बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जम्मू कश्मीर में बिहार के मज़दूरों की हत्या की निंदा करते हुए कहा कि हमें भरोसा है कि प्रशासन बिहार के लोगों की सुरक्षा का इंतज़ाम करेगा, ताकि आतंकी इस तरह की घटना को अंजाम न दे सके. बीते 17 अक्टूबर को आतंकवादियों ने बिहार के दो मज़दूरों की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस महीने आतंकियों द्वारा नागरिकों को निशाना बनाकर किए गए हमलों में 11 लोगों की मौत हो चुकी है.
घटना कुलगाम ज़िले में हुई है. यह मिलिटेंट संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' के संस्थापक अब्बास शेख का गृह ज़िला है, जिसने सुरक्षाकर्मियों के साथ-साथ कश्मीर में रहने वाले स्थानीय और ग़ैर-स्थानीय अल्पसंख्यकों पर हाल के अधिकांश हमलों की ज़िम्मेदारी ली है. इस महीने अब तक नागरिकों को निशाना बनाकर की गई गोलीबारी में 11 लोगों की मौत हो चुकी है.
नागरिकों की हत्याओं के कई मामलों के बाद कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने सभी दस ज़िलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसी भी प्रवासी कर्मचारी को घाटी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है और जो भी घाटी छोड़ेगा, उसके ख़िलाफ़ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.
सात अक्टूबर को अनंतनाग में एक सीमा चौकी के पास रुकने का संकेत देने के बावजूद एक कार के न रुकने पर सीआरपीएफ जवानों ने गोलियां चला दीं, जिसमें परवेज़ अहमद नाम के एक शख़्स की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनकी सहमति के बिना ही शव दफ़ना दिया. परवेज़ के परिवार के साथ घाटी के कई नेताओं ने इस घटना की जांच की मांग की है.
बीते आठ अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले के तीन ब्लॉकों- बनिहाल, रामसू और उखराल के क़रीब 70 सरपंचों और पंचों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सामूहिक इस्तीफ़ा दे दिया था. उन्होंने निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया था.
जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले में बनिहाल, रामसू और उखराल ब्लॉकों के पंचायत सदस्यों ने इस्तीफ़ा दिया है. अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए पद त्याग दिया है.
वीडियो: जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.
जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.
श्रीनगर में मंगलवार को आतंकियों के हमले में शहर के जाने-माने केमिस्ट समेत तीन लोगों की जान गई है. कश्मीर में हालिया हमले के बाद इस साल अब तक लगभग दो दर्जन नागरिकों की हत्या हो चुकी है. जम्मू कश्मीर पुलिस ने इन हत्याओं को 'हाइब्रिड युद्ध' बताया है, जो आतंकियों का एक नया हथकंडा है.
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में शनिवार को अज्ञात लोगों ने मट्टन इलाके में पहाड़ पर स्थित माता बरघशिखा भगवती मंदिर में तोड़-फोड़ की. यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब केंद्र सरकार 1990 के दशक के शुरुआत में घाटी छोड़कर गए कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास को लेकर क़दम उठा रही है.
अलगावादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के परिवार का कहना है कि पहले जम्मू कश्मीर पुलिस इस बात पर सहमत हुई थी कि उनके परिजन उन्हें दफ़नाने के इंतज़ाम कर सकेंगे, लेकिन बाद में पुलिसकर्मी उनका शव लेकर चले गए.
बडगाम पुलिस ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के इंतक़ाल के बाद उनके शव को पाकिस्तान के झंडे में लपेटने और कथित 'राष्ट्र विरोधी' नारेबाज़ी के मामले में यूएपीए और आईपीसी की विभिन्न धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है.
बीते एक सितंबर को अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के बाद कश्मीर घाटी के ज़्यादातर हिस्सों में लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाने के लिए प्रशासन द्वारा पाबंदी लगाई गई है. इंटरनेट सेवाओं और मोबाइल टेलीफोन सेवाओं को दो दिन तक बंद रखने के बाद शुक्रवार रात को बहाल किया गया था, लेकिन मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को शनिवार सुबह फ़िर से बंद कर दिया गया.
जम्मू कश्मीर के श्रीनगर के जहांगीर चौक पर मुहर्रम के 10 दिनों की शोक अवधि के आठवें दिन जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे कुछ शिया मुसलमानों को पुलिस ने हिरासत में भी लिया. वर्ष 1990 के दशक में आंतकवाद की शुरुआत होने के बाद से जुलूस पर रोक लगी है, क्योंकि अधिकारियों का मानना है कि धार्मिक समागम का इस्तेमाल अलगाववादी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.
जिस दिन अख़बार और टीवी चैनल जेवलिन थ्रो में एथलीट नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने के ब्योरे छाप रहे थे, जिस दिन नीरज के पहले कोच नसीम अहमद उन्हें याद कर रहे थे, उसी दिन दिल्ली में सैकड़ों लोग भारत के नसीम अहमद जैसे नाम वालों को काट डालने के नारे लगा रहे थे और हिंदुओं को उनका क़त्लेआम करने का उकसावा दे रहे थे.