तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने विधि आयोग को पत्र लिखकर प्रस्तावित समान नागरिक संहिता पर आपत्ति दर्ज कराई है. पार्टी ने कहा कि सभी धर्मों के लिए समान नागरिक संहिता लाने से पहले हमें जातिगत भेदभाव और अत्याचारों को ख़त्म करने के लिए एक समान जाति कोड की आवश्यकता है.
ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेन एसोसिएशन ने भारत के विधि आयोग को सौंपे गए अपने एक पत्र में कहा है कि समान नागरिक संहिता का प्रयास बड़े पैमाने पर एक समान क़ानून लाने का होगा, जो बहुसंख्यकवादी क़ानून होंगे, न कि ऐसे क़ानून जो महिलाओं को वास्तव में समान अधिकार देते हों.
भाजपा की सहयोगी नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की अरुणाचल प्रदेश इकाई ने राज्य की विविध बहुजातीय और बहु-आदिवासी संरचना के साथ-साथ इसकी मजबूत प्रथागत और पारंपरिक पहचान का हवाला देते हुए समान नागरिक संहिता के विरोध में एक प्रस्ताव पारित किया है.
छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने कहा कि आदिवासी समाज में समान नागरिक संहिता लागू करना अव्यावहारिक लगता है. यह आदिवासी समाज के सदियों से चली आ रहे विशिष्ट रीति-रिवाजों को प्रभावित कर सकता है, जिससे इन समुदायों की पहचान और अस्तित्व को ख़तरा पैदा हो सकता है.
विधि आयोग ने विवादास्पद राजद्रोह क़ानून को कुछ बदलावों के साथ बरक़रार रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत सज़ा की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल करने का भी सुझाव दिया गया है. मई 2022 में शीर्ष अदालत ने इस क़ानून पर तब तक रोक लगा दी थी, जब तक सरकार इसकी समीक्षा न कर ले.
विधि आयोग ने क्रिकेट समेत अन्य खेलों पर सट्टे को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणालियों के तहत नियमित कर देय गतिविधियों के रूप में अनुमति दी जाने की सिफ़ारिश की है.
सुप्रीम कोर्ट में एक हलफ़नामे के ज़रिये आयोग ने कहा कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में और प्रभावी क़दम उठाने के लिए क़ानून में संशोधन की ज़रूरत होगी जो चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.