जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला का प्रवासी के रूप में उसका दर्जा केवल इसलिए छिन जाना क्योंकि उसे परिवार बसाने की इच्छा और मौजूदा परिस्थितियों के कारण एक गैर-प्रवासी से विवाह करना पड़ा, घोर भेदभावपूर्ण और न्याय की अवधारणा के विरुद्ध होगा.
जम्मू-कश्मीर चुनाव के दौरान बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशियों के चलते तीसरे मोर्चे के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन परिणाम उलटे रहे और भाजपा के 'प्रॉक्सी' बताए जा रहे इनमें से कई उम्मीदवारों के लिए ज़मानत बचाना भी मुश्किल हो गया.
किश्तवाड़ और कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले की सीमा पर शुक्रवार का हमला चेनाब घाटी के निकटवर्ती डोडा ज़िले में भाजपा की एक रैली से एक दिन पहले हुआ है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे.
दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक आतंकी हमले, जिसमें चार जवान मारे गए थे- के बाद सेना के जवानों द्वारा कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. सेना की आंतरिक जांच में पता चला है कि 7-8 जवानों के आचरण में गंभीर खामियां पाई गई हैं, जिसमें विभिन्न स्तरों के अधिकारी भी शामिल हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने घोषणा की है कि पार्टी कश्मीर घाटी में सभी तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जम्मू क्षेत्र में दो सीटों पर कांग्रेस से चुनाव लड़ने के लिए कहा है, जबकि लद्दाख सीट पर उसका और कांग्रेस का सर्वसम्मति वाला उम्मीदवार होगा. हालांकि, पीडीपी अनंतनाग-राजौरी सीट पर चुनाव लड़ना चाहती थी.
अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों ने घात लगाकर सेना के दो वाहनों - एक जिप्सी और एक ट्रक - पर उस समय हमला किया, जब वे पुंछ में आतंकवाद विरोधी अभियान स्थल की ओर जा रहे थे. पुंछ की सुरनकोट तहसील में डेरा-की-गली और बफ़लियाज़ इलाकों के बीच यह हमला हुआ, जहां हाल के वर्षों में आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है.
इसी मामले में जेल में बंद कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ भी आरोपी हैं. 2020 में दर्ज राष्ट्रीय जांच एजेंसी की एफ़आईआर में कश्मीर स्थित कुछ एनजीओ पर भारत विरोधी गतिविधियों को प्रायोजित करने के आरोप लगाए गए हैं.
जम्मू कश्मीर में इस्लामिक विद्वानों और प्रचारकों की शीर्ष संस्था मुत्ताहिदा मजलिस-ए-उलेमा की ओर से कहा गया है शासकों तथा प्रशासन से संगठन दोबारा अपील करता है कि श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ के संबंध में बाधाएं नहीं डाली जाएं, ताकि मुसलमान बिना किसी रुकावट के यहां अल्लाह की इबादत कर सकें, यह कश्मीर में प्रार्थना का सबसे बड़ा स्थान है.
जम्मू कश्मीर के बड़गाम ज़िले के चादूरा में कश्मीरी पंडित तहसील कर्मचारी राहुल भट की आतंकवादियों द्वारा हत्या किए जाने के विरोध में बीते 12 मई से समुदाय के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन जारी है. 13 मई को प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन पर लाठीजार्च कर दिया था, जिसके जांच के आदेश दिए गए हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कश्मीर पर बनी फिल्म पर बोलना, कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर बोलने से ज़्यादा
जम्मू कश्मीर में बीते बृहस्पतिवार को बडगाम ज़िले के चादूरा में एक कश्मीरी पंडित तहसील कर्मचारी राहुल भट आतंकियों ने उनके कार्यालय में घुसकर हत्या कर दी थी. इसके बाद शुक्रवार को पुलवामा ज़िले में शुक्रवार को एक कॉन्स्टेबल की उनके घर में घुसकर हत्या कर दी गई. कश्मीरी पंडित उनके जीवन की रक्षा करने में सरकार के ‘नाकाम’ रहने के ख़िलाफ़ बृहस्पतिवार से ही प्रदर्शन कर रहे हैं.
बीते गुरुवार को मध्य कश्मीर के बडगाम ज़िले में चादूरा स्थित भीड़भाड़ वाले तहसील कार्यालय में घुसकर 35 वर्षीय कश्मीरी पंडित कर्मचारी राहुल भट की हत्या के बाद आतंकियों ने शुक्रवार को पुलवामा में एक पुलिस कॉन्स्टेबल की उनके घर में घुसकर गोली मारकर उनकी जान ले ली. राहुल की मौत के विरोध में कश्मीरी पंडितों ने प्रदर्शन किया.
जामिया मस्जिद प्रबंधन समिति की ओर से कहा गया है पुलिस और नागरिक प्रशासन ने बताया है कि श्रीनगर स्थित ईदगाह और जामिया मस्जिद में अगर सुबह सात बजे से पहले नमाज़ नहीं की जाती है, तो इसके बाद नमाज़ की अनुमति नहीं दी जाएगी. समिति ने कहा कि अधिकारियों को हजरतबल दरगाह पर सुबह 10:30 बजे नमाज़ की अनुमति देने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन वे ईदगाह में शर्तें लगा रहे हैं.
गृह मंत्रालय की 2020-21 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 के दशक से 2020 के बीच जम्मू कश्मीर में आतंकवाद के कारण 14,091 नागरिकों और सुरक्षा बल के 5,356 जवानों की जान गई. कश्मीरी पंडितों के अलावा, आतंकवाद की वजह से कुछ सिख और मुस्लिम परिवारों को भी घाटी से जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा.
वीडियो: ‘कश्मीर और कश्मीरी पंडित’ नामक किताब के लेखक अशोक कुमार पांडे ने हाल ही में रिलीज़ फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बारे में बात की. उन्होंने समझाया कि 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ, वह स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे अल्पसंख्यकों के बीच असुरक्षा का माहौल बनाने के लिए फिल्म का इस्तेमाल किया जाता है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का कारण रहीं परिस्थितियों की जांच के लिए एक समिति गठित करने की भी मांग की. उन्होंने मुसलमानों के प्रति नफ़रत की भावना नहीं रखने की अपील करते हुए कहा कि दिल्ली दंगे और 2002 में गुजरात में हुई सांप्रदायिक हिंसा के लिए ज़िम्मेदार परिस्थितियों की भी जांच होनी चाहिए.