मणिपुर के चुराचांदपुर ज़िले में राहत शिविरों में रहने वाले हज़ारों लोगों ने एक विरोध प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि 15 फरवरी की हुई ताज़ा हिंसा के बाद केंद्र सरकार द्वारा आपूर्ति किया गया राशन उन तक पहुंचना बंद हो गया है. राज्य सरकार ने कहा है कि हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने दो ट्रक जला दिए थे, जिनमें राहत सामग्री थी.
मणिपुर हाईकोर्ट की जस्टिस एमवी मुरलीधरन की एकल पीठ ने 27 मार्च 2023 को एक आदेश जारी कर मणिपुर की एन. बीरेन सरकार से राज्य की एसटी सूची में मेईतेई समुदाय को शामिल करने की सिफ़ारिश पर विचार करने के लिए कहा था. हाईकोर्ट ने अपने ताज़ा आदेश में इसमें संशोधन कर दिया है.
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यह आह्वान कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को चुराचांदपुर एसपी द्वारा निलंबित किए जाने के मद्देनज़र किया गया है. कॉन्स्टेबल को बहाल करने की मांग को लेकर बीते 15 फरवरी को भड़की हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है. मणिपुर सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के काम बंद को ‘अवैध’ बताते हुए क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
कुकी समुदाय के एक हेड कॉन्स्टेबल को निलंबित किए जाने के बाद भीड़ ने चुराचांदपुर के एसपी और ज़िला कलेक्टर कार्यालय पर हमला किया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई. कुकी-जो नागरिक समाज समूह आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि चुराचांदपुर एसपी ज़िले में हुई हिंसा की इस घटना के लिए पूरी तरह से ज़िम्मेदार हैं.
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बीते 30 जनवरी को इंफाल पश्चिम ज़िले में यह घटना कुकी-ज़ो प्रभुत्व वाले कांगपोकपी ज़िले की सीमा के क़रीब हुई. इस महीने मणिपुर में गोलीबारी की विभिन्न घटनाओं में सीमावर्ती शहर मोरेह में तैनात दो मेईतेई पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 9 लोग मारे गए हैं. राज्य में मई 2023 में जातीय हिंसा भड़की थी.
मणिपुर में बीते 27 जनवरी को कुकी समुदाय के कम से कम दो लोगों की हत्या कर दी गई और खमेनलोक क्षेत्र में कई घर और चर्च जला दिए गए. इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम ने आरोप लगाया कि दोनों मृतक अपने गांव की सुरक्षा कर रहे थे और कथित तौर पर असम राइफल्स द्वारा उन पर गोलीबारी की गई.
नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा है कि भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के निर्णय पर गहन चर्चा और लोगों से परामर्श की ज़रूरत है. जरूरत पड़ने पर हमें एक फॉर्मूला बनाना होगा कि जनता की समस्या कैसे सुलझाई जाए और घुसपैठ कैसे रोकी जाए. मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा भी बाड़ लगाने के फैसले को ‘अस्वीकार्य’ बता चुके हैं.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सर्वदलीय बैठक में अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए बताया कि मई में हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अनुच्छेद 355 प्रभावी है. यह अनुच्छेद केंद्र को राज्य सरकार को बर्ख़ास्त किए बिना राज्य के क़ानून-व्यवस्था को संभालने का अधिकार देता है.
मणिपुर में हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद राज्य के कुल 60 में से 32 विधायकों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्य में असम राइफल्स के बदले कोई और बल तैनात किया जाए, साथ ही कुकी उग्रवादी समूहों के साथ जारी समझौते (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) को विस्तार न दिया जाए.
मणिपुर में ताज़ा हिंसा के बीच पड़ोसी राज्य मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदोहुमा ने कहा है कि भारत सरकार, मणिपुर सरकार और आदिवासी नेताओं के बीच एक समाधान होना चाहिए. हर बात गृह मंत्रालय पर निर्भर करता है. देश में कहीं भी परेशानी होने पर हस्तक्षेप करना गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है.
बीते 17 जनवरी को पुलिस मुख्यालय पर हमला करने के अलावा भीड़ ने थौबल के खंगाबोक इलाके में थर्ड इंडियन रिजर्व बटालियन के परिसर को भी निशाना बनाया था. म्यांमार से लगे तेंगनौपाल ज़िले के मोरेह शहर में दो पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद यह घटना सामने आई है. इन स्थितियों को लेकर राज्य के गृह विभाग के आयुक्त ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है.
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मानवाधिकार संगठन ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में भाजपा सरकार के कार्यकाल में भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. रिपोर्ट में धार्मिक और अन्य अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण प्रथाओं को उजागर करते हुए कई घटनाओं को सूचीबद्ध किया गया है.