केंद्र सरकार ने हाल ही में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को 'भारत रत्न' से सम्मानित करने का ऐलान किया है, जिसके उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में उनकी बेटी मधुरा स्वामीनाथन ने कहा कि अगर हमें एमएस स्वामीनाथन का सम्मान करना है, किसानों को अपने साथ लेकर चलना होगा.
पूर्व प्रधानमंत्रियों पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि इस मामले में दलित हस्तियों का तिरस्कार एवं उपेक्षा करना कतई उचित नहीं. भाजपा सरकार इस ओर भी ज़रूर ध्यान दे.
भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल के बीच सीट बंटवारे को लेकर समझौते की ख़बरों के बीच किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की ख़बर आई है. राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना उनके बेटे चौधरी अजीत सिंह ने की थी. यह घोषणा तब की गई है जब वर्तमान में मोदी सरकार को किसान विरोध की एक और लहर का सामना करना पड़ रहा है.
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वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन ने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान अधिक उपज पैदा करें. किसानों के लिए गठित राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष के रूप उन्होंने सुझाव दिया था कि न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) उत्पादन की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक होना चाहिए.
विशेष रिपोर्ट: बाजार मूल्य की जानकारी देने वाले कृषि मंत्रालय के पोर्टल से मिले आंकड़ों का विश्लेषण बताता है कि अक्टूबर-नवंबर में एमएसपी से कम दाम पर कृषि उपजों की बिक्री से किसानों को क़रीब 1,881 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाने की है.
विशेष रिपोर्ट: सितंबर में विवादित कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के बीच मोदी सरकार ने छह रबी फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा करते हुए इसे ऐतिहासिक कहा था. हालांकि आधिकारिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत कई राज्य सरकारों ने इसे मामूली वृद्धि बताते हुए इसका विरोध किया था.
विशेष रिपोर्ट: ख़रीफ फसलों के लिए केंद्र द्वारा घोषित एमएसपी और इस बारे में राज्यों के प्रस्ताव में बड़ा अंतर है. द वायर द्वारा प्राप्त आधिकारिक दस्तावेज़ दिखाते हैं कि भाजपा शासित राज्यों समेत विभिन्न राज्य सरकारों ने केंद्र से बढ़ी उत्पादन लागत के हिसाब से एमएसपी घोषित करने की मांग की थी, जिसे माना नहीं गया.
विशेष रिपोर्ट: बीते दिनों कृषि विधेयकों के देशव्यापी विरोध के बीच मोदी सरकार ने रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की और इसे 'ऐतिहासिक' कहते हुए किसानों को लाभ होने दावा किया. हालांकि राज्यों द्वारा भेजी गई उत्पादन लागत रिपोर्ट बताती है कि यह एमएसपी कई राज्यों की उत्पादन लागत से भी कम है.
साक्षात्कार: कोरोना के दौर में राहत देने के लिए मोदी सरकार द्वारा 'ऐतिहासिक कृषि सुधार' के नाम से तीन कृषि अध्यादेश लाए गए हैं, लेकिन किसान ही इनके ख़िलाफ़ हैं. कई सालों से चले आ रहे कृषि संकट पर प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन कहते हैं कि किसानों के प्रति रवैये में बदलाव लाने की ज़रूरत है.
केंद्र सरकार सभी राज्यों की फ़सल लागत का औसत मूल्य के आधार पर एमएसपी तय करती है. इसके कारण कुछ राज्यों के किसानों को तो ठीक-ठाक दाम मिल जाता है लेकिन कई सारे राज्यों के किसानों को फ़सल लागत के बराबर भी एमएसपी नहीं मिलती है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी में वृद्धि से किसानों को लागत पर 50 प्रतिशत लाभ सुनिश्चित होगा. लेकिन तोमर ने ये नहीं बताया कि उनका दावा फसलों की कम लागत के आधार पर किए गए आकलन पर आधारित है.
कोरोना वायरस चलते पूरे देश में लागू लॉकडाउन के बीच किसान रबी फसलों की बिक्री को लेकर चिंतित हैं. कई राज्यों में फसलें कट भी चुकी हैं. किसानों को उनके उत्पाद की ब्रिकी को लेकर सरकार से उचित घोषणा और प्रबंधन का इंतज़ार है.
द वायर द्वारा प्राप्त किए गए कृषि मंत्रालय के आंतरिक गोपनीय दस्तावेज़ों से पता चलता है कि सरकार ख़ुद ये स्वीकार करती है कि अधिक एमएसपी किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव की स्थिति से निकालने के लिए ज़रूरी है. हालांकि इसके बावजूद केंद्र पिछले कई सालों से लागत का डेढ़ गुना दाम देने की मांग को दरकिनार करती आ रही है.
द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ बताते हैं कि महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों ने केंद्र द्वारा निर्धारित एमएसपी पर सहमति नहीं जताई थी. राज्यों ने अपने यहां की उत्पादन लागत के हिसाब से समर्थन मूल्य तय करने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सभी प्रस्तावों को ख़ारिज कर दिया.