जम्मू कश्मीर में ‘अवैध रूप से क़ब्ज़ा की गई’ सरकारी भूमि मुक्त कराने के प्रशासन के अतिक्रमण रोधी अभियान को लेकर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र पर नागरिकों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है. वहीं, जम्मू के बाहरी इलाके में अभियान के ख़िलाफ़ हज़ारों नागरिकों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया.
पुणे के हडपसर स्थित उन्नति नगर मस्जिद के बाहर 2 जून 2014 को एक 24 वर्षीय तकनीकी विशेषज्ञ मोहसिन शेख़ की उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह नमाज़ पढ़कर लौट रहे थे. सभी 21 आरोपी हिंदू राष्ट्र सेना नामक एक कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी संगठन का हिस्सा थे.
कर्नाटक के मंगलुरु स्थित काद्री श्री मंजूनाथ मंदिर मेले में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा लगाए गए बैनर में पिछले साल हुए कुकर विस्फोट का उल्लेख करते हुए लिखा था कि ऐसी मानसिकता वाले और मूर्ति पूजा का विरोध करने वाले लोग पूजा स्थल के पास मेले के दौरान व्यवसाय नहीं कर सकते. केवल हिंदू धर्म में विश्वास रखने वाले व्यापारियों को ही व्यवसाय जारी रखने की अनुमति दी जाएगी.
वीडियो: बीते दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा कि हिंदू समाज युद्ध में है, इस लड़ाई में लोगों में कट्टरता आएगी. उनके इस बयान पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से चर्चा कर रहे हैं द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन.
असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत कहा है कि राज्य में मुसलमानों की अच्छी-ख़ासी आबादी है और यह ‘कट्टरपंथ को बढ़ावा देने’ के लिए ‘स्वाभाविक लक्ष्य’ है. उन्होंने कहा कि कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाली गतिविधियां आमतौर पर छोटे मदरसों में की जाती हैं.
संघ प्रमुख की मुसलमानों से अपना ‘श्रेष्ठताबोध’ छोड़ने को कहकर उनकी भारतीयता की शर्त तय करने की कोशिश हो या उपराष्ट्रपति की विधायिका का ‘श्रेष्ठताबोध’ जगाकर उसके व न्यायपालिका के बीच का संतुलन डगमगाने की, दोनों के निशाने पर देश का संविधान ही है.
संघ प्रमुख ने ठीक कहा कि हिंदू युद्धरत हैं. लेकिन यह एकतरफ़ा हमला है. पिछले कुछ वर्षों में सारे हिंदू नहीं, लेकिन उनके नाम पर हिंदुत्ववादी गिरोहों ने मुसलमानों, ईसाइयों के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है. और दूसरा पक्ष, यानी मुसलमान और कुछ जगह ईसाई, इसका कोई उत्तर नहीं दे सकते. फिर इसे युद्ध क्यों कहें?
वीडियो: नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत रत्न से सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के सबसे कठोर आलोचकों में से एक रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार करण थापर से बातचीत में उन्होंने मोदी सरकार और मुस्लिमों के साथ सरकार द्वारा किए जा रहे व्यवहार के अलावा अन्य मुद्दों पर चर्चा की.
तीन वर्ष पहले 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे, जिनमें 53 लोगों की मौत हो गई थी. अब राष्ट्रीय राजधानी के उसी हिस्से के ब्रह्मपुरी इलाके में ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जिन पर लिखा है कि सभी हिंदू मकान मालिकों को सूचित किया जाता है कि कोई भी अपना मकान मुसलमानों को नहीं बेचेगा. बेचा तो उसकी रजिस्ट्री नहीं होने दी जाएगी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक साक्षात्कार में कहा है कि हिंदुस्तान, हिंदुस्तान बना रहे. भारत में मुसलमानों और इस्लाम को कोई ख़तरा नहीं है. वह रहना चाहते हैं, रहें. पूर्वजों के पास वापस आना चाहते हैं, आएं. बस उन्हें यह सोच छोड़नी पड़ेगी कि हम एक समय राजा थे, फिर से राजा बनें.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस तरह के झुकाव वाले लोग हमेशा से थे, जब से मानव का अस्तित्व है. यह जैविक है, जीवन का एक तरीका है. हम चाहते हैं कि उन्हें उनकी निजता का हक़ मिले और वह इसे महसूस करें कि वह भी इस समाज का हिस्सा है.
टीवी कलाकार तुनीषा शर्मा की आत्महत्या के बाद बहस मानसिक स्वास्थ्य पर होनी चाहिए थी, इस पर कि इस उम्र में इतना काम करने का दबाव किसी के साथ क्या कर सकता है, वह भी उस दुनिया में जिसकी प्रतियोगिता असामान्य होती है. लेकिन बहस को 'लव जिहाद' का एंगल देते हुए सुविधाजनक दिशा में मोड़ दिया गया है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि एनआरसी असफल रहा और असम समझौता उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा. विधानसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन एक ऐसा अभ्यास हो सकता है, जिसके माध्यम से हम असम के भविष्य को दो दशकों तक सुरक्षित रख सकते हैं.
नए साल में असल चिंता का विषय है, भारत में ऐसे हिंदू दिमाग़ का निर्माण जो श्रेष्ठतावाद के नशे में चूर है. मुसलमान मित्रविहीन अवस्था में है. चंद बुद्धिजीवी ही उसके साथ हैं. कश्मीर में मुसलमानों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. असम में उसे कोने में धकेला जा रहा है और पूरे देश में क़ानूनों और ग़ुंडों के गठजोड़ के ज़रिये उसे प्रताड़ित किया जा रहा है.
बजरंग दल के सदस्यों ने हरियाणा के गुड़गांव में सेक्टर-69 में शुक्रवार को खुले में हो रही नमाज़ को बाधित किया, जिसके कारण नमाज़ अदा कर रहे 100 लोगों के एक समूह को वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. वर्ष 2021 में ज़िला प्रशासन ने इस स्थान को नमाज़ अदा करने के लिए छह खुले स्थलों में चिह्नित किया था.