मणिपुर हिंसा: विधायकों ने उग्रवादियों से समझौते रद्द करने, असम राइफल्स को हटाने की मांग उठाई

मणिपुर में हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद राज्य के कुल 60 में से 32 विधायकों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्य में असम राइफल्स के बदले कोई और बल तैनात किया जाए, साथ ही कुकी उग्रवादी समूहों के साथ जारी समझौते (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) को विस्तार न दिया जाए. 

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@manipur_police)

मणिपुर में हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद राज्य के कुल 60 में से 32 विधायकों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि राज्य में असम राइफल्स के बदले कोई और बल तैनात किया जाए, साथ ही कुकी उग्रवादी समूहों के साथ जारी समझौते (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस) को विस्तार न दिया जाए.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: X/@manipur_police)

नई दिल्ली: पिछले साल मई से जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में इस महीने हुई हिंसा की ताजा घटना के बाद मणिपुर विधानसभा में कुल 60 में से 32 विधायकों ने सर्वसम्मति से कई प्रस्ताव अपनाए.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, रविवार को अपनाए गए इन प्रस्तावों में कथित तौर पर नागरिकों की हत्या करने वाले सशस्त्र उग्रवादियों के साथ समझौते (सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस- एसओओ) को तत्काल रद्द करने की मांग और असम राइफल्स की जगह किसी अन्य सैन्य बल को लाने की मांग शामिल है.

यह घटनाक्रम उस दिन सामने आया है जब केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक विशेष टीम मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच बातचीत के लिए राज्य में पहुंची है.

विधायकों के बयान में तर्क दिया गया है कि कुकी सशस्त्र आतंकवादी समूहों के साथ एसओओ समझौते और केंद्रीय बलों की ‘कड़ी  प्रतिक्रिया’ से उन्हें मिलने वाली छूट ‘हिंसा के कभी न खत्म होने वाले चक्र की मुख्य वजह है.

ज्ञात हो कि एसओओ पर केंद्र, मणिपुर सरकार और कुकी उग्रवादी संगठनों के दो समूहों- कुकी नेशनल ऑर्गेनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के साथ हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता पहली बार साल 2008 में किया गया था, जिसे समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है.

अब विधायकों का कहना है कि ‘निर्दोष नागरिकों की हत्या और जमीनी नियमों के उल्लंघन में शामिल एसओओ उग्रवादियों को तुरंत रोका जाना चाहिए.’

उनके बयान में यह भी कहा गया है कि ऐसे उग्रवादी समूहों ‘जो राज्य विरोधी गतिविधियों में भी शामिल हैं’, के साथ एसओओ समझौते को वर्तमान समाप्ति तिथि 29 फरवरी, 2024 से आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिए.

संयुक्त बयान में आगे मांग की गई है कि ‘केंद्र और राज्य बलों द्वारा पूरे राज्य में उपद्रवियों और अनधिकृत व्यक्तियों के कब्जे में मौजूद सभी अवैध हथियारों को जल्द से जल्द पूरी तरह से जब्त किया जाए. म्यांमार स्थित सशस्त्र उग्रवादियों द्वारा भारतीय जमीन, भारतीय नागरिकों और राज्य सुरक्षा बलों पर (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड लॉन्चर जैसे अत्याधुनिक हथियारों से) सशस्त्र हमलों को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए. अगर जल्द से जल्द ऐसा नहीं किया जा सका तो यह भारत गणराज्य की प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक होगा.’

विधायकों ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल- असम राइफल्स पर भी ‘जवाबदेह’ न होने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया कि ‘जब निहत्थे नागरिकों (विशेष रूप से किसानों) पर लगातार अंधाधुंध गोलीबारी की जा रही थी, तब बल के सदस्य मूकदर्शक बने हुए थे.’

उन्होंने कहा कि ‘असम राइफल्स और उनके नेतृत्व (चेन ऑफ कमांड) को सख्त निर्देश देने और जवाबदेह ठहराए जाने की जरूरत है.

उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि असम राइफल्स की जगह ‘उन बलों को लाया जाए जो निहत्थे नागरिकों पर गोलीबारी होने पर दमनात्मक कार्रवाई करने की क्षमता रखते हैं.’

बयान में आगे कहा गया है, ‘ऐसी प्रतिक्रिया, जो संकट के समय नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए पूरी तरह से उचित हो, अस्तित्वहीन रही है, यही कारण है कि मोरेह, बिष्णुपुर, इंफाल पश्चिम, काकचिंग जैसी जगहों पर वर्तमान में तैनात बलों पर जनता का भरोसा नहीं रहा है.’

विधायकों ने केंद्र से ‘जल्द से जल्द उचित कार्रवाई’ करने का आग्रह करते हुए जोड़ा, ‘ऐसा न होने पर विधायक जनता के परामर्श से उचित कार्रवाई करेंगे.’

बताया गया है कि विधायकों के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने दस्तखत नहीं किए हैं. मालूम हो कि राज्य सरकार का गृह विभाग सीएम संभालते हैं.

गौरतलब है कि 3 मई 2023 को मणिपुर में मेईतेई और कुकी-ज़ो समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 200 लोग जान गंवा चुके हैं, सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए हैं और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

3 मई 2023 को बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बीच दोनों समुदायों के बीच यह हिंसा भड़की थी.

मणिपुर की आबादी में मेईतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी समुदाय शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq bandarqq dominoqq pkv games slot pulsa pkv games pkv games bandarqq bandarqq dominoqq dominoqq bandarqq pkv games dominoqq