द वायर द्वारा सूचना के अधिकार क़ानून के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चला है कि मिज़ोरम में लॉकडाउन के दौरान मार्च-अप्रैल में बंद हुए स्कूलों के हर तीन में से लगभग एक बच्चे को मिड-डे मील के तहत पका हुआ भोजन या इसके एवज में राशन और खाना पकाने की राशि नहीं मिली है.
कोविड-19 के चलते स्कूल बंद होने के बाद अब राज्य सरकारें मोबाइल और टीवी के ज़रिये छात्रों तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं. ऐसी कोशिश बिहार सरकार द्वारा भी की गई है, लेकिन आर्थिक-सामाजिक असमानता के बीच प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों तक इन माध्यमों से शिक्षा पहुंचा पाना बेहद कठिन है.
बिहार के भागलपुर ज़िले में मिड-डे मील बंद होने के कारण ग़रीब परिवार से आने वाले बच्चों के कूड़ा बीनने और भीख मांगने के साथ ठेकेदारों के पास काम करने का मामला सामने आया है.
द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि लॉकडाउन के दौरान पश्चिम बंगाल में अप्रैल महीने में 2.92 लाख और मई महीने में 5.35 लाख बच्चों को मिड-डे मील योजना का कोई लाभ नहीं मिला है.
आरटीआई दस्तावेज़ों से पता चला है कि दिल्ली सरकार ने मार्च महीने में मिड-डे मील के तहत पके हुए भोजन के बदले में छात्रों के खाते में कुछ राशि डाली है, लेकिन ये भोजन पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है. इसके अलावा ये धनराशि भी सभी पात्र लाभार्थियों को नहीं दी गई है.
कोरोना वायरस महामारी के कारण स्कूल बंद होने की अवधि में त्रिपुरा की भाजपा सरकार ने मिड-डे मील के एवज में छात्रों के खाते में कुछ राशि ट्रांसफर करने का आदेश दिया था, जो कि सिर्फ़ खाना पकाने के लिए निर्धारित राशि से भी कम है.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि उत्तराखंड राज्य ने अप्रैल और मई महीने में लगभग 1.38 लाख बच्चों को मिड-डे मील मुहैया नहीं कराया है. राज्य ने इस दौरान 66 कार्य दिवसों में से 48 कार्य दिवसों पर ही बच्चों को राशन दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस सप्ताह राज्य सरकारों को नोटिस देकर पूछा था कि वे यह बताएं कि कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद हैं. ऐसे में वे बच्चों को मिड-डे मील देना कैसे सुनिश्चित करेंगे. इसके बाद केंद्र सरकार का यह आदेश आया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर पूछा कि स्कूल बंद किए जाने पर बच्चों को मिड-डे मील कैसे उपलब्ध कराया जा रहा है.
मिर्ज़ापुर के जिलाधिकारी ने बताया कि बीते सोमवार को दोपहर में खाना तैयार होने के बाद रसोईये किसी काम से बाहर थे, जब खाना लेने के लिए जमा बच्चों की धक्का-मुक्की में एक बच्ची गर्म सब्ज़ी में गिर गई. स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया गया है और रसोइयों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज हुआ है.
मामला मुज़फ़्फ़रनगर का है, जहां एक गांव के सरकारी स्कूल में मिड डे मील के दौरान खाने से मरा हुआ चूहा मिलने के बाद एक शिक्षक और आठ बच्चों की तबियत खराब हो गई. जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले के मामला. इस घटना को लेकर दूध में पानी मिलाने वाली रसोइया का कहना है कि उसने शिक्षामित्र के कहने पर ऐसा किया. मामले में दो शिक्षामित्रों को बर्खास्त किया गया है.
लोकसभा में मिड डे मील योजना को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक बताया कि बीते तीन साल में देश भर में मिड डे मील खाने के बाद 931 बच्चे बीमार पड़ने की शिकायत सामने आई हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए पोषण आहार कार्यक्रम में बच्चों को अंडे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन भाजपा ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. भाजपा के एक नेता ने तो ये तक कह दिया कि इस परंपरा से बच्चों को एक दिन नरभक्षी बना दिया जाएगा.
मामला सीतापुर के बिचपरिया गांव का है. सोशल मीडिया पर आए एक वीडियो में गांव के प्राथमिक विद्यालय के बच्चे हल्दी मिले पीले पानी के साथ चावल खाते दिख रहे हैं. बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि वीडियो खाना ख़त्म होने के समय का है. बच्चों को सब्जी चावल परोसे गए थे.