वीडियो: हमारा संविधान की इस कड़ी में लोकतंत्र के ढांचे के सबसे महत्वपूर्ण मील के पत्थर- समानता के अधिकार और इससे जुड़ी बारीकियों के बारे में बता रही हैं सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अवनि बंसल.
वीडियो: भारत के संविधान का अनुच्छेद 13 कहता है कि कोई भी क़ानून, अध्यादेश, आदेश, नियम, प्रथा- जो संविधान के लागू होने से पहले से अस्तित्व में है या बाद में बनाया गया हो- यदि वह भाग तीन में दिए गए मौलिक अधिकारों से किसी भी प्रकार से विरोधाभास दर्शाता है या उनका हनन करता है तो ऐसे क़ानून को अमान्य माना जाएगा.
वीडियो: संविधान के अनुच्छेद 1 से 4 में भारत का क्षेत्रफल, नए राज्य बनाने का अधिकार, राज्यों की सीमा घटाने, बढ़ाने और उनके नाम बदलने का अधिकार, नए क्षेत्र को अर्जित करने के अधिकार के बारे में बताया गया है. साथ ही राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में क्या अंतर है, क्या क़ानून हैं, विस्तार से बता रही हैं अवनि बंसल.
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में विदेश राज्यमंत्री वी. मुरलीधरन ने राज्यसभा में बताया कि सऊदी अरब की जेलों में सर्वाधिक 1,599 भारतीय क़ैदी हैं, वहीं संयुक्त अरब अमीरात की जेलों में 898 और नेपाल की जेलों में 886 भारतीय बंद हैं.
वीडियो: हमारा संविधान की इस कड़ी में जानिए, भारतीय संविधान की कल्पना करने में महिलाओं ने क्या भूमिका निभाई. सबको मतदान का अधिकार कैसे मिला और संविधान की प्रस्तावना ‘हम भारत के लोग’ के प्रारंभिक शब्दों का क्या महत्व है. सांसदों ने संविधान में ‘जनमत संग्रह’ प्रस्ताव को शामिल क्यों नहीं किया.
वीडियो: हमारा संविधान के दूसरे एपिसोड में जानिए पहली बार भारत के संविधान की मांग कब हुई, संविधान बनाने में किन लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की, क्या थी संविधान बनाने वाली कमेटी की संरचना और वे क़ानून जिन पर भारत का संविधान आधारित है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जहां क़ानून ने सत्ता को अत्यधिक शक्ति प्रदान की है कि वे किसी भी व्यक्ति को सामान्य क़ानून के तहत मिले संरक्षण और कोर्ट के ट्रायल के बिना गिरफ़्तार कर सकते हैं, ऐसे क़ानून को इस्तेमाल करते वक़्त बेहद सावधानी बरती जानी चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट ने भारत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी को लेकर भी चिंता ज़ाहिर की है. उनकी टिप्पणी पर भारत की ओर से कहा गया है कि मानवाधिकार के नाम पर क़ानून का उल्लंघन माफ़ नहीं किया जा सकता.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामले लंबित हैं, क्योंकि पुलिस अधिकारी कभी-कभी ऐसे जनप्रतिनिधियों के दबाव के चलते क़ानून का अनुपालन नहीं कर पाते हैं.
सीमा शुल्क अधिनियम से जुड़े एक मामले में केंद्र सरकार का कहना था कि किसी अधिसूचना को ई-गजट पर अपलोड होने के समय से ही प्रभावी माना जाना चाहिए, जिस पर शीर्ष अदालत ने असहमति ज़ाहिर की है.
अपराध सुधार के लिए काम करने वाले एक समूह के अध्ययन में सामने आया है कि दिल्ली की निचली अदालतों द्वारा साल 2000 से 2015 तक दिए गए मृत्युदंड के 72 फीसदी फ़ैसले समाज के सामूहिक विवेक को ध्यान में रखते हुए लिए गए थे.
केंद्र सरकार स्वास्थ्य कर्मचारियों के ख़िलाफ़ हिंसा को ख़त्म करने के लिए अध्यादेश लेकर आई है. यह अध्यादेश स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी कर्मचारियों- जैसे कि डॉक्टर, नर्स, पैरामैडिकल और आशा कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
राजस्थान सरकार की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन कानून संविधान की मूल भावना के विपरीत है और ये मौलिक अधिकारों का हनन करता है. इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अब तक 160 से अधिक याचिकायें दायर की जा चुकी हैं.
मध्य प्रदेश के सतना ज़िले की एक महिला द्वारा अनुकंपा नियुक्ति के आवेदन को राज्य की बिजली कंपनी ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि सरकार की नीति के तहत अनुकंपा नियुक्ति का लाभ सिर्फ पुत्र, अविवाहित पुत्री, विधवा पुत्री या तलाक़शुदा पुत्री को ही दिया जा सकता है.
आयोग ने राज्य सरकार से लिव-इन रिलेशनशिप की बढ़ती हुई प्रवृत्ति को रोकने और समाज में महिलाओं के सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार को सुरक्षित करने के लिए क़ानून बनाने की सिफ़ारिश की है.