बीते सप्ताह द वायर के रिपोर्टर याक़ूत अली मणिपुर के बिष्णुपुर ज़िले पहुंचे थे, जहां रात को स्थानीय मेईतेई लोगों से बातचीत के दौरान फायरिंग में एक गोली उनके पास से गुज़र गई.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ मणिपुर में जातीय हिंसा फैलने के संबंध में दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कुकी जनजाति की दो महिलाओं की याचिका भी शामिल थी, जिन्हें पुरुषों की भीड़ ने नग्न करके घुमाया था. पीठ ने सरकार से पूछा कि घटना 4 मई की थी और ज़ीरो एफ़आईआर 18 मई को दर्ज हुई. पुलिस को इसे दर्ज करने में 14 दिन क्यों लगे?
एक कार्यक्रम के दौरान मणिपुर हिंसा को लेकर भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख सेवानिवृत्त जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि इसमें विदेशी एजेंसियों की संलिप्तता को ख़ारिज नहीं किया जा सकता है, बल्कि मैं कहूंगा कि यह निश्चित रूप से है. विभिन्न उग्रवादी समूहों को कथित तौर पर चीन की ओर सहायता कई वर्षों से जारी है.
वीडियो: मणिपुर में बीते 3 मई से जारी जातीय हिंसा के दौरान तमाम ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें अपने परिवार के सदस्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं है. ऐसे लोगों से द वायर की टीम ने बातचीत की.
मणिपुर हिंसा में जान गंवाने वालों में कुकी लोगों की संख्या दो तिहाई, 181 मृतक में 113 कुकी: रिपोर्ट
एक मीडिया रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करके बताया गया है कि मणिपुर में बीते 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में 181 लोग मारे गए हैं, जिनमें कुकी लोगों की संख्या 113 है, जबकि मेईतेई समुदाय के मृतकों की संख्या 62 है. मई की शुरुआत में हिंसा के पहले सप्ताह में 10 मेईतेई लोगों की तुलना में 77 कुकी लोग मारे गए थे.
इंफाल की 17 वर्षीय छात्रा लुवांगबी लिनथोइंगंबी हिजाम और उनके दोस्त फिजाम हेमंजीत सिंह को आख़िरी बार 6 जुलाई को सीसीटीवी फुटेज में एक साथ देखा गया था. तब से, वे लापता हैं और उनके परिवार लगातार अधिकारियों से कार्रवाई करने के लिए गुहार लगा रहे हैं.
राहुल गांधी ने कहा कि जब देश को चोट लगती है, किसी नागरिक को चोट लगती है तो आपके दिल को भी चोट लगती है, मगर भाजपा-आरएसएस के लोगों को कोई दुख नहीं, क्योंकि ये हिंदुस्तान को बांटने का काम कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर से कुछ लेना-देना नहीं है. वो जानते हैं कि उनकी ही विचारधारा ने मणिपुर को जलाया है.
ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हुए इस मौन प्रदर्शन में वुमेन फ्रॉम नॉर्थ ईस्ट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य और अन्य व्यक्ति शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर में बीते 3 महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य यौन अपराधों में शामिल लोगों के लिए कड़ी सज़ा की मांग की.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेगी कि मुक़दमे की सुनवाई को राज्य से बाहर असम में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाए. बीते 4 मई को आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने के साथ उनमें से एक के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इसका वीडियो बीते 19 जुलाई को सामने आया था.
मणिपुर के काकचिंग ज़िले के सेरोउ अवांग लीकाई गांव में मई महीने के अंत में एक स्वतंत्रता सेनानी की अस्सी वर्षीय पत्नी को उनके घर में सशस्त्र भीड़ द्वारा ज़िंदा जला दिया गया. परिजनों का कहना है कि एफआईआर दर्ज होने के दो महीने बीतने के बाद भी पुलिस ने जांच शुरू नहीं की है.
मणिपुर में जातीय हिंसा से प्रभावित कुकी जनजाति के साथ एकजुटता दिखाने के लिए राजधानी आइज़ोल में आयोजित एक रैली में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरामथांगा ने भाग लिया था. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इसमें भाग लेने वालों द्वारा उनके ख़िलाफ़ अपमानजनक नारे लगाने के तरीके को असभ्य क़रार दिया.
निरपराधों की हत्याएं, स्त्रियों के साथ खुली ज़्यादतियां, अपने ही मुल्क में शरणार्थी बनने को अभिशप्त लोग, क़ानून के रखवालों द्वारा अत्याचारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में ढिलाई के आरोप, हिंसा के धार्मिक या सांप्रदायिक होने के स्पष्ट पुट... हम घटनाओं के सिलसिले को दोहराते देख रहे हैं, बीच में बस एक लंबा अंतराल है.
हिंसा प्रभावित मणिपुर में एक महिला के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद बीएसएफ के जवान को निलंबित कर दिया गया है. आरोपी की पहचान 100वीं बटालियन के हेड कॉन्स्टेबल सतीश प्रसाद के रूप में हुई है.
मणिपुर में हिंसा भड़कने से पहले 30 अप्रैल को चुराचांदपुर के रहने वाले एक स्नातक छात्र को पुलिस ने गिरफ़्तार किया था. छात्र ने एक फेसबुक पोस्ट साझा की थी, जिसमें कुकी-ज़ो लोगों की समस्याओं के लिए मुख्यमंत्री सहित मेईतेई नेताओं को दोषी ठहराया गया था. 4 मई को अदालत से जेल ले जाते समय भीड़ ने पुलिस वाहन पर हमला कर छात्र की हत्या कर दी और पुलिस के हथियार लूट लिए थे.
मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले के तोरबुंग बाज़ार में सशस्त्र उपद्रवियों ने कम से कम 10 ख़ाली घरों और एक स्कूल को जला दिया. हमले के दौरान कथित तौर पर मानव ढाल के रूप में काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं के नेतृत्व में भीड़ ने कई राउंड फायरिंग की और देसी बम फेंके थे.