कश्मीर: आंतरिक जांच में सेना की पूछताछ के दौरान मारे गए नागरिकों को यातना देने के संकेत मिले

दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक आतंकी हमले, जिसमें चार जवान मारे गए थे- के बाद सेना के जवानों द्वारा कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. सेना की आंतरिक जांच में पता चला है कि 7-8 जवानों के आचरण में गंभीर खामियां पाई गई हैं, जिसमें विभिन्न स्तरों के अधिकारी भी शामिल हैं.

पुंछ में घायल नागरिकों के परिजनों से मुलाकात करते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. (फोटो साभार: एक्स/@prodefencejammu))

नई दिल्ली: दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एक आतंकी हमले, जिसमें चार सैनिक मारे गए थे- के बाद सेना के जवानों द्वारा कथित तौर पर पूछताछ के दौरान तीन नागरिकों की मौत हो गई थी. सेना की आंतरिक जांच में 7-8 जवानों के आचरण में गंभीर खामियां पाई गई हैं, जिसमें विभिन्न स्तरों के अधिकारी भी शामिल हैं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया है कि पूछताछ के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि तीन नागरिकों की कथित तौर पर पूछताछ के दौरान यातना से मौत हो गई.

गौरतलब है कि यह आतंकी हमला 21 दिसंबर को मुगल रोड पर देहरा की गली और बुफलियाज के बीच हुआ था. अगली सुबह आठ नागरिकों को पुंछ जिले के बुफलियाज़ इलाके के टोपा पीर से और पांच को राजौरी जिले के थानामंडी इलाके से उठाया गया था. टोपा पीर से ले जाए गए आठ लोगों में से तीन की कथित यातना के दौरान लगी चोटों से मौत हो गई.

अखबार के अनुसार, जांच में पता चला है कि पूछताछ में ऑपरेशन के साथ-साथ कुछ कर्मियों के व्यक्तिगत आचरण में खामियां पाई गईं. दो अधिकारियों और अन्य रैंकों के खिलाफ प्रशासनिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है जो पूछताछ के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार थे.

सूत्रों ने कहा कि शुरुआती निष्कर्षों में 13 सेक्टर आरआर के ब्रिगेड कमांडर और 48 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) की ओर से प्रशासनिक चूक और कमांड और नियंत्रण की कमी का संकेत मिला है. हालांकि, ब्रिगेड कमांडर साइट पर मौजूद नहीं थे, सीओ छुट्टी पर थे- तब उन्हें बाहर ले जाया गया है. वे सीधे तौर पर किसी भी अपराध में शामिल नहीं थे, लेकिन उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

बताया गया है कि जरूरी नहीं कि ज्यादातर समय वे मौके पर ही हों, वे एसओपी और अन्य अभ्यासों के अमल को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं.

सूत्रों ने कहा कि दो अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और अन्य रैंकों के खिलाफ भी उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई है, जो गिरफ्तार किए गए नागरिकों से पूछताछ के दौरान मौजूद थे. माना जा रहा है कि सीओ की अनुपस्थिति में उनकी भूमिका के लिए एक अधिकारी जिम्मेदार था.

सूत्रों ने यह भी जोड़ा कि हालांकि दोनों अधिकारी सीधे तौर पर उस शारीरिक यातना, जिसके चलते मौत हुई, में शामिल नहीं थे, लेकिन वे यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार थे कि पूछताछ नियमों के अनुरूप की गई थी. इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.

गौरतलब है कि सेना में अनुशासनात्मक कार्रवाई का मतलब कोर्ट मार्शल हो सकता है. अपराध की गंभीरता के आधार पर सजा में मृत्युदंड भी शामिल हो सकता है. प्रशासनिक कार्रवाई का अर्थ होगा बिना किसी मुकदमे के विभागीय कार्रवाई. सजा में डिमोशन, जुर्माना, फटकार या यहां तक कि सेवा से बर्खास्तगी भी शामिल हो सकती है.

सूत्रों के अनुसार, कानूनी प्रक्रियाओं और अन्य विवरणों की जांच के बाद पूछताछ को अंतिम रूप दिया गया है, जिसमें सेना नियम 180 को लागू करना भी शामिल है, जिसमें आरोपियों को बयानों को स्पष्ट करने के लिए गवाहों से जिरह करने का विकल्प मिलता है.

अखबार के सवालों के जवाब में सेना ने कहा कि घटना की जांच अभी भी जारी है और इस स्तर पर नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी हो सकती है.

उसने कहा, ‘भारतीय सेना इस घटना से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए गहन और निष्पक्ष जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं कि जांच निष्पक्ष, व्यापक और निर्णायक हो. जांच के नतीजे के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी.’

सेना ने कहा कि वह किसी भी मानवाधिकार उल्लंघन के प्रति जीरो-सहिष्णुता बनाए रखने के अलावा, कानून के अनुसार अनुशासन, आचरण और नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

ज्ञात हो किपुंछ जिले में बीते साल 21 दिसंबर को एक आतंकी हमले में 4 जवानों की मौत के बाद सेना ने कुछ लोगों को पूछताछ के लिए उठाया था. बाद में 3 लोगों (सफीर हुसैन (48 वर्ष), मोहम्मद शौकत (28 वर्ष) और शब्बीर अहमद (25 वर्ष)) के शव उस जगह के नजदीक पाए गए थे, जहां आतंकवादियों ने सेना पर हमला किया था. एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें सेना के जवान नागरिकों को यातनाएं देते देखे जा सकते हैं. घायलों की इस आपबीती से पहले तीनों मृतकों के गांव टोपा पीर के सरपंच ने इस बात की पुष्टि की थी कि वायरल वीडियो में मारे गए नागरिक जवानों की प्रताड़ना सहते दिख रहे हैं.

इसके बाद, सेना ने नागरिकों की मौत का कारण बनीं परिस्थितियों की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का आदेश दिया था.

घटना के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे के साथ राजौरी का दौरा किया और मारे गए तीन नागरिकों के परिवारों से मुलाकात की थी. तब पीड़ित परिवारों ने बताया था कि सिंह ने उन्हें न्याय का आश्वासन दिया है.

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