पहला हादसा उत्तर प्रदेश के मैनपुरी ज़िले में, जबकि दूसरा हादसा कानपुर ज़िले में हुआ है. कानपुर में हुए हादसे में 12 लोग घायल भी हुए हैं.
इससे पहले रेल मंत्रालय द्वारा श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया था कि जिस राज्य से प्रवासी चलेंगे, उस राज्य को जिस राज्य में प्रवासी लौटना चाहते हैं, उसकी सहमति लेनी होगी. रेलवे ने बताया है कि अब तक 1,600 से अधिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से 21 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है.
उत्तर प्रदेश के औरैया में 16 मई को हुई सड़क दुर्घटना में 26 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो गई थी. बीते रविवार को झारखंड के एक और घायल मज़दूर ने सैफई पीजीआई में दम तोड़ दिया.
16 मई को उत्तर प्रदेश के औरैया में हुई सड़क दुर्घटना में 26 प्रवासी मज़दूरों की मौत हो गई थी, जिनमें 11 झारखंड और बाकी पश्चिम बंगाल से थे. इन्हें उनके गृह राज्यों में भेजे जाने की तस्वीरों में ट्रक के एक कोने में मज़दूर बैठे दिखते हैं और दूसरे कोने में शव रखे नज़र आते हैं.
महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले में मंगलवार सुबह मज़दूरों को ले जा रही बस की टक्कर ट्रक से हो गई थी. वहीं, दूसरा हादसा उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले में सोमवार रात हुआ.
लॉकडाउन के कारण बेरोज़गार हुए दिल्ली और आसपास के इलाकों में रह रहे मज़दूर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में स्थित अपने घर वापस लौट रहे थे, लेकिन पुलिस द्वारा पैदल आगे जाने से रोके जाने पर ये लोग दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर फंस गए हैं.
सोमवार को अहमदाबाद में घर लौटने की मांग को लेकर लगभग सौ मज़दूर सड़कों पर उतर आए और पथराव व तोड़-फोड़ की. इससे पहले रविवार को राजकोट में कामगारों ने गृह राज्य भेजने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मी और एक पत्रकार घायल हुए हैं.
देशव्यापी लॉकडाउन के चलते बड़े शहरों में काम करने वाले मज़दूरों के पास काम बंद हो जाने की स्थिति में दो विकल्प थे- या तो घर लौट जाएं, या फिर यहीं रहकर काम दोबारा शुरू होने का इंतज़ार करें. घरों तक के सफ़र में मज़दूरों के सामने तमाम चुनौतियां आई हैं, लेकिन जो नहीं गए उनका भी हाल कुछ बेहतर नहीं है.
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने पैदल अपने घरों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार को निर्देश जारी करते हुए कहा कि अगर वह मजदूरों की मौजूदा स्थितियों के मद्देनजर आदेश जारी नहीं करती है, तो उसकी भूमिका के साथ न्याय नहीं होगा.
दिल्ली में रह रहे बिहार के प्रवासी श्रमिक रामपुकार पंडित की मोबाइल फोन पर बात करते रोते हुए तस्वीर बीते दिनों सुर्ख़ियों में रही थी. उनके बेटे की मौत हो गई है और वे अब तक परिवार से नहीं मिल सके हैं.
गैर-लाभकारी संगठन सेव लाइफ फाउंडेशन के अध्ययन के अनुसार, 25 मार्च को लॉकडाउन शुरू होने के बाद से 18 मई सुबह 11 बजे तक अपने घरों को लौट रहे 158 प्रवासी, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले 29 लोग और 236 अन्य लोगों की मौत हुई है.
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर ज़िले के बहुआस के रहने वाले राजू गुजरात के अंकलेश्वर में काम करते थे. चार मई को वे साइकिल से अपने गांव जाने के लिए निकले थे, इसी शाम उनका शव बड़ौदा के करजन में नेशनल हाईवे पर मिला.
लॉकडाउन के कारण सऊदी अरब में फंसे भारतीय मजदूर भारत सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं कि उनकी स्वदेश वापसी के लिए विशेष उड़ान सेवाओं का बंदोबस्त किया जाए.
हाईकोर्ट ने कहा कि कोविड-19 संकट काल में प्रवासी मज़दूर और कृषि कामगार काफी उपेक्षित हैं. अदालत ने ऐसे मज़दूरों के बारे में केंद्र और राज्य सरकारों से 22 मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.
उत्तर प्रदेश के औरैया में शनिवार को मरने वाले 24 मजदूर राजस्थान के आरएसजी स्टोंस नाम की कंपनी में काम करते थे. कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनसे देर तक काम करवाया जाता है और वेतन देने में देरी की जाती है.