काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: मोदी-योगी का चुनावी दांव

वीडियो: बीते 13 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया. इस मुद्दे पर प्रो. अपूर्वानंद, प्रो. आदित्य मुखर्जी और वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान के साथ द वायर की वरिष्ठ संपादक आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

मथुरा में मंदिर निर्माण के लिए वापस लिया जा सकता है उपासना स्‍थल अधिनियम: भाजपा सांसद

उत्तर प्रदेश के सलेमपुर से भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के विरोध को देखते हुए तीनों नए कृषि क़ानून को वापस ले सकती है तो फिर मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर भव्य मंदिर के निर्माण के लिए उपासना स्‍थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 को भी वापस लिया जा सकता है.

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण के आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसके साथ ही वाराणसी की एक अदालत में चल रहे ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर भूमि विवाद मामले में कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है. अयोध्या में बाबरी मस्जिद के साथ हिंदुत्ववादी समूहों ने विभिन्न मस्जिदों को मंदिरों में परिवर्तित करने का आह्वान किया था. वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में ईदगाह, दोनों ही मंदिरों के बगल में हैं और इस सूची में सबसे ऊपर हैं.

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के लिए ज्ञानवापी मस्जिद ने अपने परिसर के पास की ज़मीन दी

काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए ज्ञानवापी मस्जिद परिसर से करीब 15 मीटर की दूरी पर स्थित प्लॉट काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को सौंप दिया है. मस्जिद के अधिकारी ने कहा कि ट्रस्ट ने कई साल पहले वाराणसी में मंदिर कॉरिडोर परियोजना के लिए इसकी मांग की थी.

काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश

इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्ववेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया है, जिसमे दो अल्पसंख्यक समुदाय के पुरातत्ववेत्ता शामिल रहेंगे.

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद हटाने की मांग पर अदालत ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया

दस लोगों के एक समूह ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के स्थान पर एक मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग की है और आरोप लगाया है कि 1699 में औरंगज़ेब के आदेश पर मंदिर को नष्ट कर दिया गया था.

काशी-मथुरा के मंदिरों को ‘मुक्त’ कराने की दक्षिणपंथी समूहों की मांग पर संघ ने कहा- हम ज़ोर नहीं देंगे

हिंदू संतों के एक संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इस हफ़्ते की शुरुआत में कहा कि वे राम जन्मभूमि आंदोलन की तर्ज पर वाराणसी और मथुरा के ‘हिंदू मंदिरों को मुक्त' कराने के लिए अभियान शुरू करेंगे. इसके बाद आरएसएस ने कहा कि इसके लिए ज़ोर नहीं देगा.

वाराणसी के ‘डोम राजा’ जगदीश चौधरी का निधन

वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी ने जब साल 2019 के चुनाव में अपना नामांकन पत्र भरा था, तब जगदीश चौधरी उनके प्रस्तावकों में से एक थे. हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के दौरान डोम बिरादरी की प्रमुख भूमिका होती है. इस बिरादरी के मुखिया को ‘डोम राजा’ कहा बुलाया जाता है.

वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी की रैली के लिए काटी गई थी फसल, अब तक नहीं मिला मुआवज़ा

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में वाराणसी के कचनार गांव में जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रैली के लिए तकरीबन 10 एकड़ की ज़मीन का इस्तेमाल किया गया था. इस ज़मीन की फसल बर्बाद होने की वजह से प्रशासन ने स्थानीय किसानों को मुआवज़ा देने की बात कहीं थी.

जामा मस्जिद तोड़ो, मूर्तियां न मिलें तो मुझे फांसी पर लटका देना: भाजपा सांसद साक्षी महाराज

उत्तर प्रदेश के उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ने दिल्ली की जामा मस्जिद तोड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि मस्जिद को ध्वस्त कर देना चाहिए क्योंकि यह एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई है.

आईआईटी बीएचयू ने आदर्श बहू की ट्रेनिंग देने संबंधी ख़बर को गलत बताया

विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि आईआईटी बीएचयू में इस तरह के प्रशिक्षण की कोई योजना नहीं है और न ही उसका स्टार्टअप यंग​ स्किल्ड इंडिया से कोई लेना-देना है.

बनारस से ग्राउंड रिपोर्ट: क्या मोदी-योगी गलियों और मंदिरों के इस शहर से उसकी पहचान छीन रहे हैं?

बनारस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वाकांक्षी परियोजना काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर के निर्माण के लिए तकरीबन 300 मकानों का अधिग्रहण होना है, जिससे 600 परिवारों पर विस्थापन का ख़तरा पैदा हो गया है.

बनारस की छवि को बार-बार बेचा गया है

ग्राउंड रिपोर्ट: मीडिया द्वारा बनारस की मूल समस्याओं से ध्यान हटाकर उसे लंका से काशी विश्वनाथ और बीएचयू पर केंद्रित कर दिया गया. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष या विपक्ष में कर दिया गया. यह न तो जनतंत्र के लिए ठीक बात है और न ही पत्रकारिता के लिए.

देखौ गुरु! ई बनारस है, मोदी हों या अखिलेश, इहां सबको मत्था टेकना पड़ता है…

ग्राउंड रिपोर्ट: होली के पहले बनारस में चुनाव का रंग चढ़ा हुआ है और यहां का माहौल देखकर लगता है कि इस बार की होली कुछ ज़्यादा ही लाजवाब होने वाली है.