का उत्सव मनाती इस श्रृंखला की पांचवी क़िस्त.

उत्तराखंड: चुनाव प्रचार में अग्निवीर, बेरोज़गारी व अंकिता भंडारी के हत्यारों पर क्यों मौन रही भाजपा

23 बरस पहले उत्तराखंड जिस मकसद के लिए बनाया गया, उसे लेकर आज लगता है कि लोगों की आकांक्षाओं को अनदेखा किया गया और बुनियादी मुद्दों से भटकाने के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण की ओर धकेल दिया गया.

कोयला-निर्भर समुदायों को नौकरी से ज़्यादा ज़मीन की चिंता क्यों है?

वैश्विक स्तर पर ऊर्जा के स्रोतों में बदलाव लाने की प्रक्रिया को न्यायसंगत परिवर्तन यानी ‘जस्ट ट्रांज़िशन’ का नाम दिया गया है. हालांकि, देश के दो राज्यों- छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ कोयला-निर्भर गांवों के लोगों की दशा यह दिखाती है कि ऐसे सभी परिवर्तन न्यायसंगत नहीं हो सकते. 

‘2024 लोकसभा चुनावों से पहले सबसे बड़े मुद्दे बेरोज़गारी और आर्थिक संकट हैं’

वीडियो: आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र देश की अर्थव्यवस्था, नौकरियों की स्थिति और बेरोज़गारी पर अर्थशास्त्री प्रोफेसर संतोष मेहरोत्रा और युवा हल्ला बोल के अनुपम के साथ चर्चा कर रहे हैं योगेंद्र यादव.

महाराष्ट्र: डिप्टी सीएम अजीत पवार ने शिक्षा-नौकरियों में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की मांग की

यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी के किसी सहयोगी दल ने खुले तौर पर अल्पसंख्यकों के आरक्षण की वकालत की है. महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजीत पवार ने यह भी कहा कि जब तक वह सत्ता में हैं, तब तक अल्पसंख्यकों को डरना नहीं चाहिए.

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