राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते तीन अप्रैल को आयोजित हिंदू महापंचायत के संबंध में दर्ज की गई यह चौथी एफ़आईआर है. अब तक किसी की गिरफ़्तारी नहीं हुई है. बुराड़ी में पुलिस की अनुमति के बिना आयोजित इस कार्यक्रम में कथित रूप से मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण के लिए यति नरसिंहानंद और अन्य वक्ताओं के ख़िलाफ़ भी मामला दर्ज किया गया है.
दिल्ली के बुराड़ी में रविवार को हुई हिंदू महापंचायत में यति नरसिंहानद ने अपनी ज़मानत शर्तों का उल्लंघन करते हुए मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रती भाषण दिए हैं. उन पर केस दर्ज किया गया है. कार्यक्रम के आयोजक प्रीत सिंह और पिंकी चौधरी को अगस्त 2021 में जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम में नफ़रती भाषण देने के आरोप में पहले गिरफ्तार किया गया था. इस कार्यक्रम में भी मुस्लिमों के ख़िलाफ़ हिंसा का आह्वान करते हुए नारेबाज़ी की गई थी.
राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में बीते रविवार को ‘हिंदू महापंचायत’ का आयोजन ‘सेव इंडिया फाउंडेशन’ द्वारा किया गया था, जिसका संचालन यति नरसिंहानंद के एक समर्थक प्रीत सिंह करते हैं. आयोजन में नरसिंहानंद भी शामिल हुए थे. कार्यक्रम में उन्होंने मुस्लिमों पर निशाना साधते हुए हिंदुओं से हथियार उठाने आह्वान किया.
हरियाणा में एक आयोजन में शामिल होने आए योग गुरु बाबा रामदेव पत्रकारों से बात करते हुए पेट्रोल-डीज़ल के दामों में वृद्धि का समर्थन कर रहे थे, तभी एक पत्रकार ने उन्हें उनका पुराना बयान याद दिलाया जिसमें यूपीए सरकार के समय उन्होंने ऐसी सरकार के लिए वोट करने की अपील की थी, जिसके कार्यकाल में 40 रुपये लीटर पेट्रोल बिकेगा. पत्रकार का सवाल सुन रामदेव भड़क गए और उसे धमकी दे डाली.
बीबीसी ने इस संबंध में रविवार को घोषणा करते हुए कहा कि अनिश्चितता और अशांति भरे समय में अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के लिए यह एक चिंताजनक घटनाक्रम है. बताया गया है कि तालिबान की ख़ुफ़िया एजेंसी के आदेश के बाद वॉयस ऑफ अमेरिका का प्रसारण भी बंद कर दिया गया.
भाजपा के समर्थकों और इसके ध्रुवीकृत करने वाले कंटेंट ने फेसबुक के एल्गोरिदम पर सस्ती दर पर विज्ञापन दिलाने में मदद की, जिसके चलते इसकी पहुंच काफ़ी अधिक बढ़ी.
फेसबुक द्वारा मिली सस्ती दरों ने भारत में फेसबुक के सबसे बड़े राजनीतिक ग्राहक- भारतीय जनता पार्टी को कम धनराशि में विज्ञापनों के ज़रिये ज़्यादा मतदाताओं तक पहुंचने में मदद की.
29 दिसंबर 2021 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलयालम समाचार चैनल ‘मीडिया वन’ को सुरक्षा मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था और 31 जनवरी को इसके प्रसारण पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाचार चैनल अपना काम जारी रखेगा, जैसा कि वह प्रसारण पर रोक से पहले कर रहा था.
फेसबुक ने कई सरोगेट विज्ञापनदाताओं को भाजपा के प्रचार अभियान को गुप्त तरीके से फंड करने दिया, जिससे बिना किसी जवाबदेही के ज़्यादा लोगों तक पार्टी की पहुंच मुमकिन हुई.
विपक्षी नेताओं ने एक रिपोर्ट को लेकर भाजपा पर निशाना साधा है, जिसमें दावा किया गया है कि मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाले भारत के सबसे बड़े उद्योग समूह ने 2019 के संसदीय चुनावों और नौ राज्यों के चुनावों में भाजपा की पहुंच और लोकप्रियता को बढ़ावा देने के लिए सरोगेट विज्ञापनों को बढ़ावा देने पर लाखों रुपये ख़र्च किए.
विशेष रिपोर्ट: क़ानूनी ख़ामियों, फेसबुक द्वारा नियमों के चुनिंदा इस्तेमाल के चलते मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस द्वारा वित्तपोषित एक कंपनी ने 2019 के आम चुनाव और कई विधानसभा चुनाव के दौरान फेसबुक पर ख़बरों की शक्ल में भाजपा समर्थक विज्ञापन चलाए, जो दुष्प्रचार और फ़र्ज़ी नैरेटिव से भरे हुए थे.
उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों पर हाल ही में हुए चुनाव में बसपा का केवल एक उम्मीदवार विजयी हुआ है. यह सीट बलिया ज़िले की रसड़ा विधानसभा है. यहां से बसपा के मौजूदा विधायक और विधानमंडल दल के नेता उमाशंकर सिंह तीसरी बार अपनी सीट बचाने में सफल रहे हैं.
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा को एक कांग्रेस नेता की शिकायत पर गिरफ़्तार किया गयाथा. इन नेता का आरोप था कि शर्मा अपने कॉलम में भूपेश बघेल सरकार के ख़िलाफ़ व्यंग्यात्मक लेख लिखते हैं. अब पुलिस ने उनके फोन से अश्लील सामग्री मिलने का दावा करते हुए उन पर वेश्यावृत्ति में शामिल होने का मामला दर्ज किया है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन बी. लोकुर ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज करने और उन्हें उनका काम करने के लिए गिरफ़्तार करने समेत कई घटनाओं से मीडियाकर्मियों पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ता है, जिससे वे ज़रूरत से ज़्यादा सावधान होकर काम करने लगते हैं.
इंडिया राइटर्स नामक वेबसाइट और मैगज़ीन के संपादक नीलेश शर्मा के ख़िलाफ़ एक कांग्रेस नेता ने शिकायत दर्ज कराई है. उनका आरोप है कि नीलेश 'घुरवा की माटी' नामक अपने कॉलम में जिन काल्पनिक पात्रों का ज़िक्र करते हैं वे कांग्रेसी विधायकों और मंत्रियों से मिलते-जुलते हैं.