मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के तौर पर राज्य-नीति को राजनीति से अलग नहीं किया

मनमोहन सिंह ने अपनी शांत मुद्रा में लेकिन दृढ़ता से यह बात कही थी कि राज्य के संसाधनों पर पहला अधिकार वंचित समुदायों का है- अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ी जातियों और मुसलमानों का. यह कहना भारत में राजनीतिक रूप से जोखिम भरा काम था. मनमोहन सिंह ने यह जोखिम उठाया था.

‘जब वित्त मंत्री मनमोहन सिंह मज़दूरों के साथ उठ खड़े हुए’

मनमोहन सिंह अल्पभाषी थे, विनम्र थे पर वे जानते थे कि कब, कहां और कितना बोलना है. न उन्होंने कभी मीडिया से मुंह छिपाया और न बेवजह के नारे उछाले. जब मौक़ा हुआ और जब ज़रूरत हुई, प्रेस कॉन्फ्रेंस की और हर सवाल का जवाब दिया.

नहीं रहे आर्थिक सुधारों, आरटीआई के प्रणेता; पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन

मूल रूप से अर्थशास्त्री रहे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक ज़ाहिर करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि डॉ. सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्हें राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, बेदाग राजनीतिक जीवन के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

मनरेगा की वर्तमान स्थिति ग्रामीण भारत के साथ पीएम मोदी के विश्वासघात का जीवंत स्मारक है: खरगे

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की 20वीं वर्षगांठ के मौके पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि मनरेगा के बजट में कटौती कर सरकार इस योजना के तहत काम की मांग को दबाने का काम कर रही है.

मनरेगा से लैंगिक वेतन अंतर में कमी आई, न्यूनतम वेतन मानदंडों का अनुपालन बढ़ा: आईएलओ

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के एक वर्किंग पेपर में कहा गया है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की शुरुआत और विस्तार से न्यूनतम वेतन नियमों के अनुपालन की दर में वृद्धि हुई, औपचारिक वेतनभोगी श्रमिकों और आकस्मिक श्रमिकों के बीच ग्रामीण मजदूरी में अंतर कम हो गया और ग्रामीण क्षेत्रों में लैंगिक वेतन अंतर में भी गिरावट आई.

केंद्र ने चालू वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में मनरेगा के लिए 22% कम राशि आवंटित की: संसदीय समिति

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के संबंध में लोकसभा में पेश की गई एक संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि चालू वित्त वर्ष में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मनरेगा के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन वित्त मंत्रालय ने इससे काफी कम केवल 86,000 करोड़ का प्रावधान किया है.

बंगाल: समान नाम के ग़लत शख़्स के यहां ईडी का छापा, पीड़ित ने दी क़ानूनी कार्रवाई की चेतावनी

ईडी के अधिकारियों ने मंगलवार सुबह मनरेगा फंड के कथित गबन की जांच के सिलसिले में चिनसुराह स्थित सुभदीप साधुखा के घर पर उन्हें संदीप साधुखा समझकर छापा मारा. परिवार का कहना है कि उनके गलत पहचान की बात कहने पर भी ईडी अधिकारियों ने उनकी नहीं मानी.

आधार प्रणाली से मनरेगा मज़दूरी भुगतान अनिवार्य, कांग्रेस ने कहा- पीएम का नए साल का क्रूर तोहफ़ा

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) आधार आधारित भुगतान प्रणाली का कार्यान्वयन 30 जनवरी 2023 को अनिवार्य कर दिया गया था, हालांकि बाद में इसे लागू करने के लिए कई विस्तार दिए गए थे. 31 दिसंबर 2023 के बाद राज्यों को कोई विस्तार नहीं दिए जाने के कारण एबीपीएस 1 जनवरी 2024 से अनिवार्य हो गया.

ममता बनर्जी के बाद अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर फंड रोकने का आरोप लगाया

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को दावा किया कि पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार द्वारा किए जा रहे विकास कार्यों को रोकने के लिए केंद्र राज्य का धन रोक रहा है. इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लंबे समय से केंद्र पर फंड रोकने का आरोप लगाती रही हैं.

जम्मू-कश्मीर: प्रशासन का कर्मचारियों को हड़ताल से दूर रहने का आदेश, कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता वाले जम्मू-कश्मीर के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि कुछ कर्मचारी कुछ मांगों के पक्ष में प्रदर्शन और हड़ताल का सहारा ले रहे हैं. कर्मचारियों द्वारा कोई भी प्रदर्शन और हड़ताल ‘गंभीर अनुशासनहीनता और कदाचार का काम’ है.

मनरेगा में ‘प्रक्रिया के उल्लंघन’ के कारण 2022-23 में रिकॉर्ड जॉब कार्ड हटाए गए: रिपोर्ट

विभिन्न राज्य सरकारों ने 2022-23 में मनरेगा डेटाबेस से 5 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड हटा दिए हैं, जो 1 करोड़ से 1.5 करोड़ जॉब कार्ड हटाने के वार्षिक औसत से कहीं अधिक है. एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है राज्यों ने जॉब कार्ड हटाने में तेज़ी ला दी है, क्योंकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 100 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान प्रणाली के अनुपालन पर ज़ोर दिया है.

न्यूनतम मनरेगा आवंटन वाले वर्ष में 93 प्रतिशत बजट केवल छह महीनों में ख़र्च हो गया

एक रिपोर्ट के अनुसार, मनरेगा योजना के तहत काम की मांग पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़ गई है. सितंबर तक योजना के तहत काम चुनने वाले व्यक्तियों की संख्या भी एक साल पहले की तुलना में इस साल 4.6 प्रतिशत बढ़कर लगभग 19 करोड़ हो गई है.

2022-23 में मनरेगा डेटाबेस से 5.2 करोड़ नाम हटाए गए, बीते वर्षों की तुलना में 247 फीसदी की वृद्धि

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम में जॉब कार्ड हटाना और नए जॉब कार्ड जारी करना नियमित प्रथा है, लेकिन हाल ही में हटाए गए कार्डों की बड़ी संख्या ने चिंता पैदा कर दी है. इन नामों के हटने के पीछे का मुख्य कारण आधार-आधारित भुगतान प्रणाली का कार्यान्वयन बताया जा रहा है.

मनरेगा के तहत रोज़गार की मांग में वृद्धि जारी, अगस्त में पिछले साल की तुलना में 25.8 फीसदी का उछाल

मनरेगा प्रत्येक ग्रामीण परिवार के व्यस्क व्यक्तियों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के अकुशल शारीरिक श्रम के रोजगार की गारंटी देता है. 2020-21 में जब कोविड-19 का प्रकोप और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन देखा गया तब इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों का वार्षिक आंकड़ा 7.5 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.

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