केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि कुछ रिटायर जज भारत विरोधी गिरोह का हिस्सा हैं, वे ऐसी कोशिश कर रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए.
एक कार्यक्रम में भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली पर अभी उपलब्ध सबसे अच्छी व्यवस्था है. इस प्रणाली का उद्देश्य आज़ादी को बनाए रखना था, जो कि एक प्रमुख मूल्य है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित ने भी शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए इसे ‘आदर्श प्रणाली’ बताया.
कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे गए पत्र में देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग को रोकने के लिए कार्रवाई करने का निवेदन किया गया है. पत्र पर कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी, सपा और शिवसेना (यूबीटी) सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए हैं.
यूनाइटेड किंगडम में राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार की आलोचना में कुछ नया नहीं था, सिवाय इसके कि वे विदेशी दर्शकों के सामने बोल रहे थे. संभव है कि यही वजह है कि भाजपा- जो 2024 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को वैश्विक नेता के तौर पर पेश करना चाहती है- इतनी बौखलाई हुई नज़र आ रही है.
अगर मोदी सरकार झूठ का डंका बजाकर सच को छिपाना चाहती है, तो क्या वह देश का भला कर रही है? अगर सच बोलने पर 'देश पर हमला होने' जैसे आरोप लगें तो इसे देश को आबाद करने का तरीका कहा जाएगा या बर्बाद करने का?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत में लोकतांत्रिक प्रतिस्पर्धा का स्वभाव पूरी तरह से बदल गया है. इसका कारण आरएसएस नामक संगठन है. इस कट्टरपंथी, फासीवादी संगठन ने भारत के लगभग सभी संस्थानों पर क़ब्ज़ा कर लिया है. प्रेस, न्यायपालिका, संसद और चुनाव आयोग सभी ख़तरे में हैं.
वीडियो: कांग्रेस नेता राहुल गांधी फ़िलहाल यूनाइटेड किंगडम के दौरे पर हैं और वहां हुए विभिन्न कार्यक्रमों में मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. उनके बयानों को लेकर देश में भाजपा नेता कांग्रेस पर हमलावर हैं. इन आरोपों-प्रत्यारोपों के बारे में विस्तार से बता रही हैं द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने स्वतंत्र न्यायपालिका की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि आज विभिन्न चुनौतियां है, जिनका सामना न्यायपालिका को करना है. हमें हर तरह के दबाव, हमले या किसी भी तरह के हस्तक्षेप को सहन करना है. एक संपन्न लोकतंत्र होने के लिए स्वतंत्र न्यायपालिका होना ज़रूरी है.
लंदन में इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम मे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि भारत में मीडिया, संस्थागत ढांचे, न्यायपालिका, संसद सभी पर हमले हो रहे हैं और हमें सामान्य माध्यमों से लोगों की आवाज़ रखने में बहुत मुश्किल हो रही है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम एक ऐसे युग में रहते हैं, जहां लोगों में धैर्य और सहिष्णुता की कमी है, क्योंकि वे ऐसे नज़रिये को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं जो उनके नज़रिये से अलग हो.
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज दीपक गुप्ता ने न्यायिक नियुक्तियों और सुधारों पर बात करते हुए कहा कि अगर सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़े जज सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों की चाह में सत्ता के गलियारों में भीड़ लगाते हैं तो क्या न्याय की उम्मीद की जा सकती है. उन्होंने सरकार द्वारा जजों के नामों को मंज़ूरी देने में धर्म के आधार पर भेदभाव किए जाने की भी बात कही है.
वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा है कि कॉलेजियम द्वारा सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किए गए कई न्यायाधीशों ने अपने पूरे करिअर में एक भी अच्छा निर्णय नहीं लिखा है.
भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हमारे पास कॉलेजियम प्रणाली से बेहतर व्यवस्था नहीं है. न्यायपालिका सक्षम उम्मीदवारों की योग्यता पर फैसला करने के लिहाज़ से बेहतर स्थिति में होती है, क्योंकि वहां उनके काम को सालों तक देखा जाता है.
देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने मार्च 2020 में राज्यसभा का सदस्य मनोनीत होने के बाद से सदन में कोई सवाल नहीं किया, न ही कोई प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया. राज्यसभा की वेबसाइट के जिस हिस्से में सांसदों की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग उपलब्ध है, वहां गोगोई संबंधी कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है.
जस्टिस एस. अब्दुल नज़ीर राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 2019 के ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा रहे थे. उन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है. उनसे पहले पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य बनाया गया था, जबकि जस्टिस अशोक भूषण को उनकी सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.