मणिपुर रेप सर्वाइवर्स के लिए न्याय की मांग को लेकर लंदन में मौन प्रदर्शन

ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हुए इस मौन प्रदर्शन में वुमेन फ्रॉम नॉर्थ ईस्ट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य और अन्य व्यक्ति शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर में बीते 3 महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य यौन अपराधों में शामिल लोगों के लिए कड़ी सज़ा की मांग की.

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लंदन में विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@ACDAnews)

ब्रिटेन की राजधानी लंदन में हुए इस मौन प्रदर्शन में वुमेन फ्रॉम नॉर्थ ईस्ट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य और अन्य व्यक्ति शामिल हुए. प्रदर्शनकारियों ने मणिपुर में बीते 3 महीने से जारी जातीय हिंसा के दौरान महिलाओं के ख़िलाफ़ जघन्य यौन अपराधों में शामिल लोगों के लिए कड़ी सज़ा की मांग की.

लंदन में विरोध प्रदर्शन. (फोटो साभार: ट्विटर/@ACDAnews)

लंदन: मणिपुर में पिछले तीन महीने से जारी जातीय हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अमानवीय यौन अपराधों के विरोध में ब्रिटेन की राजधानी लंदन में मौन प्रदर्शन किया गया.

इस विरोध प्रदर्शन में वुमेन फ्रॉम नॉर्थ ईस्ट सपोर्ट नेटवर्क के सदस्य और संबंधित व्यक्ति शामिल हुए. इस दौरान एक रेप सर्वाइवर के चचेरे भाई भी मौजूद थे, उन्होंने अपराधियों के लिए कड़ी सजा की मांग की.

प्रदर्शनकारियों ने भारतीय उच्चायोग से पार्लियामेंट स्क्वायर तक मार्च किया, जहां वे अहिंसा और सामाजिक न्याय के प्रतीक महात्मा गांधी की प्रतिमा के नीचे मौन खड़े रहे. यह मौन प्रदर्शन राज्य के लोगों द्वारा झेले गए दर्द और पीड़ा की मार्मिक याद दिलाता है, जो मणिपुर में अनगिनत अन्य लोगों द्वारा झेले गए अनकहे आघात का प्रतीक था.

विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य मणिपुर में महिलाओं की ‘नग्न परेड’ पर ध्यान आकर्षित करना था. प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि इन जघन्य कृत्यों के अपराधियों को उनके अपराधों के लिए कड़ी सजा दी जाए और भारतीय अधिकारी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करें.

मणिपुर के थौबल जिले में आदिवासी कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा नग्न घुमाने के साथ इनमें से एक साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इतना ही नहीं इसका विरोध करने पर भीड़ ने एक युवती के पिता और भाई की हत्या कर दी थी. मुदाय की दो

बीते 4 मई को दोनों कुकी महिलाओं के साथ यह क्रूर और अमानवीय घटना घटी थी, जिसका वीडियो बीते 19 जुलाई को सामने आया था. इस घटना के बाद महिलाओं के साथ यौन अपराधों की सूचनाएं लगातार सामने आ रही हैं.

बीते 4 मई को ही इंफाल में कार धोने का काम करने वाली कांगपोकपी की दो महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार और बुरी तरह से मारपीट की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. बीते 6 मई को एक महिला को ज़िंदा जलाकर मार डाला गया था.

मालूम हो कि बीते 3 मई से कुकी और मेईतेई समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग घायल हुए हैं. लगभग 50,000 लोग विस्थापित हुए हैं.

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेईतेई समुदाय की मांग के विरोध में बीते 3 मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें हुई थीं, हिंसा में बदल गई और अब भी जारी हैं.

मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेईतेई समुदाय की है और ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासियों- नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत है और ये पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

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