राज्यसभा में केंद्र ने बताया है कि जुलाई, 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासन खदान में अब तक 94,460 पेड़ काटे गए हैं और आने वाले वर्षों में खनन गतिविधियों के लिए इस जंगल में 2,73,757 पेड़ काटे जाने हैं.
छत्तीसगढ़ में कोयला खदानों के प्रति आदिवासियों के प्रतिरोध को थामने के लिए अडानी समूह ने उनके ही इलाके के निवासी कोऑर्डिनेटर बतौर नियुक्त किए हैं. वे गांवों में कंपनी का पक्ष रखते हैं, ग्रामीणों को बिना विरोध मुआवज़ा लेने और आंदोलन से दूर रहने के लिए राजी करते हैं. इसने आदिवासी समाज को विभाजित कर दिया है.
छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति आयोग ने पाया कि सरगुजा ज़िले में परसा कोयला ब्लॉक के लिए वन मंज़ूरी की प्रक्रिया में कई अनियमितताएं थीं और फ़र्ज़ी प्रविष्टियां हुईं. 2015 में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि. को परसा ब्लॉक आवंटित हुआ था, जिसके संचालन का ठेका अडानी समूह को मिला था.
सरगुजा ज़िले के फतेहपुर और साली गांवों के पास परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना के तहत पेड़ काटे जाने थे. गुरुवार को जब स्थानीयों ने अधिकारियों को पेड़ काटने से रोकने की कोशिश की, तब पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, जिसके बाद हुई झड़प में कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हो गए.
हसदेव अरण्य में अब तक हज़ारों पेड़ों की कटाई और आगे लाखों पेड़ काटे जाने की आशंका को लेकर कई संगठनों ने परसा कोयला खदान को बंद करने की मांग करते हुए सरगुजा ज़िले के हरिहरपुर गांव में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदेश कांग्रेस प्रमुख दीपक बैज ने आरोप लगाया है कि नवनिर्वाचित भाजपा सरकार कॉरपोरेट हित में काम कर रही है.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने कहा कि नई सरकार आने के बाद हसदेव अरण्य क्षेत्र में गतिविधियां अचानक तेज़ हो गई हैं. दिसंबर के आख़िरी हफ्ते में भारी पुलिस तैनाती के बीच बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई. केंद्र और राज्य सरकार अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से काम कर रही हैं.
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में वनों की हालिया कटाई का विरोध हो रहा है, लेकिन इस विरोध का इतिहास लगभग एक दशक पुराना है.
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य वन क्षेत्र में की इस विस्तार योजना को आदिवासी समुदाय से तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद राज्य सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी.