पांच जजों की पीठ द्वारा 3:2 से यह प्रस्ताव भी ख़ारिज कर दिया गया कि समलैंगिक जोड़े बच्चों को गोद ले सकते हैं.
दिलचस्प है कि एक केंद्रीय मंत्री (अर्जुन राम मेघवाल), जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए एक बुनियादी मानवधिकार, समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के ख़िलाफ़ थे, को ऐसे समय में क़ानून मंत्री बनाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को वैध बनाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. इस दौरान विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत सार्वजनिक आपत्ति आमंत्रित करने वाले 30 दिनी नोटिस पर हुई चर्चा के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि यह अनिवार्य नोटिस ‘पितृसत्तात्मक’ है और ‘समाज के खुले हस्तक्षेप’ को बढ़ावा देता है.
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है. सरकार ने बीते दिनों एक हलफनामा पेश करते हुए कहा था कि समलैंगिक विवाह ‘अभिजात्य वर्ग का विचार’ है.
अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 में भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर जारी एक वार्षिक रिपोर्ट में मनमानी गिरफ़्तारियों, यूएपीए के इस्तेमाल और 'बुलडोज़र न्याय' जैसी विभिन्न घटनाओं का ज़िक्र करते हुए देश में मानवाधिकारों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की गई है.
इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और नगालैंड के प्रमुख समाचार.
आरोप है कि त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में पार्टी करके रात में लौट रहे ट्रांसजेंडर समुदाय के चार लोगों को कुछ पुलिसकर्मियों और एक पत्रकार ने रास्ते में रोककर उन्हें एक महिला पुलिस स्टेशन ले गए थे, जहां उन्हें जबरन निर्वस्त्र कराया गया.
करवाचौथ को लेकर डाबर कंपनी ने अपने उत्पाद ‘फेम क्रीम गोल्ड ब्लीच’ का एक नया विज्ञापन जारी किया था, जिसमें दो महिलाओं को एक दूसरे के लिए करवाचौथ का व्रत रखते हुए दिखाया गया था. मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने विज्ञापन न हटाने पर कार्रवाई की बात कही थी, जिसके बाद डाबर इंडिया ने इसे वापस लेते हुए माफ़ी मांग ली है.
पुलिस प्रताड़ना के ख़िलाफ़ दो समलैंगिक महिलाओं द्वारा दायर याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय के संबंधों के प्रति समाज में परिवर्तन की ज़रूरत है. असली समस्या क़ानूनी मान्यता की नहीं बल्कि सामाजिक स्वीकृति की है. हमारा मानना है कि सामाजिक स्तर पर बदलाव होने चाहिए.