सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और दाखिले में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र के कानून को खारिज किया और इसे असंवैधानिक करार दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के इंदिरा साहनी फैसले (इसे मंडल फैसला भी कहा जाता है) को बड़ी पीठ के पास भेजने से इनकार किया.
मराठा आरक्षण के ख़िलाफ़ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत की पीठ ने यह भी कहा कि ये नीतिगत मामले हैं और इस पर सरकार को निर्णय लेना होगा.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण क़ानून, 2018 में बनाया था. बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस क़ानून को वैध ठहराया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
मराठा समुदाय को शिक्षा और रोज़गार में आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया. हालांकि जिन लोगों को इसका लाभ मिल गया है उनकी स्थिति में कोई बदलाव नही होगा. अब इस मामले की सुनवाई बड़ी पीठ करेगी.
महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर कहा था कि मराठा आरक्षण साल 2014 से निकली करीब 70,000 भर्तियों पर लागू होगा.
कोर्ट ने कहा कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिश के अनुरूप मराठा आरक्षण का प्रतिशत 16 से घटाकर 12 से 13 प्रतिशत किया जाना चाहिए.
केंद्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा कि जब सत्ता में बैठे लोग रोज़गार और ग़रीबी दोनों मोर्चो पर विफल होते हैं तब वे आरक्षण का कार्ड खेलते हैं.
मराठा समुदाय की राज्य में 30 प्रतिशत आबादी है. यह समुदाय लंबे समय से अपने लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग कर रहा है. बीते जुलाई और अगस्त महीने में इसके लिए हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे.
दो दशकों से उठ रही मराठा आरक्षण की मांग को महाराष्ट्र सरकार ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मंज़ूरी दी. आरक्षण का प्रतिशत अभी तय नहीं.
कोडुंगल्लूर फिल्म सोसायटी की याचिका पर मराठा आरक्षण, फिल्म पद्मावत जैसे मामलों का भी ज़िक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान निजी और सार्वजनिक संपत्तियों की तोड़फोड़ की घटनाएं बेहद गंभीर स्थिति है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पिछड़ापन राजनीतिक हित बनता जा रहा है. हर कोई कहता है कि मैं पिछड़ा हुआ हूं. बिहार और उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण मजबूत स्थिति में हैं. राजनीति में इनका वर्चस्व है. लेकिन ये कहते हैं कि ये पिछड़े हुए हैं.
पिछले 10 दिनों से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आठ लोग आत्मदाह का प्रयास कर चुके हैं. अब तक छह विधायकों ने इस्तीफ़ा दिया.
सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदायों की ओर से बुलाए गए बंद में बुधवार को हुई हिंसा में घायल एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उसने दम तोड़ दिया है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार को दो अन्य युवकों ने भी जान देने की कोशिश की. बुधवार को मुंबई बंद रखने का आह्वान. औरंगाबाद के ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद.