यूपी: ईंट भट्ठों के जानलेवा तापमान और आसमान से बरसती आग के बीच कैसे काम कर रहे हैं श्रमिक?

भीषण गर्मी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला वर्ग श्रमिकों का है. ऐसे में यूपी के ईंट के भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर (फायरमैन) घिसी हुई लकड़ी की चप्पलों, नींबू, नमक और चीनी के सहारे झुलसा देने वाली गर्मी के बीच बेहद कठि‍न परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं.

अमेज़ॉन वेयरहाउस का हाल: कम वेतन, लंबे समय तक खड़े रहना और स्टाफ के आराम की जगह नहीं

हरियाणा के मानेसर में अमेज़ॉन वेयरहाउस में काम करने वाली नेहा बताती हैं कि अमानवीय स्थितियों के बावजूद कर्मचारियों से अपेक्षा की जाती है कि वो तेज़ रफ़्तार से काम करते रहें. कंपनी कर्मचारियों पर कड़ी नज़र रखती है और अगर वे हर घंटे के टारगेट को पूरा नहीं कर पाते, तो सज़ा भुगतनी पड़ती है.

राजस्थान: लगातार बंद हो रहे इंटरनेट से परेशान क़रीब 4 लाख कर्मियों के मुद्दे चुनाव में कहां हैं?

सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर इंडिया के मुताबिक़, 2012 से 2024 के बीच जम्मू कश्मीर के बाद राजस्थान में सबसे ज़्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया है. इस तरह इंटरनेट पर आधारित ऐप्स से जुड़े रोज़गारों के लिए नियमित इंटरनेट बंदी बड़ी मुसीबत बन गई है.

नया सामाजिक सुरक्षा क़ानून मज़दूरों के हक़ में कितना हितकारी होगा

सितंबर 2020 में भारत सरकार द्वारा मज़दूरों के हित का दावा करते हुए लाए गए सामाजिक सुरक्षा क़ानून में असंगठित मज़दूरों के लिए बहुत कुछ नहीं है, जबकि देश के कार्यबल में उनकी 91 प्रतिशत भागीदारी है.

सुप्रीम कोर्ट ने श्रमिकों के काम के घंटे बढ़ाने वाले गुजरात सरकार के आदेश को ख़ारिज किया

गुजरात सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2020 को जारी उस अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसके तहत मज़दूरों के कई अधिकारों को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि महामारी का हवाला देकर मज़दूरों के सम्मान और उनके अधिकारों के लिए बने क़ानूनों को ख़त्म नहीं किया जा सकता.

कृषि विधेयक और श्रम क़ानून में बदलाव: महामारी के बीच मोदी सरकार का विध्वंसकारी खेल

ऐसे समय में जब भारतीय अर्थव्यवस्था लगभग तबाह हो चुकी है, तब सुधारों के नाम पर किसानों और कामगारों के बीच उनकी आय को लेकर आशंकाएं और मानसिक परेशानियां पैदा करना सही नहीं है.

महामारी के बीच श्रम सुधार के नाम पर लाए गए तीन क़ानूनों का विरोध क्यों हो रहा है

मोदी सरकार द्वारा लाए गए नए श्रम क़ानूनों में जहां एक ओर सामाजिक सुरक्षा के दायरे में ऐसे विभिन्न कामगारों को लाया गया है, जो अब तक इसमें नहीं थे, वहीं दूसरी ओर हड़ताल के नियम कड़े किए गए हैं. साथ ही नियोक्ता को बिना सरकारी मंज़ूरी के कामगारों को नौकरी देने और छंटनी के लिए अधिक छूट दी गई है.

यूपी: श्रम क़ानूनों में बदलाव मज़दूरों के अनवरत संघर्ष को बरक़रार रखने की कोशिश है

उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों से वापस लौटे श्रमिकों को काम देने की बात कही है, लेकिन उसके नए श्रम क़ानून यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रदेश के मज़दूर वह न्यूनतम वेतन भी न पा सकें, जिससे वे अपने लिए एक न्यूनतम संसाधनों वाली ज़िंदगी बनाए रख सके.

राजस्थान: औरैया हादसे के शिकार मजदूरों की कंपनी पर वेतन देने में देरी का आरोप

उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार को मरने वाले 24 मजदूर राजस्थान के आरएसजी स्टोंस नाम की कंपनी में काम करते थे. कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनसे देर तक काम करवाया जाता है और वेतन देने में देरी की जाती है.

उत्तर प्रदेश सरकार ने मज़दूरों के 12 घंटे काम करने के आदेश को वापस लिया

लॉकडाउन के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी कर मज़दूरों के काम के घंटे आठ से बढ़ाकर से 12 घंटे कर दिया था. इसके इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाख़िल की गई थी, जिस पर अदालत ने सरकार को नोटिस जारी किया था.