ऋषि सुनक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने पर भारतीयों को ख़ुश होने की जगह वास्तव में गंभीरता के साथ आत्ममंथन करना चाहिए कि हज़ारों सालों से हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रही हमारी धार्मिक विविधता और सांस्कृतिक बहुलता का क्या हुआ.
ऋषि सुनक का प्रधानमंत्री होना ब्रिटेन के लिए अवश्य गौरव का क्षण है क्योंकि इससे यह मालूम होता है कि ‘बाहरी’ के साथ मित्रता में उसने काफ़ी तरक्की की है. इसमें हिंदू धर्म या उसके अनुयायियों का कोई ख़ास कमाल नहीं है. यह कहना कि ब्रिटेन को भी हिंदू धर्म का लोहा मानना पड़ा, हीनता ग्रंथि की अभिव्यक्ति ही है.
ब्रिटेन में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लिज़ ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देने के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी का नया नेता चुना गया है. दो महीने से भी कम समय में वह ऐसे तीसरे प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने ब्रिटिश राजनीतिक इतिहास के सबसे अशांत समय में से एक के दौरान पदभार ग्रहण किया है.
बीते दिनों ब्रिटिश प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस की सरकार एक आर्थिक कार्यक्रम लेकर आई थी, जिसने बाज़ार में उथल-पुथल मचा दी थी और उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के महज़ छह हफ़्ते बाद ही उनकी कंज़रवेटिव पार्टी विभाजित हो गई थी. इस बीच गृह मंत्री ने इस्तीफ़ा दे दिया था, जबकि वित्त मंत्री को पद से हटा दिया गया था.
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के साथ ब्रिटेन के इतिहास में किसी शासक के सबसे लंबे समय तक किए गए शासन का अंत हो गया है. उन्होंने ब्रिटेन पर 70 साल तक शासन किया. 73 साल की उम्र में प्रिंस चार्ल्स अगले महाराज बन गए हैं. उन्हें ‘किंग चार्ल्स थर्ड’ के नाम से जाना जाएगा. राजगद्दी पर बैठने वाले चार्ल्स सबसे अधिक उम्र के राजा होंगे.
ब्रिटेन की विदेश मंत्री रहीं लिज़ ट्रस ने सोमवार को भारतीय मूल के पूर्व वित्त मंत्री ऋषि सुनक को कंज़रवेटिव पार्टी नेतृत्व के लिए हुए मुक़ाबले में हराया था और अब वह प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन का स्थान लेंगी.
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत के दो दिवसीय दौरे पर थे. उन्होंने भारत को तेल, सैन्य साजो-सामान और अन्य वस्तुओं की ज़रूरतों को भी पूरा करने का वादा किया. इससे पहले अमेरिका ने यूक्रेन पर रूस के हमले के मद्देनज़र उस पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए ख़ामियाजा भुगतने की चेतावनी दी थी.
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जिना रायमोंडो ने वॉशिंगटन में ऑस्ट्रेलिया के वाणिज्य मंत्री के साथ बुधवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह टिप्पणी की. ऐसी रिपोर्ट है कि भारत अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए रूस से सस्ती दरों पर कच्चे तेल की ख़रीद के लिए मॉस्को की एक भुगतान प्रणाली अपनाने पर विचार कर रहा है.