आम नागरिकों का नफ़रत के ख़िलाफ़ खड़े होना आश्वस्त करता है कि घृणा हारेगी

देश में जहां एक तरफ नफ़रत के पैरोकार सांप्रदायिकता की खाई गहरी करने के फेर में हैं, वहीं उनकी भड़काने और उकसाने की तमाम कोशिशों के बावजूद आम देशवासी सांप्रदायिक आधार पर एक दूजे के खून के प्यासे नहीं हो रहे, बल्कि उनके मंसूबों को समझकर जीवन के नए समतल तलाशने की ओर बढ़ने लगे हैं.

सामाजिक ताने-बाने पर चोट और बढ़ती सांप्रदायिकता पर कॉरपोरेट वर्ग चुप क्यों है

वर्तमान परिस्थितियों को लेकर कॉरपोरेट अग्रणियों के बीच पसरे विराट मौन में शायद ही कोई अपवाद मिले. यह बात अब शीशे की तरफ साफ हो गई है कि मौजूदा निज़ाम में कॉरपोरेट समूहों और हिंदुत्व वर्चस्ववादी ताकतों की जुगलबंदी नए मुकाम पर पहुंची है.

कर्नाटक में सांप्रदायिक प्रतिरोध की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए: किरण मजूमदार शॉ

कर्नाटक में बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं जैसे- हिजाब मुद्दा, हिंदू धर्म स्थलों पर मुसलमानों को व्यवसाय न करने देना या हलाल मीट विवाद, को देखते हुए बायोकॉन कंपनी की प्रमुख किरण मजूमदार शॉ ने मुख्यमंत्री से अपील की है कि वे धर्म के आधार पर विभाजन के मुद्दे का निपटारा करें. इस पर मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा है कि ऐसे मुद्दे पर सार्वजनिक मंच पर जाने से पहले हर किसी को संयम बरतना चाहिए.