द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
बनारस संस्कृति की आदिम लय का शहर है. जब मार्क ट्वेन कहते हैं कि 'बनारस इज़ ओल्डर दैन द हिस्ट्री' यानी ये शहर इतिहास से भी पुराना है तब वाकई लगता है कि सौ साल से भी अधिक समय पहले लिखी उनकी यह बात आज भी इस शहर के चरित्र पर सटीक बैठती है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी लखनऊ में भाजपा की एक दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद काशी ने जो अंगड़ाई ली है, वह हम सबके सामने है. काशी में काशी विश्वनाथ धाम का उद्घाटन होने के बाद प्रतिदिन एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे है.
वीडियो: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा की शाही ईदगाह को लेकर चल रहे विवादों के चलते 1968 के समझौते और 1991 के उपासना स्थल अधिनियम पर चर्चा हो रही है. इनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं याक़ूत अली.
याचिकाकर्ता दिनेश चंद्र शर्मा ने कथित रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद के अंदर मौजूद केशव देव मंदिर के गर्भ गृह का ‘शुद्धिकरण’ करने की अनुमति अदालत से मांगी है. दिनेश अखिल भारत हिंदू महासभा के कोषाध्यक्ष हैं और उन्होंने 19 मई को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में भी ऐसी ही एक याचिका दाख़िल की थी. दोनों याचिकाएं अदालत में लंबित हैं.
मथुरा की ज़िला अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर में मौजूद शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर वह भूमि श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास को सौंपने के मामले में दिए गए आदेश पर फिर से विचार करते हुए सुनवाई के लिए मंज़ूर कर लिया. सितंबर 2020 में इस याचिका को ख़ारिज कर दिया गया था. इस समय इसी तरह की मांग को लेकर स्थानीय अदालतों में 12 से अधिक और मामले में भी चल रहे हैं.
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग के प्रकट हो जाने से जो चमत्कृत हैं, वे जानते हैं कि यह झूठ है. 'बाबा प्रकट हुए मस्जिद में', ऐसा कहने वाले धार्मिक हो या न हों, अतिक्रमणकारी अवश्य हैं.
शीर्ष अदालत ने बीते 17 मई को वाराणसी के ज़िला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद में शृंगार गौरी परिसर के भीतर उस इलाके को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था, जहां एक सर्वेक्षण के दौरान एक ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया है. साथ ही मुसलमानों को ‘नमाज़’ पढ़ने की अनुमति देने का भी निर्देश दिया था. इधर, ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वेक्षण रिपोर्ट वाराणसी की अदालत को सौंप दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि मुस्लिम बग़ैर किसी बाधा के नमाज़ अदा करना जारी रख सकते हैं. इधर, वाराणसी की अदालत ने मस्जिद का वीडियो सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त किए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटा दिया है और सर्वे रिपोर्ट जमा करने की अवधि दो दिन बढ़ा दी है.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया है. अदालत ने ज़िलाधिकारी को निर्देशित किया है कि मस्जिद में केवल 20 लोगों को नमाज़ अदा करने की अनुमति दें. अदालत के आदेश पर बीते 16 मई को तीसरे दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य संपन्न हुआ.
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य शनिवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एक बार फिर शुरू हो गया. अधिकारियों के मुताबिक, मस्जिद परिसर के 500 मीटर के दायरे में लोगों की आवाजाही रोक दी गई है. अदालत ने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी कर 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है.
उत्तर प्रदेश में वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में शृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी-सर्वेक्षण करने के लिए नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की मांग भी ख़ारिज कर दी. अदालत ने कहा है कि ज़िला प्रशासन को सर्वे में बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करनी चाहिए.
वैदिक सनातन संघ के पदाधिकारी जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में राखी सिंह तथा अन्य ने अगस्त 2021 में अदालत में एक वाद दायर कर काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन और अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा की मांग की थी. साथ ही परिसर स्थित सभी मंदिरों और देवी-देवताओं के विग्रहों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए सर्वे कराने का अनुरोध किया था.
बीते हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के पंचगंगा, दशाश्वमेध, अस्सी और मणिकर्णिका समेत कई घाटों पर विहिप व बजरंग दल द्वारा लगाए पोस्टरों पर ग़ैर-हिंदुओं को गंगा घाटों से दूर रहने की चेतावनी दी गई थी. विहिप का दावा है कि उसने पोस्टर लगाने वाले दो सदस्यों को संगठन से निकाल दिया है.
भाजपा उम्मीद कर रही है कि अयोध्या में बहुप्रतीक्षित मंदिर निर्माण आरंभ करने के बाद अब काशी विश्वनाथ को अभूतपूर्व भव्य स्वरूप दे देने से उन्होंने आम हिंदू वोटर के दिल को छू लेने में सफलता प्राप्त कर ली है.