गोशालाओं में गायों की रोज़ाना मौत और गोभक्ति का पाखंड

भाजपा शासित राज्यों में गोशालाओं में बदइंतज़ामी के चलते लगातार गायों की मौत हो रही है, लेकिन वे गाय के प्रति अपना ‘प्रेम’ उजागर करने में नित नये क़दम बढ़ाते रहते हैं.

क्या खेती करने में बुद्धि का इस्तेमाल नहीं होता?

खेती से जुड़े किसी भी काम को अकुशल श्रम माना जाता है. क्या मिट्टी की पहचान के साथ फसल तय करने में बुद्धि का इस्तेमाल नहीं होता? बीज अंकुरित होगा या नहीं, यह जांचना गैर-तकनीकी काम है? कौन से उर्वरक-खाद डालना है, कब डालना है, क्या यह विशेषज्ञता का काम नहीं है?

‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के सरकारी नारे के दौर में हल खींचती बेटियां

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह ज़िले सीहोर में आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान द्वारा खेत जोतने के लिए बैल की जगह बेटियों से हल खिंचवाने की तस्वीरें सामने आई हैं.

व्यवस्था ‘नत्था’ से किसानी छुड़ाकर मज़दूरी कराना चाहती है

‘पीपली लाइव’ किसान और मीडिया के चित्रण के जरिये भूमंडलीकरण की प्रक्रिया और उसके दुष्परिणामों की गहरी पड़ताल करता है. सिनेमा का व्यंग्यात्मक रुख राज्य और समाज के रवैये की भी पोल खोलता है.

मंदसौर से निकली ‘किसान मुक्ति यात्रा’ को पुलिस ने रोका

किसान यात्रा में शामिल योगेंद्र यादव, मेधा पाटेकर समेत कई किसान नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उनके अगले पड़ाव पर छोड़ दिया.

ख़ुशहाली मंत्रालय वाले मध्य प्रदेश में एक महीने में 50 से ज़्यादा किसानों ने की ख़ुदकुशी

मध्य प्रदेश में खुशहाली मंत्रालय है, राज्य को 4 बार कृषि कर्मण अवॉर्ड मिल चुका है, सरकार कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति​ का दावा करती है, फिर राज्य के किसान क़र्ज़ में कैसे डूबे हैं और वे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?

‘यह कृषि प्रधान देश है, जहां पर किसान मरने के लिए है और बाक़ी सब लूट कर खाने के लिए’

छह जुलाई को मध्य प्रदेश के मंदसौर से किसान मुक्ति यात्रा की शुरुआत होगी जो कई राज्यों से होते हुए 18 जुलाई को दिल्ली पहुंचेगी.

‘किसानों की क़र्ज़ माफ़ी से अर्थव्यवस्था बिगड़ती है, चंद घरानों का अरबों माफ़ करने से संवरती है’

सरकार को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए कि अगर हम अपना कृषि क्षेत्र नहीं बचा पाए तो अर्थव्यवस्था भी नहीं बचा पाएंगे.

हिंदुस्तान किसानों का क़ब्रिस्तान क्यों बनता जा रहा है?

राज्य बनने के बाद तेलंगाना में 3000, मध्य प्रदेश में 21 दिन में 40, मराठवाड़ा में दो हफ़्ते में 42 और छत्तीसगढ़ में एक पखवाड़े में 12 किसानों ने आत्महत्या की है.