समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के जनता से रायशुमारी के निर्णय के विरोध में आया विपक्ष

2018 में 21वें विधि आयोग ने कहा था कि इस समय समान नागरिक संहिता  की ज़रूरत नहीं है. अब 22वें विधि आयोग ने एक नई अधिसूचना जारी करते हुए इस बारे में जनता और धार्मिक संगठनों समेत विभिन्न हितधारकों राय मांगी है. विपक्ष ने इसे विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने की कोशिश बताया है.

केंद्र सरकार राजद्रोह क़ानून को और अधिक कठोर बनाने की योजना बना रही है: कांग्रेस

विधि आयोग ने विवादास्पद राजद्रोह क़ानून को कुछ बदलावों के साथ बरक़रार रखने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत सज़ा की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर सात साल करने का भी सुझाव दिया गया है. मई 2022 में शीर्ष अदालत ने इस क़ानून पर तब तक रोक लगा दी थी, जब तक सरकार इसकी समीक्षा न कर ले.

ऑनर किलिंग के तहत दर्ज मामलों में वृद्धि, लेकिन इसके ख़िलाफ़ कोई क़ानून नहीं: अध्ययन

दलित ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स नेटवर्क ने सात राज्यों में जाति आधारित 'ऑनर किलिंग' के मामलों का अध्ययन किया और पाया कि किसी विशेष क़ानून के अभाव में इस अपराध की वास्तविक स्थिति पता लगाना असंभव है.

समान नागरिक संहिता लागू करने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया: सरकार

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह भी बताया कि 22वां विधि आयोग समान नागरिक संहिता से संबंधित मामले पर विचार कर सकता है. उन्होंने बताया कि सरकार ने भारत के 21वें विधि आयोग से अनुरोध किया था, लेकिन इसकी अवधि 31 अगस्त 2018 को समाप्त हो गई.

हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी विधि आयोग के अध्यक्ष नियुक्त

क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी विधि आयोग के अध्यक्ष होंगे और जस्टिस केटी शंकरन, प्रोफेसर आनंद पालीवाल, प्रोफेसर डीपी वर्मा, प्रोफेसर राका आर्य और एम. करुणानिधि को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया है.

हेट स्पीच पर मोदी सरकार चुप है क्योंकि वही इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी है

सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच की बात करके देश की दुखती नब्ज़ पर हाथ रखा है, लेकिन जहां तक उसके 'केंद्र के मूकदर्शक बने बैठने' वाले सवाल की बात है, तो यह पूछने वाले को भी पता है और देश भी जानता है कि ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरकार व उसे चला रही पार्टी ही हेट स्पीच की सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.

टीवी और सोशल मीडिया पर हेट स्पीच से निपटने के लिए संस्थागत प्रणाली लाने की ज़रूरत: कोर्ट

विभिन्न टीवी चैनलों पर नफ़रत फैलाने वाले भाषणों को लेकर नाराज़गी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि उसे ‘मूक दर्शक’ बने रहने की बजाय इस समस्या से निपटने के बारे में सोचना चाहिए.

विधि आयोग को क़ानूनी निकाय बनाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा

वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका में मांग की है कि विधि आयोग को ‘सांविधिक संस्था’ घोषित कर एक महीने के भीतर इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की जाए. उपाध्याय का कहना है कि सितंबर 2018 से विधि आयोग नेतृत्वविहीन है और काम नहीं कर रहा है.

क्यों निर्दोष नागरिकों को सालों-साल क़ैद में रखना चुनावी मुद्दा बनना चाहिए

बड़ी संख्या में नागरिकों, विशेष रूप से हाशिये के समुदायों से आने वालों को बेक़सूर होने के बावजूद एक लंबा समय जेल में बिताना पड़ा है. फिर भी कोई प्रमुख राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहता.

चुनाव आयोग की सिफ़ारिश, ग़लत हलफ़नामा दाख़िल करना सदस्यता ख़त्म करने का एक आधार बने

मौजूदा व्यवस्था में ग़लत हलफ़नामा देने वाले उम्मीदवार के ख़िलाफ़ आपराधिक क़ानून के तहत धोखाधड़ी का ही मामला दर्ज होता है.

यूनीफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा भी बोगस निकला

यूनीफॉर्म सिविल कोड के नाम पर चैनलों और अखबारों में कितनी बहस चलाई गई और मुसलमानों के प्रति नफ़रत का वट वृक्ष खड़ा किया जाता रहा. इस डिबेट में पहले भी कुछ नहीं था, अब भी कुछ नहीं है.

विधि आयोग ने मौत की सज़ा ख़त्म करने की सिफारिश की

विधि आयोग ने आतंकवाद के मामलों को छोड़कर अन्य सभी अपराधों के लिए फांसी की सज़ा ख़त्म करने की सिफारिश की है. राज्यसभा को बुधवार को यह जानकारी दी गई.