रोज़गार दर या श्रम भागीदारी अनुपात इस बात का मापक है कि अर्थव्यवस्था में कितने नौकरी लायक सक्षम लोग वास्तव में नौकरी की तलाश कर रहे हैं. सीएमआईई के मुताबिक, भारत का श्रम भागीदारी अनुपात मार्च 2021 में 41.38 फीसदी था (जो अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के बिल्कुल क़रीब है) लेकिन पिछले महीने यह गिरकर 40.15 फीसदी रह गया.
जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू होने के समय दूसरे राज्यों के लोग वहां ज़मीन या अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. संसद में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद से सूबे के बाहर के व्यक्तियों ने कुल सात भूखंड खरीदे, जो जम्मू क्षेत्र में आते हैं.
वीडियो: रेलवे में भर्ती के लिए एक तरफ़ युवा आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में भाजपा की सांप्रदायिक राजनीति जारी है. इस मुद्दे पर चर्चा कर रही हैं द वायर की आरफ़ा ख़ानम शेरवानी
भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद और वरिष्ठ अर्थशास्त्री प्रणब सेन ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ीं समस्याओं का एकमात्र उपाय सार्वजनिक निवेश को बढ़ावा देना है, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच राजनीतिक मतभेदों को दूर करने की ज़रूरत है.
पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में पहले के मुकाबले कम सरकारी नौकरियां हैं, लिहाज़ा युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं. पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है.
चंडीगढ़ की सड़कों पर ऑटो चलाने वाले एक शख़्स का कहना था कि महंगाई आसमान छू रही है, हर चीज़ महंगी है, किसान का जीना मुहाल है पर लोग खुश हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के सहयोगी जीतन राम मांझी ने आरोप लगाया कि भाजपा सांसद और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, जे. शिवाचार्य महास्वामी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद सादिक, टीएमसी की अपरूपा पोद्दार तथा निर्दलीय सांसद नवनीत रवि राणा जाली प्रमाणपत्रों के आधार पर चुनाव लड़ने के बाद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
विधानसभा ने ‘झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार रोज़गार विधेयक, 2021’ को पारित कर दिया, जिसके तहत निजी क्षेत्र में 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश व हरियाणा के बाद झारखंड ऐसा तीसरा राज्य बन गया, जहां निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोज़गार प्रदान करने वाला क़ानून है.
सतत आर्थिक विकास के किसी भी दौर के साथ-साथ ग़रीबी में कमी आती है और श्रमबल कृषि से उद्योगों और सेवा क्षेत्रों की तरफ गतिशील होता है. हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि देश में एक साल में क़रीब 1.3 करोड़ श्रमिक ऐसे क्षेत्रों से निकलकर खेती से जुड़े हैं. वैश्विक महामारी एक कारण हो सकता है, लेकिन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों ने इसकी ज़मीन पहले ही तैयार कर दी थी.
सांख्यिकी मंत्रालय के राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन ने 2017-18 में वार्षिक श्रम बल सर्वेक्षण करना शुरू किया, जो अब तक केवल हर पांच वर्षों पर होता था. हाल में एनएसओ ने अपना तीसरा वार्षिक सर्वेक्षण 2019-20 जारी किया, जिसके आंकड़ों से पता चलता है कि श्रम बल भागीदारी की स्थिति अब भी दुरुस्त नहीं है.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के ये आंकड़े देश में कोविड-19 के प्रसार चलते बड़ी संख्या में नौकरियां जाने के पहले के हैं. इनके अनुसार, साल 2019 में बेरोज़गारी के कारण आत्महत्या के सर्वाधिक 553 मामले कर्नाटक में दर्ज हुए. दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र और तीसरे स्थान पर तमिलनाडु रहा.
पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में बताया कि पिछले साल लॉकडाउन लागू होने के बाद पर्यटन क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां गईं, जिसमें से पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान 1.45 करोड़ नौकरियां, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 52 लाख नौकरियां और तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 18 लाख नौकरियां जाने की संभावना है.
कर्नाटक सरकार ने सार्वजनिक नौकरियों में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक फ़ीसदी पद आरक्षित किए हैं. पुलिस कॉन्स्टेबलों की भर्ती को चुनौती मिलने के बाद राज्य सरकार ने यह क़दम उठाया है.
गरीबी उन्मूलन के लिए काम करने वाले संगठन ऑक्सफैम ने एक रिपोर्ट में कहा कि भुखमरी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हो गई है. बीते एक साल में पूरी दुनिया में अकाल जैसे हालात का सामने करने वाले लोगों की संख्या छह गुना बढ़ी है.
हाल के समय में विभिन्न हलकों से यह मांग की जा रही है कि भारतीय रिज़र्व बैंक को करेंसी की छपाई कर राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण करना चाहिए. रिज़र्व बैंक द्वारा राजकोषीय घाटे के मौद्रिकरण का आशय यह है कि केंद्रीय बैंक सरकार के किसी आपात ख़र्च को पूरा करने के लिए करेंसी छापे और राजकोषीय घाटे को पूरा करे. पिनाकी चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि कोरोना वायरस की यदि कोई बड़ी तीसरी लहर नहीं होती है, तो भारत का