ग़रीब हमारी चेतना से बहुत पहले निकल चुके हैं, लॉकडाउन ने बस इस छिपे तथ्य को ज़ाहिर किया है

जब सरकार ने दोबारा विमान सेवाएं शुरू कीं, तब एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और क्वारंटीन सेंटर में रखने जैसी बातें व्यावहारिक नहीं लगतीं. हैरानी वाली बात है कि जो बात विमान के यात्रियों के लिए व्यावहारिक नहीं लग रही, वो मज़दूरों के लिए अति आवश्यक कैसे बन गई थी.

झारखंड: मज़दूरों ने कहा- लॉकडाउन ने रोज़गार छीन लिया, अब खाने-पीने की भी दिक्कत है

झारखंड जनाधिकार महासभा द्वारा आयोजित एक वेबिनार में राज्य के विभिन्न मजदूरों ने लॉकडाउन के दौरान उन्हें हुई पीड़ा का अनुभव साझा किया. श्रमिकों की मांग है कि सरकार उनके लिए उचित राशन और पैसे की व्यवस्था करे.

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच क्वारंटीन सेंटर क्यों बंद कर रही है बिहार सरकार?

बीते सप्ताह बिहार सरकार ने 15 जून के बाद से सभी प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर्स को बंद करने का आदेश दिया है. दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लिए गए सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन सेंटर्स की फंड संबंधी गड़बड़ियों के चलते यह निर्णय लिया गया है.

15 दिनों के अंदर घर भेजे जाएं प्रवासी, लॉकडाउन उल्लंघन के मामले वापस हों: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रवासी कामगारों के कौशल का आकलन करने के बाद उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उनके आंकड़ों का संग्रह करें.

कोरोना से लड़ाई में हमसे गलती हुई होगी लेकिन विपक्ष ने क्या किया: अमित शाह

ओडिशा के लिए एक डिजिटल रैली को संबोधित करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक जन और एक मन’ के साथ कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाया जिसकी वजह से आज भारत, दुनिया में अच्छी स्थिति में है.

‘ग़रीबी ऐसी है कि मेरे मरने के बाद परिवार के पास अंतिम संस्कार के पैसे भी नहीं होंगे’

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले के एक गांव के रहने वाले 50 वर्षीय भानु प्रकाश गुप्ता शाहजहांपुर के एक ढाबे में काम किया करते थे, पर लॉकडाउन में ढाबा बंद होने से काम छूटा और वे परिवार सहित गांव लौट गए. ग़रीबी और बेरोज़गारी से परेशान भानुप्रकाश ने 29 मई को ट्रेन के सामने आकर अपनी जान दे दी.

झारखंड की तीन युवतियों को बेचने और बलात्कार की घटना का एनसीडब्ल्यू ने संज्ञान लिया

एक नाबालिग समेत झारखंड की तीन युवतियों को कथित तौर पर राजस्थान में बेचे जाने और उनके साथ बलात्कार का मामला सामने आया है. लॉकडाउन में घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों के समूह के बीच अपने अपहर्ताओं से छिपते-छिपाते कई दिनों तक पैदल चलने के बाद हाल ही में इन्हें उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में पुलिस ने बचाया.

क्या नरेंद्र मोदी सरकार ने कोरोना से जंग का मोर्चा छोड़ दिया है?

प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि इस कठिन समय में उनकी सरकार के फ़ैसलों से गांवों में रोजगार, स्वरोजगार और लघु उद्योग से जुड़ी विशाल संभावनाएं खुली हैं, लेकिन वे यह नहीं बता रहे कि जिसे ज़िंदा रहने के लिए तत्काल मदद की ज़रूरत हो, उसे मुंगेरीलाल जैसे भविष्य के हसीन सपने कैसे दिख सकते हैं?

राष्ट्र मानवता की गरिमा बनाए रखें, कोविड-19 से सबसे अधिक शरणार्थी प्रभावित: संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि दुनियाभर में कोविड-19 ज़िंदगियों और आजीविकाओं को तबाह कर रहा है और सबसे कमज़ोर, सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं.

प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज में खर्च की सीमा तय करने की याचिका पर केंद्र को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में संक्रमित लोगों के लिए निजी क्वारंटीन सेंटर की सुविधा एवं अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की भी मांग की गई है.

कोरोना वायरस संकट के कारण प्रवासी श्रमिकों की वापसी ग़रीबी और भेदभाव को बढ़ाएगी: जस्टिस रमण

जस्टिस एनवी रमण ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन सेमिनार में कहा कि इस वैश्विक महामारी ने हमारे सामने कई समस्याएं पैदा कर दी हैं. लॉकडाउन के कारण पारिवारिक हिंसा एवं बाल उत्पीड़न की घटनाएं भी बढ़ी हैं.

गिद्ध कहकर केंचुआ बनाए रखने की मेहता-मंशा

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने लॉकडाउन के दौरान मज़दूरों की मुसीबतों को कवर करने वाले पत्रकारों की तुलना गिद्धों से की. इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश का नज़रिया.

‘मुंबई से गांव आने के लिए निकले, लेकिन उनका सफ़र रास्ते में ही ख़त्म हो गया’

बीते 26 मई को झांसी से गोरखपुर जा रही एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार आज़मगढ़ के 45 वर्षीय प्रवासी श्रमिक रामभवन मुंबई से अपने परिवार सहित घर लौट रहे थे, जब रास्ते में अचानक उनकी तबियत ख़राब होने लगी. परिजनों का कहना है कि समय पर उचित मेडिकल सहायता न मिलने के कारण उन्होंने कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर दम तोड़ दिया.

क्या बिहार में कोरोना से ज़्यादा मौतें क्वारंटीन सेंटर्स में हुई हैं?

बिहार सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुधवार शाम तक राज्य में कोरोना संक्रमण से 25 मौतें हुई हैं. सरकार द्वारा क्वारंटीन सेंटर्स में हुई मौतों के बारे में कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अब तक 10 ज़िलों के क्वारंटीन सेंटर्स में 20 से अधिक जानें जा चुकी हैं.

तुषार मेहता के ‘गिद्ध’ पत्रकार और ग़ैरक़ानूनी होता असहमति का अधिकार

वीडियो: प्रवासी श्रमिकों के संकट के कवरेज के लिए 27 मई को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष फोटो और वीडियो पत्रकारों के खिलाफ भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की टिप्पणी की ऑल इंडिया वर्किंग न्यूज़ कैमरामैन एसोसिएशन ने आलोचना की है. इस पर चर्चा कर रही हैं आरफ़ा ख़ानम शेरवानी.

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